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साक्षात्कार- नेपाल भूकंप में जीवित बचे लोगों के ऋण ग्रस्ता होने से उनकी तस्करी की आशंका बढ़ी

by रीना चंद्रन | @rinachandran | Thomson Reuters Foundation
Tuesday, 26 July 2016 13:36 GMT

A woman and a child walk past the remains of collapsed houses damaged during the April 2015 earthquake, in Bhaktapur, Nepal March 18, 2016. REUTERS/Navesh Chitrakar

Image Caption and Rights Information

-          रीना चंद्रन

     काठमांडू, 26 जुलाई (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - एक अंतरराष्ट्रीय विकास संगठन का कहना है कि नेपाल में आये दो भूकंप के बाद दोबारा जीवन शुरू करने के लिये पैसा उधार लेने वाले बेघर हुये हजारों नेपालियों का कर्ज चुकाने के लिये उनकी तस्करी किये जाने या गुर्दे बेचने का लालच देने का खतरा बढ़ गया है।

 पिछले अप्रैल और मई में आये भूकंप के बाद नेपाल को पुनर्निर्माण के लिए दानदाताओं से लगभग 4.1 अरब डॉलर प्राप्‍त हुये। हिमालयी राष्ट्र में आये भूकम्‍प में 9,000 लोग मारे गए, कम से कम 22,000 लोग घायल हो गए और नौ लाख से अधिक मकान क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गये थे।

  एशिया फाउंडेशन ने मंगलवार को कहा कि एक साल से भी अधिक बीतने के बावजूद धीमी गति से चल रहे पुनर्निर्माण कार्य में देश के नए संविधान पर अशांति के कारण और देरी हो रही है। काम न मिलने के कारण हजारों नेपाली कर्ज में ढूबे हुये हैं।

   काठमांडू में एशिया फाउंडेशन की उप प्रतिनिधि नंदिता बरुआ ने कहा, "उनकी ऋण चुकाने की क्षमता बहुत कम है और इस स्थिति में उनका अधिक शोषण होता है।"

    थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को दिये साक्षात्कार में उन्‍होंने बताया, "हताशा में वे अधिक खतरे उठाते हैं जैसे बेहतर जीवन की चाह में अपने बच्‍चों को देश से दूर भेजते हैं या अपने गुर्दे तक बेचते हैं।"

   बरुआ ने कहा, "आने वाले दिनों में हम देखेंगे कि अपना कर्ज चुकाने के लिये ज्‍यादा पैसा कमाने के लिये अधिकतर लोग बाहर जायेंगे और उनमें से कुछ लोगों की तस्करी होगी।"

  नेपाल की अर्थव्यवस्था प्रवासी मजदूरों द्वारा भेजे जाने वाले धन पर निर्भर है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 30 प्रतिशत है।

   भूकंप के बाद सैकड़ों प्रवासी श्रमिक अपने परिजनों की मदद के लिए नेपाल लौट आए हैं।

   बरुआ ने कहा कि पुनर्निर्माण के खर्च के बावजूद घर लौटने के लिये कई लोगों ने अपने मालिकों के यहां कई महीने मजदूरी के बगैर भी काम किया।

  उन्‍होंने उन्‍होंने बताया, "ये श्रमिक विदेश जाने के लिए दो से पांच लाख नेपाली रुपये देते हैं और बाद में भी उस कर्ज को चुकाते रहते हैं।"

    उन्‍होंने कहा, "भूकंप से उनकी ऋणग्रस्तता की स्थिति विकट हो गई है।"

 

Family members work to rebuild their house a year after the 2015 earthquakes in Bhaktapur, Nepal, April 25, 2016. REUTERS/Navesh Chitrakar

"सीमा पर रोकथाम"

     कार्यकर्ताओं का कहना है कि पिछले साल की आपदा के बाद से अधिक संख्‍या में नेपाली महिलाओं और बच्चों की तस्करी किये जाने के संकेत मिले हैं।

   तस्करी रोकने के लिये कार्य करने वाली धर्मार्थ संस्‍था-मैती नेपाल का कहना है कि उसने भूकंप के बाद तीन महीने में नेपाल-भारत सीमा पर मानव तस्करी के पीड़ितों के संदेह में 745 महिलाओं और बच्चों को रोका है।

   उनके आंकड़ों से पता चलता है कि इसकी तुलना में भूकंप से पहले तीन महीनों में ऐसे 615 पीडि़तों को रोका गया था।

  देश के मानवाधिकार आयोग के अनुसार नेपाल मानव तस्करी के लिये स्रोत और गंतव्य देश है, जहां से हर साल लगभग 8,500 नेपालियों की तस्करी की जाती है।

  आम तौर पर महिलाओं को देह व्‍यापार, घरेलू काम और जबरन शादी करवाने के लिए तस्करी कर भारत, मध्य पूर्व एशिया, चीन और दक्षिण कोरिया भेजा जाता है, जबकि पुरुषों को निर्माण क्षेत्र, होटल और चालक के तौर पर काम करने के लिये भारत, मध्य पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया भेजा जाता है।

   कार्यकर्ताओं का कहना है कि कुछ पीड़ितों को उनके गुर्दे बेचने का लालच देकर भारत लाया जाता है, जहां अंगों की कमी के कारण अवैध प्रत्यारोपण के लिये अंगों की काला बाजारी होती है।

  उनका कहना है कि एशियाई विकास बैंक के पूर्वानुमान के अनुसार पुनर्निर्माण में देरी और व्यापार अवरोधों के बाद इस वित्त वर्ष में मध्य जुलाई तक नेपाल की अर्थव्यवस्था में केवल 1.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और अर्थव्यवस्था में सुधार पुनर्निर्माण की गति पर निर्भर है।

  बरुआ ने कहा, "अब सहायता राशि भी मिलना बंद हो जायेगी। ऐसे में और अधिक लोग बाहर जायेंगे तथा अधिक तस्‍करी होगी।"

  उन्‍होंने कहा, "जिन लोगों ने कर्ज लिया हुआ है, उनके पास कोई और विकल्प नहीं है।"

       (1डॉलर = 107.752 नेपाली रुपया)  

(रिपोर्टिंग- रीना चंद्रन, संपादन-केटी नुएन; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org) 

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