- नीता भल्ला
नई दिल्ली, 22 मई (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - महिलाओं और बच्चों की तस्करी रोकने का प्रयास कर रहे भारतीय कार्यकर्ताओं ने सोमवार को झारखंड में लोगों द्वारा संदिग्ध तस्करों को अवैध रूप से मृत्युदंड देने की कई घटनाओं की निंदा की है। ये घटनाएं उन अफवाहों के फैलने के बाद घटीं कि बाल तस्कर बच्चों को अपना शिकार बनाने की ताक में हैं।
व्हाट्सएप पर यह अफवाह फैलने के बाद कि तस्करों के गिरोह बच्चों के अंगों के लिए उनका अपहरण और हत्या कर हैं, जनता ने पिछले सप्ताह दक्षिणी झारखंड में दो अलग-अलग घटनाओं में सात लोगों की पीट पीट कर हत्या कर दी।
अवैध रूप से मृत्युदंड देने की यह खबरें देशभर में सुर्खी बन गयी हैं। बुरी तरह से पीटे गये और खून से लथपथ पीड़ितों में से एक को निर्दोष और अपने जीवन की भीख मांगते हुए वीडियो और फोटो टेलीविजन, समाचार पत्रों और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक रूप से वितरित किये गये हैं।
झारखंड पुलिस का कहना है कि 19 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है और गैर कानूनी तरीके से मृत्युदंड देने वाली भीड़ में शामिल होने के संदेह में अन्य सात-आठ लोगों को हिरासत में लिया गया है।
झारखण्ड के महानिरीक्षक संचालन आशीष बत्रा ने एनडीटीवी न्यूज़ चैनल को बताया, "यह अति असाधारण और दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी है।"
"इन संदेशों से लोगों के मन में एक प्रकार का डर पैदा हुआ जिससे उन्हें लगा कि उनके बच्चों की सुरक्षा दांव पर थी।"
पुलिस का कहना है कि हालांकि वह अभी भी इन मामलों की जांच कर रही है, लेकिन अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है कि हत्या किये गये लोग बाल तस्करी में शामिल थे।
हाल के वर्षों में भारत में मानव तस्करी की शिकायतें बढ़ी हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2016 में लगभग 20,000 महिलाएं और बच्चे तस्करी के शिकार हुये थे, जो 2015 की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक थे।
आंकड़ों में दर्शाया गया है कि लगभग आधे पीड़ित बच्चे थे और वे मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, राजस्थान, महाराष्ट्र, असम, बिहार, झारखंड और नई दिल्ली से थे।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह आंकड़े वास्तविकता से कम हैं खासकर ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी के कारण तस्करी की शिकायतें कम दर्ज करवाई जाती हैं, क्योंकि वहां तस्कर गरीब परिवारों को उनके बच्चों से काम करवाने के लिये स्वयं से दूर भेजने के लिये बरगलाते हैं। उनमें से कईयों को समृद्ध घरों, होटल, रेस्टोरेंट और यहां तक कि वेश्यालयों में बेच दिया जाता है, जहां वे दास-समान जीवन जीने को मजबूर होते हैं।
झारखण्ड में कार्य कर रही तस्करी रोधी धर्मार्थ संस्था शक्ति वाहिनी के ऋषि कांत ने गैर कानूनी तरीके से मृत्युदंड देने की घटनाओं की निंदा की है। उन्होंने लाचर कानून और व्यवस्था की समस्या तथा नई प्रौद्योगिकियों के माध्यम से फैलने वाली अफवाहों को नियंत्रित करने की चुनौतियों के बारे में भी बताया।
कांत ने कहा, "हम जानते हैं बच्चों का लापता और झारखंड से महिलाओं की तस्करी होना एक समस्या है और स्पष्ट है कि लोग अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, लेकिन ऐसा कृत्य अस्वीकार्य है।"
"इन घटनाओं से पता चलता है कि न केवल हमें बेहतर तरीके से कानून लागू करने और पुलिस बल को सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता है, बल्कि हम कार्यकर्ताओं को सोशल मीडिया पर साझा की गई संभवत: गलत जानकारी के बारे में समुदायों में जागरूकता फैलानी चाहिये और यह भी समझाना चाहिये कि वे कानून अपने हाथ में नहीं ले सकते हैं।"
(रिपोर्टिंग- नीता भल्ला, संपादन- एमा बाथा; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
Our Standards: The Thomson Reuters Trust Principles.