×

Our award-winning reporting has moved

Context provides news and analysis on three of the world’s most critical issues:

climate change, the impact of technology on society, and inclusive economies.

यौन तस्कहरी से बचायी गई लड़की को नगद मुआवजा मिलना असाधारण विजय

Monday, 15 May 2017 11:02 GMT

A girl stands inside her under construction shanty at a slum in Mumbai, India, August 3, 2016. REUTERS/Danish Siddiqui

Image Caption and Rights Information

    मुंबई, 15 मई (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - देवी एक हसमुख किशोरी है, जिसे हिप हॉप और बेली डांस पसंद है और दो साल पहले उसकी तस्‍करी कर यौन कर्म के लिये उसे मुंबई में बेचे जाने के बाद कठिन दौर से गुजरने के बावजूद वह अब भी डॉक्टर बनने के अपने बचपन के सपने को संजोये हुये है।

     बचाये जाने के बाद से जिस आश्रय गृह में वह रह रही है वहां से फोन पर देवी ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "मैं हाई स्कूल के बाद विज्ञान विषय पढ़ना चाहती हूं। मुझे पता है यह मुश्किल है, लेकिन मैं पढ़ना चाहती हूं। मैं केवल पैसे को लेकर असमंजस में थी।"

   जिस पैसे की उसे जरूरत थी वह रकम अब उसके पास है।

    कुछ हफ्ते पहले ही महाराष्ट्र सरकार ने देवी के बैंक खाते में 75,000 रुपये जमा किये हैं । वह यौन हिंसा पीडि़तों के लिये एक मुआवजा योजना की असाधारण लाभार्थी है, क्‍योंकि तस्करी से बचाये गये कई पीडि़तों को अभी भी मुआवजा नहीं मिल पाया है।

    अगले साल 18 वर्ष की होने पर उसे दो लाख 25,000 रुपये और मिलेंगे।

     हर साल तस्‍कर देश के कस्बों और शहरों में हजारों लोगों-अधिकतर गरीब, ग्रामीण महिलाओं और बच्चों को अच्छी नौकरी दिलाने का झांसा देते हैं, लेकिन  उन्हें आधुनिक समय में प्रचलित गुलामी करने के लिये बेच दिया जाता है।

     उनमें से कुछ घरेलू नौकरों के रूप में काम करते हैं या उनसे कपड़ा इकाईयों जैसे छोटे उद्योगों और खेतों में जबरन काम करवाया जाता है अथवा वेश्यालयों में धकेल दिया जाता है, जहां उनका यौन शोषण होता है।

   देश भर से तस्करी किये गये सबसे अधिक बच्चों को महाराष्ट्र में लाया जाता है। राज्य सरकार दुष्‍कर्म पीडि़त और एसिड हमलों के शिकार तथा यौन उत्पीड़न झेलने वाले बच्चों के लिए 2013 में शुरू की गई एक वित्तीय सहायता योजना की समीक्षा करने की तैयारी कर रही है।

    इसकी शुरूआत से अब तक राज्‍य सरकार को 7,500 अनुरोध प्राप्त हुये हैं और लगभग 4,500 लड़कियों को मुआवजे का भुगतान किया गया है। एक अधिकारी ने कहा कि कुछ दावों को खारिज कर दिया गया जबकि कोष की कमी के कारण अन्य मामलों में अभी मुआवजा राशि नहीं दी जा सकी है।

      वयस्क तस्करी पीडि़त मुआवजा पाने के पात्र नहीं हैं, क्योंकि ऐसे मामलों में अपराधी दुष्‍कर्म कानून के बजाय तस्‍करी रोधी कानूनों के तहत आरोपित किये जाते हैं और इस योजना के तहत केवल दुष्‍कर्म कानून के अंतर्गत दर्ज मामलों में ही मुआवजा दिया जाता है।

    फिर भी अगर 18 वर्ष से कम उम्र के तस्करी पीड़ितों के मामले को बच्चों का यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम के तहत पंजीकृत किया गया है तो उन्‍हें मुआवजा दिया जा सकता है।

    पुलिस की दर्ज रिपोर्ट और पीडि़त के मेडिकल रिकॉर्ड के आधार पर एक जिला कार्यालय समिति मुआवजे की राशि तय करती है।

     इस योजना के शुरू होने के पहले के पीड़ितों को मुआवजा देने से मना करने और पीडि़तों को इस योजना में शामिल नहीं करने के कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुये बॉम्बे उच्‍च न्‍यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को इस योजना की समीक्षा करने का निर्देश दिया था।

     इस योजना के शुरू होने से एक साल पहले 13 साल की दुष्‍कर्म पीडि़त बच्‍ची के लिए मुआवजे की वकालत करने वाले अधिवक्‍ता वेस्ले मेनेजेस ने कहा, "इस योजना के लिए आप कोई अंतिम तिथि निर्धारित नहीं कर सकते हैं। इस प्रकार कोई भी कल्याणकारी योजना कारगर नहीं हो सकता है।" 2012 में इस पीडि़त बच्‍ची की उसके हमलावर से जबरन शादी कर दी गई थी।

    तस्करी पीड़ितों के वकीलों का कहना है कि तारीख के नियम से मुख्य रूप से बच्चे प्रभावित हुये हैं।  

     देवी के मामले में अंतर्राष्ट्रीय न्याय मिशन (आईजेएम) ने मदद की और दो साल तक विभिन्न सरकारी विभागों के साथ लम्‍बी कागजी कार्रवाई करने के बाद उसे यह वित्तीय सहायता प्राप्‍त हुई।

      आईजेएम की निदेशक मेलिसा वालवलकर ने कहा, "पहली बार हमारी कार्रवाई से किसी मामले में मुआवजा मिला है। इससे हम और प्रोत्साहित हुए हैं तथा चार-पांच अन्य नाबालिग पीड़ितों के मामलों में मुआवजा पाने की कार्रवाई कर रहे हैं।"

(रिपोर्टिंग- रोली श्रीवास्‍तव, संपादन- अलिसा तांग और रोस रसल; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

Our Standards: The Thomson Reuters Trust Principles.

-->