नई दिल्ली, 31 मई (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) – महिला एवं बाल विकास मंत्री ने मानव तस्करी की रोकथाम के लिये देश का पहला व्यापक मसौदा विधेयक जारी किया, जिसमें सहायता और संरक्षण देने के लिये बचाये गये लोगों को अपराधियों के बजाय पीडि़त माना जायेगा।
संयुक्त राष्ट्र नशीली दवा और अपराध कार्यालय के अनुसार विश्व में दक्षिण एशिया में मानव तस्करी सबसे तेजी से बढ़ रही है और पूर्व एशिया के बाद यह मानव तस्करी का दूसरा बड़ा क्षेत्र है, जिसका केंद्र भारत है।
दक्षिण एशिया में तस्करी किये जा रहे लोगों की संख्या के बारे में सही आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन कार्यकर्ताओं का कहना है कि अधिकतर भारत और उसके गरीब पड़ोसी देश नेपाल तथा बांग्लादेश से हजारों महिलाओं और बच्चों की तस्करी की जाती है।
इनमें से कईयों की जबरन शादी कर दी जाती है या बंधुआ मजदूर के तौर पर मध्यम वर्गीय घरों, छोटी दुकानों और होटलों में काम करने के लिये बेच दिया जाता है अथवा वेश्यालयों में भेज दिया जाता है, जहां उनके साथ बार बार दुष्कर्म होता है।
श्रीमती मेनका गांधी ने कहा कि मसौदा विधेयक का उद्देश्य वर्तमान तस्करी रोधी कानूनों को एकजुट करना, बचाये गये लोगों की जरूरतों को प्राथमिकता देना और छापे के दौरान वेश्यालय में पाये गये पीडि़तों को तस्करों की तरह गिरफ्तार कर जेल भेजने से बचाना है।
श्रीमती गांधी ने सोमवार को मानव तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) मसौदा विधेयक, 2016 जारी करते हुये कहा, "यह विधेयक अधिक संवेदनशील है। इसमें पीडि़त तथा तस्कर के बीच के अति सूक्ष्म अंतर को स्पष्ट किया गया है, जिसे 60 वर्ष पहले ही स्पष्ट किया जाना चाहिये था।"
मसौदा विधेयक में तस्करी के मामलों की सुनवाई में तेजी लाने के लिये विशेष अदालतों और पीड़ितों को दोबारा सामान्य जीवन शुरू करने में मदद के लिये अधिक आश्रय स्थलों तथा पुनर्वास कोष का भी प्रावधान है।
इसमें जिला, राज्य और केंद्रीय स्तर पर तस्करी रोधी समिति गठित करने का भी प्रावधान है, जो रोकथाम, संरक्षण और पीडि़तों के पुनर्वास के कार्यों की निगरानी करेगी।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार 2014 में मानव तस्करी के 5,466 मामले दर्ज किए गए थे, जो पिछले पांच वर्षों की तुलना में 90 प्रतिशत अधिक है। हालांकि कार्यकर्ताओं का कहना है इस समस्या का अनुपात अनुमान से बहुत अधिक है।
हर साल तस्कर अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों के हजारों गरीब महिलाओं और बच्चों को अच्छी नौकरी दिलाने का झांसा देकर शहर ले जाते हैं, लेकिन वहां उन्हें घरेलू काम करने या देह व्यापार अथवा कपड़ा कारखानों जैसे उद्योगों में काम करने के लिये बेच दिया जाता है।
कईयों को उनका मेहनताना नहीं दिया जाता या ऋण बंधक बना लिया जाता है। कुछ लापता हो जाते हैं, जिन्हें उनके परिजन भी ढूंढ नहीं पाते हैं।
श्रीमती गांधी ने कहा कि मसौदा विधेयक से मुकदमे मजबूत होंगे और राज्यों के बीच कार्यों में समन्वय के लिये विशेष जांच एजेंसी की स्थापना से अधिक से अधिक अभियुक्तों का अपराध साबित हो पायेगा तथा तस्करी के अपराधों पर खुफिया जानकारी इकट्ठा की जा सकेगी।
अधिकारियों ने बताया कि मसौदा विधेयक में अपराधियों से जुर्माना वसूलने और गुलामी के दौरान जिन पीड़ितों को उनकी मजदूरी नहीं दी जा रही थी उसकी भरपाई करने का भी प्रावधान है।
मसौदा विधेयक में तस्करी के लिए मादक पदार्थ खिलाना या शराब पिलाना और शोषण के लिये रासायनिक पदार्थों या हार्मोन का इस्तेमाल करना अपराध है।
श्रीमती गांधी ने कहा कि उनका मंत्रालय 30 जून तक प्रस्तावित विधेयक में और सुधार के बारे में सुझाव स्वीकार करेगा।
उन्होंने कहा कि उसके बाद इस विधेयक पर प्रतिक्रिया के लिए इसे सभी मंत्रालयों को भेजा जायेगा और अंतिम विधेयक को इस साल के आखिर में संसद में पेश किये जाने की संभावना है।
(रिपोर्टिंग- नीता भल्ला, संपादन- अलिसा तांग; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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