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भारत में 2016 में 25 प्रतिशत अधिक महिलाओं और बच्चोंन की तस्कारी हुई

by नीता भल्ला | @nitabhalla | Thomson Reuters Foundation
Thursday, 9 March 2017 15:46 GMT

-    नीता भल्ला

नई दिल्ली, 9 मार्च (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2016 में भारत में लगभग 20,000 महिलाएं और बच्चे मानव तस्करी के पीड़ित थे, जो वर्ष 2015 की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक है।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सदन को जानकारी दी कि पिछले साल 19,223 महिलाओं और बच्चों की तस्‍करी हुई थी, जबकि 2015 में यह संख्‍या 15,448 थी। सबसे अधिक तस्‍करी की शिकायतें पूर्वी राज्‍य पश्चिम बंगाल में दर्ज की गई थीं।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि तस्‍करी से जुड़े अपराधों के बारे में अधिक जागरूकता और पुलिस प्रशिक्षण के कारण तस्करी की अधिक शिकायतें दर्ज हुई हैं। 

नाम न छापने की शर्त पर दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "यह दावा करना मुश्किल है कि ये अपराध नाटकीय रूप से अचानक बढ़े हैं।"

अधिकारी ने कहा, "मुझे लगता है कि तस्करी के बारे में अधिक जानकारी के कारण ज्‍यादा से ज्‍यादा पीड़ित सामने आकर शिकायत दर्ज करवा रहे हैं। सरकार और सिविल सोसाइटी समूह अभियान चला रहे हैं और मीडिया में भी अधिकतर मामलों की खबरें दिखाई जा रही हैं।"

अधिकारी ने कहा कि वास्तविक आंकड़ा इससे बहुत अधिक हो सकता है क्योंकि मुख्‍यत: कानून के बारे में जानकारी नहीं होने या तस्करों के भय से अभी भी कई पीड़ित पुलिस के पास मामले दर्ज नहीं करवा रहे हैं।

विश्‍व में दक्षिण एशिया में सबसे तेजी से मानव तस्करी की घटनाएं बढ़ रही हैं और इसका केंद्र भारत है।

तस्‍कर हर साल भारत के अधिकतर गरीब, ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं और बच्चों सहित हजारों लोगों को अच्छी नौकरी दिलाने का झांसा देकर कस्बों और शहरों में ले जाते हैं, लेकिन वहां उन्हें आधुनिक समय की गुलामी करवाने के लिये बेच दिया जाता है।  

कुछेक से घरेलू नौकर के तौर पर या कपड़ा कारखानों जैसे छोटे उद्योगों अथवा खेतों में जबरन काम करवाया जाता है। यहां तक ​​कि उन्‍हें वेश्यालयों में धकेल दिया जाता है, जहां उनका यौन शोषण किया जाता है।

कई लोगों को वेतन भी नहीं दिया जाता है या उन्‍हें ऋण बंधक बना लिया जाता है। कुछ लापता हो जाते हैं और उनके परिजन उन्हें ढ़ूंढ भी नहीं पाते हैं।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2016 के आंकड़े दर्शाते हैं कि जितनी संख्‍या में महिलाओं की तस्‍करी हुई लगभग उतनी ही संख्‍या में बच्चों की भी तस्‍करी की गई थी।

आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष 9,104 बच्‍चों की तस्करी हुई जो 2015 की तुलना में 27 प्रतिशत अधिक थी। 2016 में तस्करी की गई महिलाओं की संख्या 22 प्रतिशत बढ़कर 10,119 हो गई थी।

गरीब पडोसी देश बांग्लादेश और नेपाल के साथ खुली सीमा साझा करने वाला पूर्वी राज्‍य पश्चिम बंगाल मानव तस्करी के केंद्र रूप में जाना जाता है और इस कारण 2016 में तस्‍करी पीड़ितों की कुल संख्या में से एक तिहाई से अधिक मामले यहां दर्ज किये गये थे।

2016 में राजस्थान दूसरा ऐसा राज्‍य था जहां सबसे अधिक संख्‍या में बच्चों की तस्‍करी के मामले दर्ज किये गये थे। जबकि महाराष्ट्र, जहां देश की व्‍यावसायिक राजधानी मुंबई स्थित है, दूसरा राज्‍य था जहां सबसे अधिक संख्‍या में महिलाओं की तस्‍करी हुई थी।

(रिपोर्टिंग- नीता भल्‍ला, संपादन- एस्ट्रिड ज्‍वेनेर्ट; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

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