- गोपाल शर्मा
काठमांडू, 24 जून (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - श्रम मंत्री दीपक बोहरा ने शुक्रवार को बताया कि इस सप्ताह के शुरू में अफगानिस्तान की राजधानी में तालिबान के एक आत्मघाती हमलावर द्वारा 13 नेपाली सुरक्षा गार्ड की हत्या किये जाने के बाद नेपाल ने अपने नागरिकों पर अफगानिस्तान, इराक, लीबिया और सीरिया में काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
यह निर्णय एक संसदीय समिति द्वारा प्रधानमंत्री के.पी. ओली की सरकार को हर साल हजारों प्रवासियों को युद्ध ग्रस्त देशों में भेजने वाले तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश देने के बाद आया है। इन प्रवासियों को संघर्षरत देशों में अक्सर खतरे का सामना करना पड़ सकता है या वहां उनका शोषण हो सकता है।
बोहरा ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "उन देशों में सुरक्षा का स्थिति को देखते हुये हमने यह निर्णय लिया है। उन देशों में पहले से काम कर रहे हमारे नागरिक अगर घर लौटना चाहते हैं, तो सरकार उसके लिए व्यवस्था करेगी।"
नेपाल दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है।
एक दशक तक चले गृह युद्ध के 2006 में समाप्त होने के बाद से ही राजनीतिक अस्थिरता के कारण कम निवेश, अवरुद्ध विकास और रोजगार सृजन में कटौती से हतोत्साहित हजारों नेपाली काम की तलाश में विदेशों में पलायन करने को मजबूर है।
हिमालयी राष्ट्र में पिछले साल अप्रैल और मई में आये दो भूकंप से हालात और बदतर हो गये है, जिसमें 8,800 से अधिक लोग मारे गए और 20 लाख लोग बेघर हो गये।
अधिकतर प्रवासी गार्ड, चालक, निर्माण श्रमिक या घरेलू स्टाफ के रूप में काम करने के लिए मध्य पूर्व, भारत और मलेशिया जाते हैं और वहां से धन घर भेजते है, जो देश के वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 30 प्रतिशत है।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि हालांकि कई प्रवासियों का अनेक प्रकार से श्रम शोषण होता है जैसे उन्हें बाहर आने जाने की आजादी नहीं होती है, उन्हें घंटों काम करना पड़ता है, वे असुरक्षित माहौल में कार्य करते है और उनका वेतन दबा लिया जाता है।
बोहरा ने कहा कि सोमवार को काबुल में कनाडा के दूतावास में कार्यरत नेपाली गार्डों को ले जा रही एक बस पर किये गये हमले के बाद सरकार ने अपने नागरिकों की सुरक्षा के हित में चार देशों के लिए वर्क परमिट जारी करना बंद करने का फैसला लिया है।
हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि इस प्रतिबंध से कोई मदद नहीं मिलेगी, बल्कि अब मानव तस्कर अधिक नेपाली प्रवासियों को भारत से लगी खुली सीमा के जरिये पहले भारत ले जायेंगे और फिर वहां से उन्हें उक्त देशों में भेज दिया जायेगा।
(रिपोर्टिंग- गोपाल शर्मा, संपादन-रोस रसल; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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