- नीता भल्ला
नई दिल्ली, 22 मई (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - तस्करी कर मिस्र भेजी गई तथा वहां एक दासी के रूप में शोषण और अत्याचार पीडि़त एक नेपाली महिला ने अपने गरीब हिमालयी देश में तस्करी के खतरों को उजागर करने के लिये एवरेस्ट की चोटी पर विजय हासिल की है। नेपाल से हर साल हजारों लोगों को गुलामी करने के लिये बेचा जाता है।
माना जाता है कि 28 वर्ष की कांची माया तमांग मानव तस्करी से बचाई गयी पहली महिला है, जिसने दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत पर फतह हासिल की है।
तमांग के अभियान में सहायता करने वाली नेपाल में संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था ने सोमवार को एक बयान में कहा कि वह शनिवार को एवरेस्ट की चोटी पर पहुंच गई थी।
बयान के अनुसार तमांग ने माउंट एवरेस्ट बेस कैंप से फोन किया, " मेरा पहला और सबसे महत्वपूर्ण अभियान मेरे जिले से महिलाओं और लड़कियों को जबरन बाहर भेजने से रोकना है, जो नेपाल में महिलाओं और लड़कियों के तस्करी के मामले में शीर्ष जिले के रूप में सूचीबद्ध है।"
"मैं उन पहलों को बढ़ावा देना चाहती हूं जिससे स्थानीय रोजगार के अवसर पैदा हो और प्रवास के लिये मजबूर की गईं और मेरे जैसी वापस लौटी महिलाएं सशक्त बनें। हमें लड़कियों को सशक्त बनाना चाहिए- उन्हें रस्सी दें, उन्हें चट्टान दिखाएं, फिर उन्हें चढ़ाई करने के लिए प्रेरित करें।"
नेपाल के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का कहना है कि 2014-15 में 9,500 लोगों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाया गया था, जो इससे पहले के साल की तुलना में लगभग 12 प्रतिशत अधिक था।
लेकिन कार्यकर्ताओं का कहना है कि वास्तव में यह समस्या इस आंकड़े से अधिक है, विशेष रूप से 2015 में नेपाल में आये दो बड़े भूकंपों के बाद से कई लोग तस्करों के विदेशों में बेहतर जीवन जीने के झांसे में आ जाते हैं।
नेपाल में आपराधिक गिरोह गरीब महिलाओं और लड़कियों को पड़ोसी भारत के शहरी घरों में गुलामों के रूप में काम करने के साथ ही मध्य पूर्व के देशों में काम दिलाने का झांसा देते हैं, जबकि कुछ को वेश्यालयों में बेच दिया जाता है। श्रमिकों के तौर पर काम करने के लिए पुरुषों की तस्करी की जाती है।
नेपाल के केंद्रीय जिले सिंधुपालचौक के एक गांव की निवासी तमांग को तस्करी कर भारत लाया गया था और फिर यहां से मिस्र भेज दिया गया था, जहां उसने नौकरानी के तौर पर छह साल तक काम किया था।
वहां से भागने और नेपाल लौटने से पहले तक उसके मालिक ने उसका मासिक वेतन नहीं दिया था और वह उसके साथ गाली गलौच कर उसे मानसिक रूप से प्रताडि़त भी करता था।
तब से वह अपने जिले में महिलाओं और लड़कियों को उसकी तरह यातना भोगने से रोकने के लिए काम कर रही है। वह अपने समुदाय में लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने और उन्हें अधिक अवसर उपलब्ध कराने की वकालत करती है।
तमांग ने कहा कि 8,848 मीटर (29,029 फीट) चोटी की चढ़ाई कर वह नेपाल की महिलाओं और लड़कियों को यह दिखना चाहती थी कि अवसर मिलने पर वे कुछ भी हासिल कर सकती हैं।
सबसे तेज़ चढ़ाई करने का रिकॉर्ड बनाने वाली पेम्बा दोर्जे शेरपा के नेतृत्व में 20 लोगों की टीम के साथ 20 मई को स्थानीय समय के अनुसार सुबह छह बजे चोटी पर पंहुच कर तामांग ने वहां एक पोस्टर लगाया जिस पर लिखा था: "हम इंसान हैं, संपत्ति नहीं। मानव तस्करी रोको।"
तमांग ने कहा, "मेरी विजय सभी महिलाओं और लड़कियों की जीत है। मेरा अभियान भेदभाव मुक्त नेपाल में योगदान देना है जहां सभी लड़कियों और महिलाओं को स्वतंत्रता हो और एक ऐसा सक्षम माहौल तैयार हो जहां उनकी क्षमता का पूरा विकास हो सके।
(रिपोर्टिंग- नीता भल्ला, संपादन- एमा बाथा; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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