- रोली श्रीवास्तव
मुंबई, 10 जनवरी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) – देश में अंगों की कमी की समस्या से निपटने के लिये राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत अब डॉक्टरों के फोन में लिखित संदेश भेजकर उन्हें याद दिलाया जायेगा कि वे परिवारों को मृतक के अंग दान करने का परामर्श दें। देश में अंगों की कमी के कारण इनकी काला बाजारी बढ़ी है।
पिछले साल मुंबई के एक प्रमुख अस्पताल में एक गरीब महिला का गुर्दा निकालने के रैकेट के खुलासे के बाद से देश में कई अभियान शुरू हुये जिनमें से एक अभियान है "पूछना मत भूलों"। इस अभियान के तहत तीन लाख डॉक्टरों को संदेश भेजा जायेगा।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में देश में दो लाख लोग गुर्दे और 30,000 व्यक्ति जिगर के लिये प्रतीक्षा कर रहे हैं। कानूनी अंग दान से केवल 3 से 5 प्रतिशत मांग ही पूरी हो पाती है।
यह अभियान चलाने वाले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष कृष्ण कुमार अग्रवाल ने कहा, "परिवार में किसी का निधन होने पर शोक संतप्त परिजन उसके अंग दान की बात भूल जाते हैं या वे अत्यधिक देरी से अंग दान करने के लिये आते है। इसलिए हम डॉक्टरों को याद दिला रहे हैं कि किसी की मृत्यु के तुरंत बाद वे उनके परिजनों से अंग दान के बारे में बात करें।"
"अगर मृतक के अंगों को दान देने की प्रवृत्ति बढ़ती है, तो अंगों के लिए मानव तस्करी बंद हो जाएगी।"
भारत में अंगों को बेचना-खरीदना अवैध है। मरीज का कोई करीबी रिश्तेदार ही उसके लिये अंग दान कर सकता है, लेकिन ऐसा कम होता है।
अंग प्रत्यर्पण का इंतजार करते निराशा में कुछ मरीज दलालों को पैसा देकर उनसे अंगों का इंतजाम करने को कहते हैं।
दलाल अंग दान करने वालों की तलाश में गांवों में जाते हैं और वहां वे ग्रामीणों को पैसे का लालच देते हैं या शहर में बढि़या नौकरी दिलाने का झांसा देते हैं।
देश के अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम के प्रमुख अनिल कुमार ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "आमतौर पर जीवन शैली में आये बदलाव से हुई बीमारियों के कारण अंग काम करना बंद कर देते हैं और ज्यादातर यह बीमारियां अमीरों को होती है। इससे गरीबों के शोषण की संभावना बढ़ जाती है।"
कुमार के विभाग को अंगों के कारोबार के विभिन्न तरीकों के बारे में सूचित किया गया है। इनमें वेबसाइटों पर लोगों द्वारा अंग के बदले पैसे देने के विज्ञापन डालने से लेकर अंगों के लिये अपहरण और नेपाल के लोगों का वहां आये भूकंप में क्षतिग्रस्त हुये अपने मकानों के पुनर्निर्माण के वास्ते धन जुटाने के लिये भारत में अंग बेचना शामिल है।
अभियान चलाने वालों का कहना है कि अगर डॉक्टर, विशेष रूप से प्रमुख अस्पतालों की गहन चिकित्सा इकाइयों में तैनात डॉक्टर परिवारों को अंग दान करने का परामर्श देते हैं तो अंगों की मांग और आपूर्ति के अंतर को कम किया जा सकता है।
"पूछना मत भूलों" अभियान महत्वपूर्ण है, क्योंकि बिना किसी बिचौलिये के डॉक्टर सीधे परिवारों को अंग दान के बारे में समझायेंगे।
इस अभियान के तहत डॉक्टरों को अंग दान के बारें में पूछना है, यह याद दिलाने संबंधी पोस्टर भी अस्पतालों में लगाये जायेंगे।
(रिपोर्टिंग- रोली श्रीवास्तव, संपादन- अलिसा तांग; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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