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बांग्लादेश कानून में बाल वधू की अनुमति से दुष्कடर्म वैध साबित हो सकता है – धर्मार्थ संस्थांएं

by रूमा पॉल और नीता भल्ला | Thomson Reuters Foundation
Wednesday, 1 March 2017 17:23 GMT

-    रूमा पॉल और नीता भल्ला

    ढाका / नई दिल्ली, 1 मार्च (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - बाल अधिकार समूहों ने बुधवार को कहा कि बांग्लादेश के नये कानून से बच्‍चों के यौन शोषण का खतरा और बढ़ सकता है, क्‍योंकि इसके तहत "किशोरी की भलाई के लिये" कम उम्र की लड़कियां उनसे दुष्‍कर्म करने वालों के साथ विवाह कर सकती हैं।

   अधिवक्ताओं का कहना है कि कानूनन लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल और लड़कों की 21 साल होने के बावजूद विश्‍व में बाल विवाह की सबसे अधिक दर इस गरीब दक्षिण एशियाई देश में है। उन्‍होंने कहा कि 'सम्मान' के नाम पर युवा दुष्‍कर्म पीड़िताओं की शादी को वैध करार देने से उनके शरीर की रक्षा या उनके अधिकारों के संरक्षण का कोई लेना देना नहीं है।

    650 से अधिक धर्मार्थ संस्‍थाओं के वैश्विक गठबंधन- गर्ल्‍स नॉट ब्राइड्स बांग्‍लादेश ने एक बयान में कहा, "हमें चिंता है कि इस नए अधिनियम से बड़े पैमाने पर उत्‍पीड़न बढ़ेगा, दुष्‍कर्म वैध होंगे, माता पिता अपनी लड़कियों को उनसे दुष्‍कर्म करने वालों से शादी करने के लिए मजबूर करेंगे और ऐसे देश में बाल विवाह की प्रथा को बढ़ावा मिलेगा, जो विश्‍व की तुलना में सबसे अधिक बाल विवाह की दर वाले देशों में से एक है।"

  "लड़कियों की भलाई"

    धर्मार्थ संस्‍थाओं ने बांग्लादेश के विवाह अधिनियम में संशोधन किये जाने के दो दिनों के बाद बयान जारी किया है, जिसके तहत "किशोरियों की भलाई" के लिये "विशेष मामलों" में माता पिता और अदालत की सहमति से 18 साल से कम उम्र की लड़कियों का विवाह किया जा सकता है।

  बाल अधिकार समूहों ने कहा कि अधिनियम के प्रावधान में "विशेष मामलों" या "भलाई" को परिभाषित नहीं किया गया है, जिससे इस अधिनियम की व्याख्या करने या बलात्कार को वैध ठहराने की गुंजाइश है।

  गठबंधन के बयान में कहा गया है कि सहमति के प्रावधान में बच्चों को शादी के लिए मजबूर करने से रोकने की कोई व्‍यवस्‍था नहीं है।

   "इस प्रावधान के लिए बांग्लादेश सरकार ने गर्भवती लड़कियों के 'सम्मान' की रक्षा की आवश्‍यकता का हवाला दिया है। हालांकि किशोरियों की रक्षा के लिए शादी सबसे बेहतर तरीका नहीं है, बल्कि इससे उन्‍हें अधिक नुकसान हो सकता है।"

   प्रावधान से अधिक उत्‍पीड़न होने की बात को नकारते हुये बांग्लादेश के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि सांसदों ने मुस्लिम बहुल देश में सामाजिक जीवन को ध्यान में रखते हुये इस अधिनियम में संशोधन किया है और इसके अलावा सुरक्षा तंत्र भी हैं।

  नाम न छापने की शर्त पर महिला एवं बाल मामले मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "हमारे समाज की वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए विशेष प्रावधान को शामिल किया गया है।"

  "अदालत की अनुमति के बिना कोई भी शादी नहीं कर सकेगा।"

    "शीर्ष 10"

    बाल विवाह के खिलाफ कानून का सख्‍त कार्यान्‍वयन और इस अपराध के लिये कड़े दंड के प्रावधान के बावजूद नाइजर, गिनी, दक्षिण सूडान, चाड और बुर्किना फासो के साथ ही बांग्लादेश भी उन 10 देशों में से है, जहां सबसे अधिक बाल विवाह होते हैं।

  गर्ल्‍स नॉट ब्राइड्स के आंकड़ों के अनुसार दक्षिण एशिया में सबसे अधिक बांग्लादेश में 52 प्रतिशत लड़कियों की 18 साल से पहले शादी कर दी जाती है, जबकि भारत में 47 प्रतिशत, नेपाल में 37 प्रतिशत और अफगानिस्तान में 33 प्रतिशत लड़कियों का विवाह 18 वर्ष से कम उम्र में किया जाता है।

  कार्यकर्ताओं का कहना है कि बालिका वधू बनने से लड़कियों के लिये दुष्‍कर्म, घरेलू हिंसा और जबरन गर्भवती होने का खतरा बढ़ जाता है।

   लड़कियों को अक्सर स्कूल नहीं भेजा जाता है और उन्‍हें समाज से अलग-थलग रखा जाता है तथा एक पत्नी एवं मां के रूप में वे जीवन भर आर्थिक तौर पर निर्भर रहने के लिये मजबूर होती हैं।

  कार्यकर्ताओं का कहना है कि सामाजिक स्वीकार्यता और सरकार की निष्क्रियता के कारण यह कुप्रथा अब भी जारी है।

   गर्ल्‍स नॉट ब्राइड्स का कहना है कि कानून में संशोधन का मतलब है कि बांग्लादेश में "शादी की कोई न्यूनतम उम्र नहीं" है।

(रिपोर्टिंग- ढ़ाका में रूमा पॉल और नई दिल्‍ली में नीता भल्‍ला, लेखन- नीता भल्‍ला, संपादन- लिंडसे ग्रीफिथ; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

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