चेन्नई / कोलकाता, 1 मार्च (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) – पुलिस ने बुधवार को कहा कि लाखों रुपये में चौबीस से अधिक बच्चों को बेचने के "शिशु तस्करी रैकेट" की मास्टरमाइंड देश की सत्तारूढ़ पार्टी और उसकी महिला शाखा की एक नेता थी।
कार्यकर्ताओं ने दस दिन चली पुलिस तलाशी के बाद जूही चौधरी की गिरफ्तारी पर प्रसन्नता व्यक्त की और शीर्ष अधिकारियों के साथ मानव तस्करों की सांठ गांठ की पूरी जांच करने की मांग की।
पश्चिम बंगाल अपराध जांच विभाग (सीआईडी) के राजेश कुमार ने कहा, "वह शिशु तस्करी रैकेट की मास्टरमाइंड है।"
"वह जलपाईगुड़ी के एक नर्सिंग होम से अवैध तरीके से बच्चे गोद देने और शिशुओं की तस्करी में संलिप्त थी। नर्सिंग होम की मालकिन चंदना चक्रवर्ती को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया है।"
चौधरी तस्करी के आरोप में बुधवार को अदालत में पेश हुई थी। पुलिस के पास औपचारिक आरोप पत्र दाखिल करने के लिए 90 दिन का समय है, जबकि चौधरी ने संवाददाताओं को बताया कि उसे फंसाया जा रहा है।
पुलिस ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की महिला शाखा की नेता चौधरी पिछले महीने से फरार थी और उसे मंगलवार देर रात को पश्चिम बंगाल में भारत-नेपाल सीमा के पास से गिरफ्तार किया गया था।
पश्चिम बंगाल के अनाथालय बंद करने और निःसंतान दपंत्तियों को अवैध रूप से शिशुओं को बेचने के आरोप में उसकी मालकिन की गिरफ्तारी के बाद से जांचकर्ता चौधरी को तलाश कर रहे थे।
पुलिस ने कहा कि जलपाईगुड़ी का यह अनाथालय एक लाभ निरपेक्ष संस्था चला रही थी और यहां से कम से कम चौबीस बच्चों को गोद देने के लिए बेचा गया था।
अनाथालय जाली दस्तावेज, नकली स्टांप और नकली प्रमाण पत्र के जरिये एक से दो लाख रूपये में शिशुओं को बेचता था।
जांच अधिकारियों ने बताया कि अनाथालय की मालकिन और चौधरी दोनों ने अनाथालय चलाने के लिये आवश्यक लाइसेंस और अनुदान पाने के वास्ते वरिष्ठ मंत्रियों, नेताओं और सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की थी।
कुमार ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "हम इन कड़ियों की भी जांच कर रहे हैं।"
यह अनाथालय केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण के साथ पंजीकृत था और जलपाईगुड़ी जिले के केवल इसी अनाथालय को बच्चे गोद देने की अनुमति थी।
भारत सरकार के 2016 में जारी किये गये अपराध आंकड़ों के अनुसार 2015 में मानव तस्करी के मामलों में से 40 प्रतिशत से अधिक मामले बच्चों की खरीद- फरोख्त और आधुनिक समय के गुलाम के रूप में शोषण के हैं।
बुधवार को जांच में तेजी आने के बाद कार्यकर्ताओं ने कहा कि गिरफ्तारियों से तस्करों और स्थानीय अधिकारियों के बीच सांठ गांठ के संकेत मिलते हैं।
बाल अधिकारों के लिये कार्य करने वाले एक क्षेत्रीय लाभ निरपेक्ष समूह- दोआर्स जागरोन के विक्टर बसु ने कहा, "जिलाधिकारियों की जानकारी के बगैर ऐसे बड़े स्तर के घोटाले संभव नहीं है।"
"इस अनाथालय को सरकारी मंजूरी मिली हुई थी और यहाँ युवा महिलाओं की तस्करी कर उनके शिशुओं को अवैध रूप से गोद देने के लिए बेचा जाता था। मिलीभगत के बगैर यह कैसे संभव हो सकता है?"
चौधरी ने अदालत के बाहर स्थानीय मीडिया को बताया कि वह "राजनीतिक साजिश की शिकार" है।
लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में शिशु तस्करी एक संगठित अपराध बनता जा रहा है और इसमें शामिल लोगों को मोटा पैसा मिलता है।
मानवाधिकार समूह- चाइल्ड राइट्स एंड यू की मोहुआ चटर्जी ने कहा, "ये घटनाएं मौजूदा कानूनों में अक्षरश: बाल अधिकारों का घोर उल्लंघन हैं।"
"कानून के तहत उपलब्ध दिशा निर्देशों और उपायों के बावजूद गोद लेने की प्रक्रिया की बारीकियां अभी भी भावी माता पिता की समझ से परे हैं और उचित ज्ञान की कमी के कारण वे अक्सर गलत काम करने वालों के झांसे में आ जाते हैं।"
(रिपोर्टिंग-अनुराधा नागराज और सुब्रत नागचौधरी, संपादन- लिंडसे ग्रीफिथ और एड अपराइट; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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