नीता भल्ला
नई दिल्ली, 27 अप्रैल (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - वह एक आपदा थी, जिसने वैश्विक फैशन उद्योग को अंदर तक झकझोर दिया था। इस दुर्घटना ने पश्चिमी देशों के उच्चr श्रेणी के स्टोमर्स में बेची जाने वाली पोशाकों की सिलाई करने वाले लाखों बांग्लादेशियों द्वारा कारखानों में झेली जा रही खतरनाक परिस्थितियों की कठोर हकीकत को उजागर कर दिया था।
अप्रैल 2013 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका के बाहरी इलाके में ढहे आठ मंजिला कारखाना परिसर- राना प्लाजा के मलबे से कुल 1,136 परिधान श्रमिकों के शव बाहर निकाले गये थे। इस कारखाने से बड़े फैशन ब्रांड के खुदरा विक्रेताओं के लिए पोशाकों की आपूर्ति की जाती थी।
विशेषज्ञों ने खेद व्यरक्त करते हुये कहा कि तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी सरकार, खुदरा विक्रेता, कारखाना मालिक और उपभोक्ताओं ने श्रमिकों की सुरक्षा के लिए कुछ नहीं किया है। ऐसे में त्रासदी से एक छोटी सी आशा की किरण निकली है, जो धीरे-धीरे देश के दक्षिणपूर्वी हिस्सेे में रोशनी फैला रही है।
कारखाने की मंजिलों के स्थारन पर कक्षाएं लगाई जा रही हैं और सिलाई मशीनों का स्थाहन कंप्यूटरों ने ले लिया है। 22 महिला परिधान श्रमिकों ने अपनी नौकरी छोड़ कर विशेष कोर्स में पूर्वस्नाातक डिग्री पाने के लिये अपनी तरह के पहले एशियाई महिला विश्वविद्यालय (एयूडब्युकोर्) में प्रवेश लिया है।
दुर्घटना के बाद स्थापित किये गये इस विश्वएविद्यालय के भरोसेमंद पाथवेज कोर्स का उदे्श्यप उच्च शिक्षा के माध्यरम से महिला कर्मियों को सशक्त बना कर बांग्लादेश के आकर्षक परिधान क्षेत्र का भविष्य उज्जयवल बनाने में महिलाओं की आवाज बुलंद करना है।
एयूडब्यु्य म सहायता फाउंडेशन के अध्यक्ष और मुख्यय कार्यकारी अधिकारी कमाल अहमद ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "राना प्लाजा की दुर्घटना श्रमिकों के प्रति मानवता के लिए औद्योगिक असंवेदनशीलता का प्रतीक है। इन लोगों के भी सपने और परिवार हैं, लेकिन तबाही तक उनकी व्यवथा के बारे में कोई नहीं जान पाया था।"
उन्होंाने कहा, "अनगिनत आयोगों की रिपोर्ट विधिवत संकलित और वितरित की गई हैं, लेकिन श्रमिक न तो अपनी आवाज राष्ट्रीय स्तर पर उठा पाये हैं और ना ही नए कानून को कारगर करवा पाये हैं।"
अहमद का कहना है कि पांच साल के डिग्री कोर्स से युवा महिलाओं को रेडीमेड परिधान उद्योग या अन्य क्षेत्र, जिसमें वे जाना चाहती हैं उस क्षेत्र की मार्गदर्शक बननें में मदद मिलेगी।
"संपूर्ण छात्रवृत्ति, मासिक वेतन"
बांग्लादेश चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा परिधान निर्माता है। यहां का परिधान उद्योग दक्षिण एशियाई राष्ट्रा की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण स्तंभ है। निर्यात से सालाना लगभग एक हज़ार 700 अरब रूपए की आय होती है और सकल घरेलू उत्पाद में इसका 20 प्रतिशत का योगदान है।
देश के 5,000 कपड़ा कारखानों में 40 लाख कारीगर काम करते हैं, जो मैंगो, जारा, एच एंड एम, नेक्ट् ए गैप, मार्क्स एंड स्पेंसर और टारगेट जैसे उच्च फैशन ब्रांडों के लिए शॉर्ट्स, टी-शर्ट, जींस और पोशाकें बनाते हैं।
60 प्रतिशत से अधिक परिधान कारीगर महिलाएं होती हैं। इसके बावजूद वे दर्जिन जैसे कनिष्ठ पदों पर काम करती हैं, जबकि प्रबंधन के वरिष्ठ पदों पर ज्याजदातर पुरुष काबिज होते हैं।
विशेषज्ञ इस असमानता का कारण पुरुष कर्मियों की तुलना में महिला परिधान कर्मियों की कम शैक्षिक योग्यता मानते हैं। कई ग्रामीण क्षेत्रों की गरीब महिलाएं होती हैं, जिन्हें अपने परिवार की मदद के लिये स्कूल छोड़ कर कारखानों में काम करना पड़ता है।
बांग्लादेश के बंदरगाह शहर चिटगांव स्थित विश्वीविद्यालय ने 2008 में एशिया और मध्य पूर्व के वंचित परिवारों की प्रतिभावान युवा महिलाओं के लिए निशुल्क डिग्री कोर्स की शुरूआत की।
आइकेईए फाउंडेशन सहित दानदाताओं द्वारा वित्त पोषित इस विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र, जन स्वास्थ्य, दर्शन, पर्यावरण विज्ञान और राजनीति विज्ञान जैसे विषयों में 500 छात्र स्नातक डिग्री कोर्स कर रहे हैं।
जनवरी में विश्व्विद्यालय ने एक और कदम आगे बढ़ाकर महिला परिधान श्रमिकों के लिए पहला डिग्री कोर्स शुरू किया है।
पाथवेज कोर्स की समन्वयक माउमीता बसाक ने कहा, "हम उन महिला परिधान कर्मियों को अवसर देना चाहते हैं, जो स्कू ल जाती थीं, लेकिन गरीबी और परिवार की आर्थिक मदद करने की मजबूरी के चलते वे अपनी शिक्षा जारी नहीं रख पाईं।"
उन्होंरने बताया, "चयनित 22 परिधान कर्मियों को पांच साल के लंबे कोर्स के लिए संपूर्ण छात्रवृत्ति मिलेगी और खास बात यह है कि कर्मी के स्नातक हो जाने के बाद उसके काम पर वापस आने की कोई गारंटी न होने के बावजूद उनके मालिक इन कारीगरों को वेतन देंगे।"
बसाक ने कहा कि कर्मियों को प्रति माह लगभग 6,500 रूपए वेतन देना इस कोर्स की सफलता की कुंजी है, क्योंनकि कर्मी का परिवार उसकी आय पर निर्भर होता है इसलिये अगर उन्हेंि वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़े तो वे कर्मी को अध्यंयन की अनुमति देने से इनकार कर सकते है।
"जीवन बदलने का अवसर"
बसाक का कहना है कि इतना सब होने के बावजूद इस कोर्स को "चलाना कठिन" है । पिछले वर्ष उन्होंयने कई कारखानों में जाकर मालिकों को समझाने की कोशिश कि उनकी प्रतिभाशाली महिला कारीगरों को पांच साल की अवधि के लिए काम से मुक्त कर दें और इस दौरान उन्हेंआ पूरा वेतन भी दें।
उन्होंमने बताया, "मैं मालिकों को बताती थी कि इससे राना प्लाजा दुर्घटना के बाद बिगड़ी बांग्लादेश के परिधान क्षेत्र की अंतरराष्ट्रीय छवि सुधारने में मदद मिलेगी और उनके कारखानों का सकारात्मक प्रचार भी हो सकता है।"
कई कारखाना मालिकों ने इस पहल में कोई उत्सासह नहीं दिखाया, लेकिन पांच कंपनियां - अनंत समूह, सम्मालन समूह, पाउ चेन समूह, मोहम्मदी समूह और निट कंसर्न इसमें शामिल हुयी हैं।
9,000 श्रमिकों को रोजगार देने और एच एंड एम ब्रांड के लिए पोशाक बनाने वाले ढाका के मोहम्मदी समूह की प्रबंध निदेशक रूबाना हक का कहना है कि बांग्लादेश के लिये यह अच्छे कार्य करने का समय है।
हक ने कहा, "मुझे लगता है कि आगे चलकर महिला श्रमिकों के जीवन को बदलने का यह प्रयास सार्थक होगा। मैं हमेशा सोचती थी कि सिलाई के अलावा भी हमारी महिलाओं का कोई सपना या उम्मीद है क्या।? जब कुछ महिलाओं ने अपने हाथ उठाये और परखने की इच्छा व्यक्त की, तो मुझे सुखद आश्चर्य और बेहद खुशी हुई।"
हक ने बताया कि उनकी कंपनी ने अपने दो कारीगरों को पाथवेज कोर्स करने की अनुमति दी है और कंपनी अगले पांच साल तक उनके वेतन का भुगतान करेगी। उन्होंवने कहा कि वे नए सत्र से कोर्स करने के अपनी महिला कर्मियों को अधिक प्रोत्साहित करेंगी।
कठिन परीक्षा पास करने के बाद विश्वकविद्यालय द्वारा चुने गये युवा परिधान कर्मियों के लिये स्नातक की डिग्री हासिल करने का अवसर सपना सच होने के समान है।
अनंत समूह के स्वामित्व वाले कारखाने में पूर्व गुणवत्ता नियंत्रण निरीक्षक 28 वर्षीय सोनिया गोम्स ने कहा, "मैं हमेशा से ही और पढ़ना चाहती थी, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। मेरे माता-पिता बूढ़े हैं और मेरी दो छोटी बहने हैं, इसलिये परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेोदारी केवल मुझ पर है।"
सोनिया ने कहा, "मैंने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी, तब विश्वविद्यालय के कोर्स के बारे में सुना। मेरा चयन होने पर मुझे बहुत खुशी हुई। मुझे उम्मीद है कि इससे मेरा जीवन बदल जाएगा। मैं व्यवसायी बनना चाहती हूं। कर्मियों को उनके अधिकार दिलाने के लिये अन्य परिधान कर्मियों के साथ सहयोग करने की भी मेरी योजना है।"
(रिपोर्टिंग- नीता भल्ला, संपादन- टिम पीयर्स। कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। और समाचारों के लिये देखें http://news.trust.org)
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