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भारत ने भूकंप के बाद अवैध रूप से आये 160 से अधिक नेपालियों को बचाया

by Nita Bhalla | @nitabhalla | Thomson Reuters Foundation
Monday, 15 February 2016 00:02 GMT

In a file photo from 2011, Waseem Sheikh, 12, holding an improvised stick searches for rats with the help of a torch outside a residential complex in Mumbai. REUTERS/Danish Siddiqui

Image Caption and Rights Information

After quakes, "brokers" duped families who had lost their homes to hand over their children with promise of good jobs in India

-    नीता भल्ला

सिलीगुड़ी, 15 फरवरी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी ने कहा कि देश की कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने पिछले वर्ष नेपाल में आए दो शक्तिशाली भूकंप के बाद से सीमा पार से अवैध तरीके से देश में आये कम से कम 160 नेपालियों को बचाया है।

गरीब हिमालयी राष्ट्र में अप्रैल और मई में आये दो भूकंप से 8,800 से अधिक लोग मारे गए और हजारों घायल हो गए। लगभग दो लाख लोग बेघर हो गए।

सहायता एजेंसी की चेतावनी के बाद उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने नेपाल सीमा से सटे क्षेत्रों में सतर्क रहने का आदेश दिया है। एजेंसी ने कहा कि मानव तस्कर आपदा के बाद कमजोर पड़े लोगों को अपने चंगुल में फंसा सकते है।

उत्तर प्रदेश के गृह सचिव,  कमल सक्सेना ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "भूकंप के दिन मैं अपने कार्यालय गया और नेपाल सीमा से लगे सभी सात जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को सतर्क रहने के बारे में पत्र भेजे।"

"फिर हमने उन सभी के साथ वीडियो कांफ्रेंस की और संबंधित मंत्रालयों जैसे महिला एवं बाल विकास और श्रम तथा अन्य विभागों के लोगों से भी इसमें उपस्थित रहने को कहा, ताकि संपर्क और समन्वय रहे।"

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के 2001 के एक अध्ययन के अनुसार नेपाल में भूकंप से पहले ही मानव तस्करी का जाल फैला हुआ था। प्रति वर्ष अनुमानित 12,000 नेपाली बच्चों को अवैध रूप से भारत लाया जाता है।

कार्यकर्ताओं ने कहा कि भूकंप के बाद जोखिम काफी बढ़ गये है,  क्‍योंकि तस्कर या "दलाल" ऐसे परिवारों के पास जाते है, जो बेघर हो गये या उनके परिवार के लिये कोई कमानेवाला नही रहा।  वे उनके बच्‍चों को भारत में मासिक वेतन पर एक अच्छी नौकरी दिलाने का झांसा देते है ।

वास्‍तविकता बहुत अलग है। लड़कियों और महिलाओं को न केवल वेश्‍यावृत्ति में ढ़केला जाता है, बल्कि भारत और अन्‍य देशों में घरेलू दास के तौर पर बेचा जाता है। लड़कों  से जबरन मजदूरी करवाई जाती है।

श्री सक्सेना ने कहा कि प्राधिकारियों ने पुलिस महाधिक्षकों, जिला मजिस्ट्रेट, रेलवे पुलिस, सीमा बल, बाल संरक्षण अधिकारियों और आश्रय घर के कर्मचारियों सहित 4,000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया है।

इसमें रेलवे स्टेशनों, बॉर्डर चेक पोस्ट और अंतरराज्यीय बस स्टेशनों जैसे संदिग्ध अवैध व्यापार मार्गों और गंतव्य बिन्‍दुओं पर  जांच शामिल है।

उन्होंने संदिग्ध तस्करों को पहचानने और पीडि़तों को बचाने तथा गिरफ्तारी के बाद उचित प्रक्रियाओं पर भी ध्‍यान केंद्रित किया।

सिलीगुड़ी में मानव तस्करी रोधी सम्मेलन से अलग शनिवार को एक साक्षात्कार में श्री सक्सेना ने कहा "हमने उन्हें बताया कि कैसे सतर्क रहना है। उदाहरण के लिए बड़ी संख्या में बच्चों के साथ यात्रा करने वाले लोगों से सतर्क रहने की जरूरत है।"

"एक सब इंस्‍पेक्‍टर ने करीब पैतालिस-छियालिस वर्ष के एक जोड़े को पकड़ा, जिनके 15 बच्चे थे।  बच्चों ने झूठ बोला कि उनके माता पिता उन्हें मुंबई घुमाने ले जा रहे थे। हमें पता चला प्रत्येक बच्चे को 1,500 रूपए ($ 22) में तस्कर को बेचा गया था।"

श्री सक्सेना ने कहा कि अब तक 50 से 60 गिरफ्तारी हो चुकी है और कई मामलों की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि अप्रैल के बाद बचाए गये अधिकतर लोगों को स्‍वदेश भेज दिया गया है ।

उन्‍होंने कहा "भूकंप से पहले, हम इतना प्रशिक्षण नहीं दे रहे थे, लेकिन अब यह स्थिती बदल गयी है और हम उसी संवेदनशीलता और तालमेल से सभी हितधारकों के साथ समन्वय करने के प्रयास कर रहे है।"

(रिपोर्टिंग- नीता भल्ला, संपादन- रोस रसेल; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org) 
((nita.bhalla@thomsonreuters.com; +91 11 4178 1033; रॉयटर्स संदेश: nita.bhalla.reuters.com@reuters.net))

अनुवादक- मनीषा खन्‍ना

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