मस्कट, 22 फरवरी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - भारत और बहरीन उन प्रवासी नौकरानियों की सुरक्षा के लिये वित्तीय गारंटी योजना समाप्त करने पर विचार कर रहे हैं, जिन्हें उनके नियोक्ता वेतन नहीं दे रहे हैं। कार्यकर्ताओं को डर है कि इससे अरब राष्ट्र में रह रही हजारों भारतीय महिलाओं की मुश्किलें बढ़ सकती है।
मनामा में भारतीय दूतावास के अनुसार दस लाख की आबादी वाले इस छोटे से खाड़ी देश में तीन लाख से अधिक भारतीय प्रवासी श्रमिक हैं (http://eoi.gov.in/bahrain/?2705?000)।
यहां अधिकांश पुरूष श्रमिक निर्माण कर्मी, माली और ड्राइवर के रूप में कार्यरत हैं। इनके अलावा लगभग 15,000 महिलाएं नौकरानियों के तौर पर काम करती हैं।
इस महीने की शुरूआत में प्रकाशित एक ब्लॉग में बहरीन के श्रम बाजार नियामक प्राधिकरण ने कहा था कि दोनों देश प्रवासी नौकरानियों को वित्तीय सहायता देने वाली योजना रद्द करने के प्रस्ताव का अध्ययन कर रहे हैं। लेकिन ब्लॉग में इस बारे में विस्तृत ब्यौरा नहीं दिया गया था।
भारत में भारतीय प्रवासन अध्ययन केंद्र के निदेशक रफीक रावूथर ने कहा, "अगर भारत सरकार घरेलू कामगारों के वित्तीय गारंटी योजना को समाप्त करने के इस अध्ययन से सहमत होती है, तो घरेलू नौकर असुरक्षित हो जायेंगे।"
बहरीन और भारत के अधिकारी यह बताने के लिये उपलब्ध नहीं थे कि वे सुरक्षा समाप्त करने पर विचार क्यों कर रहे हैं।
खाड़ी देशों में भारतीय कामगारों के शोषण की खबरों के कारण भारत और बहरीन के बीच एक समझौता हुआ था। इसके तहत नियोक्ताओं को मनामा स्थित भारतीय दूतावास में घरेलू नौकरों के लिए लगभग 1 लाख 70 हजार रूपये की बैंक गारंटी का प्रमाण पत्र जमा कराना जरूरी होता है।
इसका उद्देश्य नियोक्ता द्वारा वेतन नहीं देने या नौकरानी का शारीरिक या यौन हिंसा जैसे शोषण की स्थिति में सुरक्षा उपलब्ध कराना और उनके घर लौटने के लिए मुआवजा और वित्तीय सहायता की आवश्यकता को पूरा करना है।
भारत में राष्ट्रीय घरेलू श्रमिक आंदोलन की जोसफिन वलार्मथी का कहना है कि भारत को योजना में परिवर्तन करने से पहले श्रमिकों के हित के बारे में सावधानी से विचार करना चाहिए।
उन्होंने कहा, "इसे समाप्त करने पर श्रमिकों के लिये हालात और अधिक कठिन हो जायेंगे। बैंक गारंटी समाप्त कर सरकार नियमों को आसान बना रही है और वित्तीय गारंटी के बिना श्रमिकों की स्थिति मुश्किल हो जायेगी।"
(रिपोर्टिंग- रेजीमन कट्टप्पन, संपादन- नीता भल्ला और लिंडसे ग्रीफिथ; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा,थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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