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मुंबई के लाल बत्ती क्षेत्र में कुलीन वर्ग के बसने से यौनकर्मियों का खतरा बढ़ा

by रीना चंद्रन | @rinachandran | Thomson Reuters Foundation
Monday, 27 June 2016 13:34 GMT

मुंबई, 27 जून (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - एक नई रिपोर्ट के अनुसार बढ़ते किराये और पुनर्विकास के कारण यौनकर्मी मुंबई के सबसे पुराने लाल बत्ती जिले से बाहर जाने को मजबूर हैं, जिससे उनका और शोषण होगा।
मुंबई में टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान के सहायक प्रोफेसर रतूला कुंडू ने कहा कि पुलिस छापेमारी और कुलीन वर्ग के बदनाम कमाठीपुरा जिले में बसने से अधिकतर यौनकर्मी यहां से उपनगरीय क्षेत्रों में रहने को मजबूर हो गये हैं, जहां पर सड़कों पर अपना धंधा चलाने से उनका खतरा बढ़ गया है।
कमाठीपुरा के बदलते परिदृश्य पर रिपोर्ट के सह लेखक कुंडू ने कहा, "यौनकर्मी, जिनमें से ज्‍यादातर को तस्‍करी कर यहां लाया जाता है, वे न केवल खतरों का सामना करते हैं, बल्कि पुलिस, दलाल और ग्राहकों की हिंसा भी सहते हैं।"
उन्‍होंने कहा, "पुनर्विकास की प्रक्रिया के जरिये उन्‍हें विस्थापित भी किया जा रहा है।"
महिलाओं और बच्चों की तस्‍करी कर उन्‍हें देह व्यापार में ढ़केलने के लिये भारत गंतव्य और पारगमन देश है। उनमें से अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब लोगों को अच्छी नौकरी दिलाने या शादी कराने का झांसा देकर लाया जाता है।

लेकिन  इसके बजाय उन्‍हें मुंबई जैसे शहरों में वेश्यावृत्ति के लिये बेच दिया जाता है। अन्य राज्यों तथा पड़ोसी देश नेपाल और बांग्लादेश से महिलाओं की तस्करी कर उन्‍हें सबसे अधिक देश के वित्तीय केंद्र मुंबई में लाया जाता है।
कमाठीपुरा- जहां पर इनमे से ज्‍यादातर महिलाओं को लाया जाता है- कभी कपड़ा मिलों और डॉकलैंड्स के मजदूरों के लिये यौनकर्मी काम करती थीं।

पुलिस छापेमारी से कुछ वेश्यालय बंद हो गये हैं और तेजी से विकास होने से कई पुरानी इमारतों में जहां वेश्यालय थे उन्‍हें गिरा कर बहुमंजिला आवासीय टावरों, मॉल और कार्यालय बना दिये गये हैं।
कुंडू का कहना है कि अब इस इलाके में केवल 1,000 यौनकर्मी रह गये हैं, जबकि 1990 के दशक में यहां लगभग 50,000 यौन कर्मी रहते थे।
कुंडू ने बताया कि विस्थापित यौनकर्मियों का कमाठीपुरा लौटना जारी है और वे सड़को पर अपना काम करने को मजबूर हैं।
धर्मार्थ संस्‍थाएं भी उन पर नज़र नहीं रख पा रही हैं, जिससे स्वास्थ्य की जांच और पहचान पत्र हासिल करने सहित उनकी किसी प्रकार की मदद नहीं की जा रही है।

कुंडू ने कहा, "वेश्यालयों की सुरक्षा की तुलना में अब वे सड़क पर हर प्रकार का खतरा झेल रही हैं।"
उन्‍होंने बताया, "उन लोगों के साथ काम करने वाली धर्मार्थ संस्‍थाओं की उन तक पहुंच अत्‍यंत कम हो गई है, जिससे उनके संरक्षण और सुरक्षा की एक और परत हट गई है।"

संयुक्त राष्ट्र नशीली दवा और अपराध कार्यालय के अनुसार दुनिया में दक्षिण एशिया क्षेत्र में मानव तस्करी सबसे तेजी से बढ़ रही है और दक्षिण पूर्व एशिया के बाद यह तस्‍करी का दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है।

(रिपोर्टिंग-रीना चंद्रन, संपादन-रोस रसल; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। और समाचारों के लिये देखें http://news.trust.org)

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