मुंबई, 13 अप्रैल (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - भारत मानव तस्करी रोकने में सहयोग बढ़ाने के लिये संयुक्त अरब अमीरात के साथ जल्द ही एक समझौते पर हस्ताक्षर करेगा। तस्करी से निपटने के अभियान के रूप में भारत ने हाल ही में बहरीन के साथ भी ऐसा ही समझौता किया है।
दक्षिण एशिया में प्रतिवर्ष 150,000 से अधिक लोगों की तस्करी की जाती है, लेकिन यह धंधा छुप कर किया जाता इसलिये ये संख्या और अधिक हो सकती है।
संयुक्त राष्ट्र नशीली दवा और अपराध कार्यालय के अनुसार, विश्व में दक्षिण एशिया में मानव तस्करी सबसे तेजी से बढ़ रही है और दक्षिणपूर्व एशिया के बाद दक्षिण एशिया मानव तस्करी का दूसरा बड़ा क्षेत्र है।
भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय ने बुधवार को कहा कि संयुक्त अरब अमीरात के साथ संधि का उद्देश्य विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की मदद करना है। इसके लिये तस्करी रोधी इकाइयों और कार्यबलों का गठन किया जाएगा, जिससे द्विपक्षीय सहयोग बढ़ेगा।
पत्र सूचना कार्यालय के बयान में कहा गया है कि दोनों देश तेजी से जांच और तस्करों के मुकदमे सुनिश्चित करेंगे और स्वदेश भेजे जाने वाले पीड़ितों के जल्दी से "सुरक्षित और प्रभावी पुर्नमिलन" के लिये उनके अधिकारों की रक्षा करेंगे।
बयान में कहा गया है कि संधि पर "बहुत जल्दी" हस्ताक्षर किये जाने की उम्मीद है।
भारत और पड़ोसी बांग्लादेश के बीच भी तस्करी रोधी समझौता है।
भारत संयुक्त अरब अमीरात के लिए मानव तस्करी के स्रोत के साथ ही एक पारगमन देश भी है। दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्व और मध्य एशिया तथा पूर्वी यूरोप से पुरूषों, महिलाओं और बच्चों को संयुक्त अरब अमीरात ले जाया जाता है, जहां उनसे जबरन मजदूरी करवाई जाती है और यौन कर्म में ढ़केला जाता है।
बयान के अनुसार पुरुष निर्माण स्थलों, होटलों में और चालकों के रूप में काम करने के लिए, जबकि महिलाएं घरेलू नौकरानियों, नर्सों, ब्यूटिशियन और सफाई का काम करने के लिये स्वेच्छा संयुक्त अरब अमीरात जाती हैं।
लेकिन कुछ लोगों को वहां जबरन मजदूरी करनी पड़ती है क्योंकि उनके पासपोर्ट अवैध तरीके से जब्त कर लिये जाते हैं, उनकी आवाजाही पर प्रतिबंध होता है, उनको मजदूरी भी नहीं दी जाती और वे धमकियों तथा शारीरिक या यौन शोषण का शिकार बनते हैं।
बयान में कहा गया है कि “मानव तस्करी रोकने और पीडि़तों की रक्षा के लिये भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच सभी स्तरों पर तस्करी रोधी उपायों को सुदृढ़ करना आवश्यक है।"
(रिपोर्टिंग- रीना चंद्रन, संपादन – टीम पीयर्स। कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। और समाचारों के लिये देखें http://news.trust.org)
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