- अनुराधा नागराज
चेन्नई, 8 मार्च (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - मोहन एक सुंदर पुरूष है जो असम में एक मलिन से राहत शिविर में रहने वाली युवा लड़कियों रानी और मनई को शहरी जीवन के बारे में आकर्षक कहानियां बताता है।
यह काल्पनिक है। लेकिन ये पात्र उस कॉमिक बुक के स्टार हैं, जिसमें इस क्षेत्र से बड़े शहरों में तस्करी की जा रही लड़कियों की वास्तविक कहानी दर्शाई गई है।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह देश भर की मानव तस्करी के बारे में कई बहुभाषी कॉमिक्स में से एक है। इन कॉमिक्स के जरिये वंचित बच्चों को खतरे की स्थितियों से सतर्क रहने और खतरों के बारे में व्यापक जागरूकता फैलाई जा रही है।
सरकार के नवीनतम अपराध आंकड़ों के अनुसार 2015 में देश में 40 प्रतिशत से अधिक मानव तस्करी के मामलों में बच्चों की खरीद फरोख्त और आधुनिक समय के गुलामों के रूप में उनके शोषण के थे।
रानी और मनई की कहानी के लेखक असम के लाभ निरपेक्ष संस्था- उत्साह के मिगुएल क्वेह ने कहा कि कॉमिक्स वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करती हैं।
उन्होंने कहा, "बोडोलैंड के स्वायत्त जिलों में लड़कियां शिविरों में रहती हैं, वहां उनके लिये कोई स्कूल नहीं है इसलिये वे ऐसे तस्करों के जाल में फंस जाती हैं, जो हमेशा देखने में सुंदर और अच्छे कपड़े पहने होते हैं।"
असम सरकार के सहयोग से जनवरी में प्रकाशित कॉमिक्स को अधिक से अधिक छात्रों तक पहुंचाने के लिए दोबारा छापा जा रहा है।
"दुखद"
दक्षिणी राज्य तेलंगाना में "द लाइट ऑफ ए सेफ विलेज" नाम की कॉमिक्स में तस्करी रोकने वाले चार नए नायक नजर आते हैं।
इन कॉमिक्स में एक ऐसा पिता है जो अपनी बेटी की रक्षा ऐसे करता है "जैसे किसान अपनी फसलों की रक्षा करता है" एक ऐसी मां है जो "अपने बच्चे की कीमत नहीं लगाती है" दूसरों को बचाने के अभियान में जुटी संरक्षक लड़की और सतर्क शांत लड़के की कहानियां हैं।
इन सबका पहला साहसिक कार्य है पिंकी को बचाना। पिंकी एक युवा लड़की है जिसे तस्करी कर शहर ले जाया गया है।
कॉमिक सीरिज प्रकाशित करने वाले माय चॉइसेस फाउंडेशन के विवियन ए आइसाक ने कहा कि इसके पीछे विचार सकारात्मक संदेश देना है, ताकि हर साल तस्करी किये जाने वाले बच्चों के लिए पूरा समुदाय अभिभावक के रूप में कार्य करें।
आइसाक ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "तस्करी से बचाई गई एक युवा लड़की राधिका जानना चाहती है कि उसकी तस्करी करने वालों से पहले हम इन कॉमिक पुस्तक के साथ उसके गांव क्यों नहीं पहुंचे थे।"
"उसने कहा कि अगर उसे पहले से पता होता कि तस्करी क्या होती है तो उसका जीवन अलग होता। यह बेहद दुखद था।"
2015 में पहली बार तेलुगू भाषा में प्रकाशित "सेफ विलेज" सीरिज अब कन्नड़, बांग्ला और हिंदी संस्करण 2017 सहित चार भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है।
इन्हें 500 से अधिक गांवों में 11 साल के छात्रों को वितरित किया जाता है।
कॉमिक्स में पाठकों को बताया गया है कि देश में औसतन 12 साल के बच्चों की तस्करी की जाती है और केवल एक प्रतिशत लड़कियों को ही बचाया जा पाता है। इनमें कहा गया है कि हर 10 मिनट में एक लड़की को देह व्यापार के लिये बेचा जाता है।
वे समझाते हैं कि तस्कर कैसे बच्चों को अपने चंगुल में फंसाते हैं और ज्यादातर मामलों में तस्कर गांववालों के परिचित होते हैं।
पहली "सेफ विलेज" कॉमिक संवादात्मक भी है। इसमें पाठकों को खतरे की स्थिति में निर्णय लेने और सतर्क रहने तथा तस्करी रोकने में मदद करने के लिये प्रोत्साहित भी किया गया है।
(रिपोर्टिंग- अनुराधा नागराज, संपादन- एड अपराइट; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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