×

Our award-winning reporting has moved

Context provides news and analysis on three of the world’s most critical issues:

climate change, the impact of technology on society, and inclusive economies.

छह लोगों पर गोद देने के लिये शिशुओं को बेचने का आरोप

Tuesday, 7 March 2017 15:22 GMT

In this 2014 archive photo a woman carries her baby as she walks through a wheat field in Amroha district in the northern Indian state of Uttar Pradesh. REUTERS/Adnan Abidi

Image Caption and Rights Information

-    रोली श्रीवास्तव

    मुम्बई, 7 मार्च (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई में तस्करी घोटाले के भंडाफोड़ के बाद पुलिस ने मंगलवार को छह लोगों पर निसंतान दंपत्तियों को शिशुओं को बेचने का आरोप लगाया है।

  लेकिन अधिकारियों का कहना है कि वे अभी भी उन पांच शिशुओं में से तीन के माता-पिता की तलाश कर रहे हैं, जिन्‍हें पिछले दिसम्‍बर में छापे में गिरोह के चंगुल से छुड़ाया गया था।

   विशेषज्ञों का कहना है कि निसंतान दंपत्तियों द्वारा दो से चार लाख रूपये में शिशुओं को खरीदने से पता चलता है कि देश में बच्‍चा गोद लेने वालों की प्रतिक्षा सूची लम्‍बी है।     

   मुंबई में पुलिस उपायुक्त शाहजी उमप ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "शिशुओं के माता-पिता को ढ़ूढ़ंने के बाद ही हमें पता चलेगा कि इन शिशुओं का अपहरण किया गया या उन्‍हें स्वेच्छा से त्‍याग दिया गया था।"

     "अभी तक पुलिस शिशुओं के माता-पिता की तलाश नहीं कर पाई है और अब अदालत फैसला करेगी कि उन शिशुओं के साथ क्‍या करना है।"

    पुलिस ने कहा कि तस्करी और अपहरण के गिरोह के सदस्य अकेली माताओं को अपने बच्चों को त्‍यागने के लिए समझाते थे कि ऐसा नहीं करने पर उन्‍हें सामाजिक कलंक के रूप में प्रताड़ना सहनी पड़ सकती है।

     पुलिस ने बताया कि आरोपी 27 साल का पुरूष और 20 से 50 वर्ष की पांच महिलाएं महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक में अपनी गतिविधियां चलाते थे।

   बचाये गये पांच शिशुओं में से केवल एक को ही उसके जैविक माता-पिता को सौंपा गया है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने एक अन्‍य शिशु को उसे खरीदने के आरोपी परिवार को ही वापस लौटाने की अनुमति दे दी है।  

  एक साल से कम उम्र के शेष तीन लावारिस शिशुओं की देखभाल गोद देने वाली एक एजेंसी कर रही है, लेकिन जब तक उनके माता-पिता की तलाश नहीं हो पाती है या उनका पता नहीं लगाया जा सकता है यह स्‍पष्‍ट होने तक उन्हें गोद नहीं दिया जा सकता है।

     अनिश्चित प्रक्रिया को लेकर चिंतित कल्याण अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि वे अदालत से आग्रह करेंगे कि उन्‍हें उन शिशुओं को गोद देने की अनुमति दी जाये।

  मुम्बई में बाल कल्याण समिति की प्रमुख शारदा तलरेजा ने कहा, "हमारे समक्ष पहली बार इस तरह का मामला आया है और हमें पता नहीं है कि आगे इसके बारे में क्‍या करना है।"

    विशेषज्ञों का मानना ​​है कि भारत में शिशुओं की तस्करी व्‍यापक और संगठित अपराध बनता जा रहा है।

    पश्चिम बंगाल में संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय बाल तस्करी रैकेट के खुलासे के कुछ सप्‍ताह बाद मुंबई में यह गिरफ्तारियां हुई हैं।

    पिछले नवंबर में वहां की गई छापेमारी में लगभग 13 शिशुओं को बचाया गया और दो शिशुओं के कंकाल जब्‍त किये गये थे।

   सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में 2015 में मानव तस्करी की लगभग 6,877 शिकायतें दर्ज की गई, जो 2014 की तुलना 25 प्रतिशत अधिक थी। 40 प्रतिशत से ज्यादा मामले बच्चों की खरीद फरोख्‍त करने और गुलामों के रूप में उत्‍पीड़न के थे।

(रिपोर्टिंग- रोली श्रीवास्‍तव, संपादन- एम्‍मा बाथा; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

Our Standards: The Thomson Reuters Trust Principles.

-->