कोलकाता, 28 नवम्बर (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - पूर्वी भारत में पुलिस ने सोमवार को एक संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी के गिरोह की जांच में वृद्धाश्रमों और मानसिक विकलांगों के आश्रमों पर छापा मारने के दौरान 13 बच्चों को बचाया और दो नवजात शिशुओं के कंकाल बरामद किये।
पश्चिम बंगाल के गरीब दक्षिण 24 परगना जिले में शुक्रवार को एक धर्मार्थ संस्था द्वारा चलाये जा रहे मानसिक विकलांगों के आश्रम से एक वर्ष से कम उम्र के दस शिशु बरामद किये गए।
दो और शिशु पड़ोसी जिले- उत्तरी 24 परगना में छापे के दौरान एक अन्य धर्मार्थ संस्था के गोद लेने के केंद्र के कार्यालय परिसर में पाए गए।
21 नवंबर को एक नर्सिंग होम में बंद पड़े एक गोदाम में बिस्कुट के गत्ते के बक्से के अंदर छिपाये गये तीन नवजात शिशुओं के मिलने के बाद से यह छापेमारी शुरू की गई है। इस नर्सिंग होम में महिलाएं प्रसव या गर्भपात कराने के लिए आती थीं।
पश्चिम बंगाल के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) के राजेश कुमार ने बताया कि नवजात शिशुओं को भारत तथा विदेशों में गोद देने के लिए तस्करी करने के आरोप में 18 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
सीआईडी के अपर महानिदेशक कुमार ने सोमवार को कहा, "यह गैर सरकारी संगठनों, नर्सिंग होम, डॉक्टरों और अवैध गोद लेने तथा बच्चों की तस्करी के बिचौलियों का बड़ा नेटवर्क है, जिसका पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। इस मामले में मिले सुराग पर अब हमारे लोग व्यापक जांच पड़ताल कर रहे हैं।"
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि गर्भपात कराने के लिए क्लीनिक आने वाली अविवाहित लड़कियों और महिलाओं को वहां के कर्मचारी बच्चा पैदा कर उन्हें बेचने के लिए राजी करते थे।
पुलिस ने शिशुओं की कीमत के बारे में कुछ नहीं बताया, लेकिन स्थानीय खबरों में कहा गया है कि माताओं को एक लड़के के लिए तीन लाख रुपये और लड़की के लिये एक लाख रुपये दिए जाते थे।
पुलिस ने कहा कि वहां के कर्मचारी प्रसव के लिये क्लिनिक में आने वाली महिलाओं के शिशुओं की चोरी भी करते थे और उन्हें बताया जाता कि उनका बच्चा मृत पैदा हुआ था। कुछ माता पिता को धोखा देने के लिये क्लिनिक में ही संरक्षित मृत शिशु के शव भी उन्हे दिखाये गये थे।
यहां से शिशुओं को बिस्कुट रखने के डिब्बों में तस्करी कर बच्चा गोद लेने के केंद्रों, वृद्धाश्रमों और मानसिक विकलांगों के आश्रमों में भेजा जाता था। गोद लिये जाने तक इन शिशुओं को यहीं पर रखा जाता था।
इस मामले में अभी तक क्लिनिकों के मालिकों, दाइयों, डॉक्टरों, धर्मार्थ संस्थाओं के मालिकों के साथ ही बच्चे गोद लेने के फर्जी दस्तावेज बनाने के आरोपी अदालत के क्लर्कों को गिरफ्तार किया गया है।
"शिशु, कंकाल, विदेशी मुद्रा बरामद"
विश्व में दक्षिण एशिया में सबसे तेजी से मानव तस्करी के मामले बढ़ रहे हैं और भारत इसका केंद्र है।
गिरोह हर साल हजारों पीड़ितों को बंधुआ मजदूरी के लिये बेचते हैं या उन्हें घरेलू नौकर के तौर पर अथवा कृषि और निर्माण क्षेत्रों में काम पर रख देते हैं, जहां मालिक उनका शोषण करते हैं। कई महिलाओं और लड़कियों को वेश्यालयों में बेचा जाता है।
पिछले सोमवार को कोलकाता से 80 किलोमीटर दूर बदुरिया के एक नर्सिंग होम में छापे में क्लिनिक के कर्मचारियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने 20 और स्थानों पर छापे मारे हैं। पुलिस का कहना है कि यह अत्यंत संगठित मानव तस्करी का रैकेट है।
पुलिस ने नर्सिंग होम से 25 किलोमीटर दूर मचलंदपुर के बच्चा गोद देने वाली एक धर्मार्थ संस्था के कार्यालय में भी छापा मारा, जहां शुक्रवार को उन्हें दो शिशुओं के कंकाल मिले। संदेह है कि इन शिशुओं की मौत उन्हें बेचे जाने के लिए रखे हुए हो गई होगी।
उसी दिन पुलिस ने बेहाला में मानसिक विकलांगों के एक आश्रम की दूसरी मंजिल पर जमीन पर एक चादर में लिपटे दस बच्चे बरामद किये। उन शिशुओं में कुपोषण के लक्षण दिखाई दे रहे थे और कुछ के सीने तथा त्वचा में संक्रमण हो गया था।
कुमार ने कहा कि बच्चों की तस्करी के गोरख धंधे में लिप्त होने के संदेह में गिरफ्तार डॉक्टरों में से एक के पास से 3,200 डॉलर से अधिक अमरीकी डॉलर, यूरो और हांगकांग डॉलर मिले हैं, जिससे पता चलता है कि शिशुओं को विदेशों में बेचा जा रहा था।
उन्होंने कहा, "विदेशी मुद्रा मिलने का अर्थ है कि इस रैकेट का जाल विदेशों और बच्चा गोद लेने वाले विदेशी दंपत्तियों तक फैला हो सकता है।"
उन्होंने कहा कि बचाये गये शिशुओं में से एक को उसके माता पिता को सौंप दिया गया है। उन्हें क्लिनिक के कर्मचारियों ने कहा था उनका बच्चा मृत पैदा हुआ था। कुमार ने कहा कि पुलिस अन्य शिशुओं के माता पिता और बच्चों को गोद लेने वालों का पता लगाने की भी कोशिश कर रही है।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि बचाये गये शिशुओं का सरकारी अस्पताल में इलाज किया जा रहा है।
पश्चिम बंगाल की महिला और बाल कल्याण मंत्री शशि पांजा ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "मैंने दक्षिण 24 परगना जिले के बाल कल्याण अधिकारी को इस मामले पर गौर करने और बच्चों की उचित देखभाल तथा रखरखाव की व्यवस्था करने को कहा है।"
(रिपोर्टिंग- सुब्रत नागचौधरी, लेखन – नीता भल्ला, संपादन- रोस रसल; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
Our Standards: The Thomson Reuters Trust Principles.