मु्ंबई, 3 मई (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) – पूर्वी भारत में सबसे गरीब लड़कियों की पहचान करने के लिये तैयार किया गया टेबलेट आधारित एप्लीकेशन मानव तस्करी, बाल विवाह और बाल श्रम रोकने में मददगार हो सकता है। यह कहना है इस एप को बनाने वाली धर्माथ संस्था का।
एक्सेंचर लैब और धमार्थ संस्था- चाइल्ड इन नीड इंस्टीट्यूट (सीआईएनआई) द्वारा विकसित जी पावर या गर्ल पावर नाम के इस एप का उपयोग पश्चिम बंगाल में 20 गांवों के 6,000 से अधिक परिवारों की जानकारी लेने के लिये किया गया।
उत्तरदाता की कमजोर आर्थिक स्थिति के बारे में जानने के लिये एप्लीकेशन में स्वास्थ्य, पोषण, सुरक्षा और शिक्षा से संबंधित कई प्रश्न हैं।
सीआईएनआई की सहायक निदेशक इंद्राणी भट्टाचार्य ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "इस प्रौद्योगिकी की मदद से हम मिनटों में सबसे गरीब लड़कियों की पहचान कर लेते हैं। इसके बाद हम कार्ययोजना बनाते हैं और तस्करी, बाल विवाह और बाल श्रम जैसी अनहोनी घटने के बाद कुछ करने की कोशिश के बजाय इन्हें रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करते हैं।"
भट्टाचार्य का कहना है कि प्रश्नावली के उत्तर देने में 30 मिनट लगते हैं और इनका विश्लेषण मिनटों में हो जाता है। एकत्रित की गई इस जानकारी के आधार पर समुदाय का कार्यकर्ता तय करता है कि लड़कियों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिये या परामर्श अथवा व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये।
महिलाओं और बच्चों की तस्करी कर उन्हें देह व्यापार में ढ़केलने के लिये पश्चिम बंगाल स्रोत और पारगमन राज्य है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2014 में देश में दर्ज किये गये मानव तस्करी के 5466 मामलों में से करीबन 1093 मामले पश्चिम बंगाल के हैं।
कई पीड़ित राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों या पड़ोसी बांग्लादेश से होते हैं, जिन्हें अच्छी नौकरी दिलाने या शादी कराने का लालच दिया जाता है, लेकिन इसके बजाय उन्हें मुंबई और नई दिल्ली जैसे शहरों में वेश्यावृत्ति के लिये बेच दिया जाता है।
बेंगलुरु में एक्सेंचर लेब के प्रबंध निदेशक संजय पोद्दार ने कहा कि जी पावर विशेष रूप से देश के ग्रामीण इलाकों के लिये अनुकूल है, जहां उचित मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं होती है और बिजली आपूर्ति भी अनियमित होती है।
उन्होंने कहा , "अन्य मानकों को शामिल करने या देश की अन्य सामाजिक समस्याओं के समाधान करने में भी इस एप का उपयोग आसानी से किया जा सकता है।"
भारत मोबाइल फोन का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। यहां एक अरब से अधिक लोग मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं। मौसम की रिपोर्ट से लेकर वस्तुओं की कीमतों और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ग्रामीण उपभोक्ताओं में मोबाइल एप्लीकेशन लोकप्रिय हो रहे हैं।
पोद्दार ने कहा, "देश में समस्या गंभीर है। यह इतनी अधिक है कि एक गैर सरकारी संगठन की पहुंच उतनी नहीं हो सकती है।"
उन्होंने कहा, "सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए, प्रौद्योगिकी केवल अच्छी ही नहीं, बल्कि जरूरी है।"
(रिपोर्टिंग- रीना चंद्रन, संपादन – केटी नुएन। कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। और समाचारों के लिये देखें http://news.trust.org)
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