- नीता भल्ला और जतीन्द्र दास
नई दिल्ली / भुवनेश्वर, 30 सितम्बर (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) – स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा अवैध अभ्रक खनन के दौरान बच्चों की मौत की खबर छुपाने के खुलासे के बाद भारतीय अधिकारियों ने अभ्रक खदानों पर छापे मारे, व्यापारियों को गिरफ्तार किया और गैर कानूनी उद्योग को नियमित करने के लिये कदम उठाये हैं।
अभ्रक उत्पादक राज्य झारखंड में तीन महीने की गई जांच से पता चला कि मेकअप और कार पेंट में चमक लाने के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले कीमती खनिज-अभ्रक की बढ़ती काला बाजारी के चलते इसके खनन के दौरान जून से कम से कम सात बच्चों की मौत हो चुकी है।
लेकिन इन मौतों की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई, क्योंकि पीड़ितों के परिजनों और खदान संचालकों को डर था कि ऐसा करने पर अभ्रक का अवैध खनन बंद हो सकता है। देश के कुछ सबसे गरीब क्षेत्रों के लोगों की आय का यही एकमात्र स्रोत है।
कोडरमा जिले के प्रभागीय वन अधिकारी मिथिलेश कुमार सिंह ने कहा कि उनके विभाग ने पिछले महीने से सैकड़ों खानों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है और अब तक दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है तथा सात अन्य लोगों पर अवैध खनन के मामले दर्ज किये गये हैं।
उन्होंने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "हम खानों में काम करने वाले मजदूरों को गिरफ्तार नहीं करते हैं, क्योंकि वे गरीब होते हैं। हम केवल उन लोगों को गिरफ्तार करते हैं, जो इन मजदूरों से अवैध खनन करवाते हैं।"
उन्होंने कहा कि छापे मारी के दौरान खदानों से भारी मात्रा में निकाले गये अभ्रक को बाहर ले जाने वाले ट्रक और वैन सहित पांच वाहन भी जब्त किये गये।
भारत दुनिया के सबसे बड़े अभ्रक उत्पादक देशों में से एक है। चांदी के रंग के क्रिस्टलीय खनिज- अभ्रक के पर्यावरण अनुकूल होने के कारण हाल के वर्षों में लोकप्रियता बढ़ी है। इसका इस्तेमाल कार और निर्माण क्षेत्रों, इलेक्ट्रॉनिक्स और "प्राकृतिक" श्रृंगार में होता है।
कभी 700 से अधिक खानों के इस उद्योग पर वनों की कटाई रोकने के 1980 के नियम और प्राकृतिक अभ्रक के विकल्प मिल जाने का बुरा असर पड़ा और अधिकतर खानों को मजबूरन बंद करना पड़ा।
लेकिन अभ्रक की लोकप्रियता दोबारा बढ़ने के कारण अवैध संचालक झारखंड के कोडरमा और गिरिडीह के जंगलों में खस्ताहाल, बंद पड़ी खदानों में खनन करवाने लगे हैं।
भारतीय कानून में 18 साल से कम उम्र के बच्चों से खानों और अन्य खतरनाक उद्योगों में काम करवाने पर प्रतिबंध है, लेकिन बेहद गरीबी में गुजर बसर करने वाले कई परिवार अपने बच्चों की कमाई पर निर्भर होते हैं।
अवैध खनन को "बड़ा झटका"
अगस्त में थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन की पड़ताल के बाद झारखंड के श्रम विभाग ने इसकी जांच करने की घोषणा की।
इस महीने की शुरूआत में प्रस्तुत की गई जांच रिपोर्ट में कहा गया कि अभ्रक का अवैध खनन स्थानीय लोगों की आय का मुख्य स्रोत है और इस बात की पुष्टि की गई कि खानों के ढ़हने से कुछ मजदूरों की मृत्यु हुई है। हालांकि, इसमें बच्चों की मौत का कोई सबूत नहीं मिला।
जांच में कहा गया कि 5 मई को अभ्रक निकालने के दौरान कोडरमा के हरैया गांव की तीन महिलाएं मारी गईं और गांव के स्थानीय नेताओं का दावा है कि इस क्षेत्र में कोई भी बच्चा अभ्रक एकत्रित नहीं करता है, बल्कि सभी बच्चे स्कूल जाते हैं।
हालांकि श्रम अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने बाल श्रम को रोकने के लिए राज्य में जन जागरूकता अभियान चला कर छोटी दुकानों और रेस्टोरेंट जैसे स्थानों पर काम कर रहे लगभग 250 बच्चों को बचाया है।
झारखंड के श्रम और रोजगार विभाग के प्रधान सचिव एस के जी रहाते ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "आपकी रिपोर्ट के बाद हमने भी जांच की। श्रम आयोग आवश्यक कार्रवाई कर रहा है।"
"हमने अगस्त के पहले पखवाड़े में ही बाल श्रम रोकने के लिए सभी जिलों में अभियान शुरू किया है, जो सितंबर के पहले पखवाड़े तक चलेगा।"
अधिकारियों ने यह भी कहा कि अवैध क्षेत्र की कुछ अभ्रक खदानों को वैध बनाया जा रहा है। अनुमान है कि भारत के वार्षिक अभ्रक उत्पादन का 70 प्रतिशत उत्पादन इन अवैध खदानों से होता है।
इससे न केवल राज्य को महत्वपूर्ण राजस्व प्राप्त होगा, बल्कि इस क्षेत्र को नियमित भी किया जा सकेगा। यह भी सुनिश्चित किया जायेगा कि सुरक्षित तरीके से अभ्रक का खनन हो और खदानों में बच्चों से काम न करवाया जाये।
अधिकारियों का कहना है कि अभ्रक भंडार के बारे में जानने के लिये भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण शुरू हो चुका है और इसके पूरा होने पर 2017 की शुरूआत में वे ब्लॉकों की हदबंदी और खनन पट्टों की नीलामी शुरू कर देंगे।
झारखंड के भूविज्ञान विभाग की निदेशक कुमारी अंजलि ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया कि सर्वेक्षण के लिये अधिकारियों ने कोडरमा और गिरिडीह जिलों का दौरा किया है और शुक्रवार को वे सरकार को एक रिपोर्ट सौंपेंगे।
झारखंड में बाल अधिकार समूहों ने कहा कि थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन का खुलासा इस क्षेत्र के अवैध अभ्रक खनन के लिए एक 'बड़ा झटका' था। उन्होंने खुलासे के बाद सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का स्वागत किया, लेकिन कहा कि और अधिक प्रयास करने की जरूरत है।
झारखंड में बचपन बचाओ आंदोलन के राज भूषण ने कहा, "थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन की रिपोर्ट ने इस क्षेत्र में हलचल मचा दी है। खुली खानों की नीलामी के लिये कदम उठाए गये हैं और अभ्रक के अवैध व्यापारियों के यहां छापे मारे गये है।"
"यह अभ्रक के अवैध व्यापार के लिए एक बड़ा झटका है। लेकिन हमें इसके परिणामों का इन समुदायों पर पड़ने वाले प्रभाव पर भी विचार करने की जरूरत है, क्योंकि अभ्रक ही उनकी आजीविका का एकमात्र स्रोत है। उन्हें अन्य रोजगार के अवसर दिए जाने चाहिये या खानों के कानूनी हो जाने पर उनके लिये सुनिश्चित काम उपलब्ध होना चाहिए।"
(भुवनेश्वर से रिपोर्टिंग-जतीन्द्र दास और नई दिल्ली से रिपोर्टिंग- नीता भल्ला, लेखन- नीता भल्ला, संपादन-टीमोथी लार्ज; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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