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खाड़ी देशों में लाखों प्रवासी श्रमिक काम करने के अधिकार के लिए स्वअयं शुल्कस देने को मजबूर - रिपोर्ट

Tuesday, 11 April 2017 17:36 GMT

     न्यूयॉर्क, 11 अप्रैल (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - मंगलवार को जारी की गई एक जांच रिपोर्ट के अनुसार तेल-संपन्न खाड़ी देशों में तेजी से हो रहे निर्माण कार्यों को बढ़ावा देने वाले दक्षिण एशियाई प्रवासी श्रमिकों से अक्सर उनकी स्‍वयं की भर्ती शुल्‍क का भुगतान उनसे ही गैरकानूनी रूप से करवाया जाता है, जिससे उनके काम करने के माहौल और वेतन पाने की कठिनाइयां और बढ़ जाती हैं।

    अमरीकी शोधार्थियों ने रिपोर्ट में कहा है कि कतर से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक खाड़ी देशों में काम करके अपनी गरीबी मिटाने की चाहत रखने वाले लाखों प्रवासियों को वहां काम करने के लिये नियमित रूप से शुल्‍क का भुगतान करना पड़ता है जो उनके एक साल के वेतन के बराबर हो सकता है।

     रिपोर्ट के सह-लेखक और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के स्टर्न सेंटर फॉर बिज़नेस एंड ह्यूमन राइट्स के डेविड सेगल ने कहा, "भर्ती नि:शुल्क नहीं होती है। किसी न किसी को ये खर्च वहन करना पड़ता है, लेकिन निश्चित रूप से ये नियोक्ता कंपनी को करना चाहिए।"

    मानवाधिकार समूहों ने फीफा विश्व कप 2022 की मेजबानी करने वाले कतर में भारत, नेपाल और बांग्लादेश के निर्माण श्रमिकों की स्थितियों की जांच करने को कहा है। उनका कहना है कि वहां प्रवासी गंदगी में साफ पानी और आश्रय प्रबंध के बगैर काम करते हैं।

    खाड़ी और दक्षिण एशिया में श्रमिकों की स्थिति के बारे में जानकारी एकत्रित करने के लिये की गई अपनी पांच यात्राओं के दौरान शोधार्थियों ने पाया कि कामगारों को आम तौर पर दक्षिण एशिया से विमान किराया और उनके काम करने के वीजा का पैसा देना पड़ता है और अक्सर यह वास्तविक शुल्‍क से अधिक होता है।  

    शोधकर्ताओं ने पाया कि छह खाड़ी देशों में लाभ के लिए वीजा बेचना गैरकानूनी है। ये देश हैं- सऊदी अरब, कुवैत, कतर, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन।

    लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि इनका उल्लंघन करने वालों पर न तो मुकदमा चलता है और न ही अधिकारी उन्‍हें दंडित करते हैं।

    अध्ययन के अनुसार, बांग्लादेशी श्रमिक भर्ती शुल्‍क के रूप में 5,200 अमेरिकी डॉलर का भुगतान करते हैं, जो अन्य दक्षिण एशियाई निर्माण श्रमिकों की तुलना में सबसे अधिक है। खाड़ी देशों में दक्षिण एशियाई निर्माण श्रमिकों की संख्‍या लगभग एक करोड़ है।  

   

     अध्ययन में पाया गया है कि बहुत ही कम मामलों में निर्माण कंपनियों ने अपने श्रमिकों का भर्ती खर्च वहन किया था।

     भर्ती शुल्‍क के कारण पहले से ही असहाय प्रवासी उच्च ब्याज ऋणों की वजह से और गरीबी में फंस रहे हैं।   

     सेगल ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "ये वो लोग हैं जो पहले से ही काफी निराश हैं, उन्हें लगता है कि संभावित आर्थिक सफलता हासिल करने के लिए उनका अपने परिवार को छोड़ कर यह यात्रा करना जरूरी है।"

     फोन पर दिये गये साक्षात्कार में उन्होंने कहा, "यह यात्रा शुरू करने से पहले ही वे कर्ज के जाल में फंस जाते हैं, जो वास्तव में अन्याय है।"

     प्रवासी घरेलू नौकरों के उत्‍पीड़न की खबरों के कारण हाल ही के वर्षों में केन्या, इथियोपिया, यूगांडा और इंडोनेशिया जैसे देशों ने मध्य पूर्व के देशों में अपने नागरिकों के नौकरी करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।

    पिछले हफ्ते जारी की गई न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में कतर में की गई जांच के निष्कर्षों के बारे में विस्‍तार से बताया गया है। इसमें निष्कर्ष निकाला गया है कि सैकड़ों एशियाई श्रमिकों ने अपना भर्ती शुल्‍क स्‍वयं अदा किया है।

(रिपोर्टिंग- सेबेस्टियन मालो, संपादन- रोस रसल; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

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