- रोली श्रीवास्तव
मुंबई, 20 अप्रैल (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) – कार्यकर्ताओं का कहना है कि मुंबई के रेड लाइट जिले में यौनकर्मियों को उनके शिशुओं को बेचने के लिये लुभाया और यहां तक कि उन्हें अपने शिशुओं को बेचने के लिए मजबूर भी किया जा रहा है। इससे आशंका बढ़ी है कि बच्चा गोद लेने के कड़े नियमों के कारण तस्कर बच्चों को खरीदने के नए तरीके तलाश रहे हैं।
यौन कर्मियों के बच्चों के लिए रैन बसेरा चलाने वाली तस्करी रोधी धर्मार्थ संस्था- प्रेरणा ने पाया कि पिछले सात महीने में चार शिशुओं की बिक्री की गई है। यह संस्था प्रत्येक घटना का दस्तावेजीकरण भी कर रही है ताकि पता चल सके कि शिशुओं को बेचने का कोई ख़ास तरीका तो नहीं उभर रहा है।
प्रेरणा के सह-संस्थापक प्रवीण पाटकर ने कहा, "पहले इस तरह के मामले कभी कभार ही होते थे। लड़की पैदा होने की उम्मीद में ज्यादातर वेश्यालयों की मालकिनें यौन कर्मियों को अपना गर्भ रखने देती थीं।"
शिशुओं को बेचा नहीं, बल्कि मां से दूर रखा जाता था।
"लेकिन अब दलाल अधिक शक्तिशाली हो गये हैं और वे खरीदारों के लिए मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं। यह एक भूमिगत नेटवर्क होता है, जो ऐसे क्षेत्रों की तलाश में रहता है जहां बच्चे किसी भी प्रकार की सुरक्षा के बगैर रहते हैं।"
अभियान चलाने वालों का कहना है कि बच्चा गोद लेने के लिए लंबी प्रतीक्षा सूची के कारण देश में शिशुओं की तस्करी किये जाने की खबरें मिल रही हैं।
"नई युक्ति"
लेकिन अभियान चलाने वालों का कहना कि तस्करों का रेड लाइट क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना नई बात है, क्योंकि पहले वे ज्यादातर गरीबों, अविवाहित माताओं या अस्पतालों के कर्मचारियों की मदद से चोरी किए हुए शिशुओं को निशाना बनाते थे।
पिछले अक्टूबर में सात दिन के शिशु को बचाने वाले पुलिस उपनिरीक्षक वसंत जाधव ने कहा, "मैंने पहली बार देखा था कि कामठीपुरा (रेड लाइट जिले) में शिशु को बेचा जा रहा था।"
"बच्चे के जन्म से पहले ही यह सौदा तय कर लिया गया था और खरीदार एक निसंतान महिला थी।"
जाधव ने बताया कि पुलिस ने दोनों महिलाओं को गिरफ्तार कर बच्चे को एक सरकारी आश्रय गृह में रख दिया। किसी ने भी यौन कर्मी की जमानत नहीं करवाई, लेकिन गिरफ्तारी के तुरंत बाद खरीदार को जमानत मिल गई थी।
"अब यौन कर्मी के भाग्य का फैसला अदालत करेगी।"
पुलिस ने जनवरी में एक साल के बच्चे को बचाया, जिसे 20,000 रुपये में बेचा जा रहा था।
इसके एक माह के बाद ही एक यौन कर्मी के वेश्यालय में उसके शिशु को बेचने की चर्चा चल रही थी यह पता लगने पर प्रेरणा के अधिकारियों ने उस यौन कर्मी के बच्चे को अपने आश्रय गृह में रखा। अधिकारियों ने बताया कि इस प्रक्रिया के दौरान ही उन्हें इसी प्रकार का खतरा झेल रहे एक और बच्चे के बारे में पता चला था।
भारत सरकार ने बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया को सुचारु बनाने के लिये गोद लेने के नियमों को सख्त कर दिया है, लेकिन इस कदम से बच्चा गोद लेने वालों की प्रतिक्षा सूची लम्बी हो गई है।
पिछले दिसंबर में मुंबई पुलिस ने निसंतान दंपतियों को दो से चार लाख रुपये में शिशुओं को बेचने के आरोप में छह लोगों को गिरफ्तार किया था।
पश्चिम बंगाल में एक प्रमुख तस्करी रैकेट का भंडाफोड होने के एक महीने के भीतर ही मुंबई में शिशुओं को बेचने का यह मामला सामने आया था।
(रिपोर्टिंग- रोली श्रीवास्तव, संपादन- लिंडसे ग्रीफिथ; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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