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भारत में स्थिरता प्रमाणित चाय बागानों में श्रमिकों के अधिकारों का उल्लंघन - रिपोर्ट

by Anuradha Nagaraj | @anuranagaraj | Thomson Reuters Foundation
Tuesday, 30 August 2016 04:35 GMT

Tea estates certified by the international nonprofit Rainforest Alliance are illegally denying temporary workers the benefits they offer to permanent workers

- अनुराधा नागराज

चेन्नई, 30 अगस्त (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण भारत के चाय बागानों में चाय की पत्तियां चुनने के लिये अस्थायी श्रमिकों को रखा जाता है और इन मजदूरों को कानून के अनुरूप जरूरी बुनियादी अधिकार भी नहीं दिये जाते हैं।

अंतरराष्ट्रीय लाभ निरपेक्ष संस्थाु-रेनफॉरेस्ट एलायंस द्वारा प्रमाणित तमिलनाडु के दो चाय बागानों में किये गये सर्वेक्षण में पाया गया कि 2015 में वहां पर लगभग आधे श्रमिक अस्थाायी थे, जिनमें से अधिकतर प्रवासी या सेवानिवृत्त कर्मी थे।

मजदूरों के साथ की गई सामूहिक चर्चा और निजी इंटरव्यू में पता चला कि आकस्मिक मजदूरों को बोनस, उनके बच्चों की स्कूल फीस के लिए योगदान, पेंशन फंड, क्रेच की सुविधा या स्थायी श्रमिकों को दी जाने वाली अन्य सामाजिक सुरक्षा जैसे लाभ नहीं दिये गये हैं।

श्रम और मानवाधिकारों के लिये कार्य कर रहे गैर सरकारी संगठन- भारत के ग्लो्कल रिसर्च और नीदरलैंड की भारत समिति की रिपोर्ट मे कहा गया है कि "दुनिया भर में चाय श्रमिक खतरनाक और अपमानजनक माहौल में काम करने को मजबूर हैं।"

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के बाद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े चाय उत्पादक देश भारत के चाय बागानों में लगभग 35 लाख श्रमिक काम करते हैं।

यह रिपोर्ट भारत के मुख्य चाय उत्पाादक क्षेत्रों में से एक तमिलनाडु के नीलगिरि जिले पर केंद्रित है, जहां के चाय बागानों में लगभग दो लाख श्रमिक काम करते हैं।

इनमें से आधे मजदूर देश के अन्य भागों से आए प्रवासी हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय बागान अधिनियम, 1951 के अनुसार अस्थायी और स्थायी सभी श्रमिकों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए। लेकिन सरकारी अधिकारियों की लापरवाही से चाय बागान प्रबंधक श्रमिकों को उनके अधिकारों से वंचित रखते हैं।

रिपोर्ट में श्रमिकों को शिक्षा, विवाह, मकान बनवाने और आपात स्थिति से निपटने के लिए साल में एक बार दी जाने वाली अग्रिम रकम पर भी चिंता जताई है।

अस्थायी श्रमिक अगर अन्य रोजगार के लिए बागान छोड़ना चाहते हैं तो उन्हें सारी अग्रिम राशि चुकानी पड़ती है, जिसकी वजह से कुछ मामलों में ऋण बंधन का चक्र बन जाता है।

रिपोर्ट में पाया गया है कि विशेष रूप से महिला कर्मियों को चोट लगने या बीमारी का खतरा बना रहता है।

यह भी पाया गया कि ओवरटाइम और मुआवजे का भुगतान करने में कानून या लाभ निरपेक्ष संरक्षण समूह- रेनफॉरेस्ट एलायंस और स्थायी कृषि नेटवर्क के मानदंडों का पालन नहीं किया जाता है।

निष्कर्षों पर प्रतिक्रिया देते हुये रेनफॉरेस्टृ एलायंस ने कहा कि उन्होंतने दोनों प्रमाणित बागानों में औपचारिक शिकायत दर्ज करा कर जांच शुरू कर दी है।

दोनों बागानों से चाय खरीदने वाली कंपनी यूनिलीवर का कहना है कि वह बागानों की दोबारा लेखा परीक्षा का स्वागत करती है और "श्रम, सुरक्षा और आवास मानकों में सुधार के लिए वह अपने आपूर्तिकर्ताओं के साथ कार्य कर रही है।"

(रिपोर्टिंग- अनुराधा नागराज, संपादन-अलिसा तांग; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

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