नई दिल्ली, 5 जून (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) – एक धर्मार्थ संस्था ने सोमवार को कहा कि भारत में मानव तस्कर ग्रामीण लड़कियों को ताज महल दिखाने का प्रलोभन देकर यौन गुलामी में ढ़केल रहे हैं। संस्था का कहना है कि आपराधिक गिरोह गरीबों को गुलाम बनाने के ऐसे नए-नए तरीके खोजते रहते हैं।
तस्करी रोधी धर्मार्थ संस्था-शक्ति वाहिनी के ऋषि कांत का कहना है कि पिछले सप्ताह देश के उत्तरी राज्य के आगरा शहर में एक वेश्यालय से 15 लड़कियों और युवा महिलाओं को छुड़ाया गया था। आगरा में 17वीं शताब्दी में बना विश्व प्रसिद्ध सफेद संगमरमर का मकबरा है, जिसे देखने हर साल लाखों पर्यटक आते हैं।
कांत ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "कई दिनों से हम उन छः लड़कियों को तलाश रहे थे, जिनके लापता होने की शिकायत पश्चिम बंगाल में उनके परिजनों ने दर्ज करायी थी। अंत में हमने उन्हें आगरा के रेड लाइट जिले के एक वेश्यालय में पाया।"
"पुलिस के साथ छापेमारी के दौरान हमें वहां उन छः लड़कियों के अलावा नौ अन्य पीडि़ताएं भी मिली। उन्हें दो महीने से वहां बंदी बनाकर रखा और ग्राहकों के साथ यौन संबंध बनाने को मजबूर किया गया था। उन लड़कियों ने कहा कि तस्कर ने उन्हें ताज महल दिखाने का वादा किया था, इसलिये वे उसके साथ चली गयीं थीं।"
वैश्विक गुलामी सूचकांक 2016 के अनुसार दुनिया भर में लगभग चार करोड़ 60 लाख लोग दास हैं, जिन्हें वेश्यालयों में ढ़केला जाता है, जबरन मजदूरी करवाई जाती है, वे ऋण बंधन पीडित हैं या दासता के हालात में ही पैदा होते हैं।
इनमें से चालीस प्रतिशत या एक करोड़ 80 लाख से अधिक गुलाम भारत में हैं। ये ज्यादातर गरीब ग्रामीण क्षेत्रों के हैं, जिन्हें अच्छी नौकरी दिलाने या शादी करवाने का झांसा दिया जाता है। लेकिन उन्हें वेश्यावृत्ति करने, घरेलू नौकर के तौर पर काम करने या ईंट भट्ठों अथवा कपड़ा कारखानों जैसे उद्योगों में मजदूरी करने के लिये बेच दिया जाता है।
कांत ने कहा कि छुड़ाई गयी लड़कियों से बातचीत में पता चला है कि पीड़ितों को झांसा देने के लिये ताज महल दिखाने का प्रलोभन देना उन तस्करों का "एक नया तरीका" है, जो अपराध के प्रति जन जागरूकता के कारण लोगों को गुलाम बनाने के नए तरीकों की तलाश में रहते हैं।
कांत ने कहा, "आसानी से लोगों की तस्करी किये जाने वाले क्षेत्रों में कई पहल की गई हैं, जिसमें मानव तस्करी और तस्करों के काम करने के तरीकों के बारे में जानकारी देने के लिये सार्वजनिक अभियान शामिल है।"
"लेकिन ये आपराधिक गिरोह भी बहुत चालाक हैं और गरीब अशिक्षित समुदायों को छलने के नए तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। हमें इन तरीकों के बारे में जानना और उन्हें अपने जन जागरूकता कार्यक्रम में शामिल करना होगा।"
उन्होंने कहा कि 17 से 19 साल की ये छह लड़कियां बांग्लादेश सीमा से लगे पश्चिम बंगाल के गरीब जिले दक्षिण 24 परगना के गांवों से मार्च में लापता हुई थीं।
कांत ने कहा कि उन लड़कियों को पहले दिल्ली लाया गया, जहां एक छोटे से फ्लैट में उन्हें छह दिन रखा गया था। उसके बाद राजधानी से 230 किमी दूर उत्तर प्रदेश के आगरा ले जाया गया और वहां उन्हें एक वेश्यालय में बेचा गया था।
उनमें से एक लड़की ने किसी तरह अपने परिजन को फोन किया, जिसके आधार पर पुलिस को पता चला कि फोन आगरा से किया गया था। उन्होंने गुरुवार को वेश्यालय पर छापा मारा जहां एक कमरे में पलंग के नीचे बने एक गुप्त तहखाने में छुपाई गई लड़कियां मिली। उनमें से दो लड़कियां गर्भवती हैं।
वेश्यालय में नौ अन्य पीड़िताएं भी थीं।
कांत ने कहा कि पीड़िताओं को उनके परिजनों को सौंप दिया गया है। उन्होंने कहा कि अब उनके लिये चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक सहायता सुनिश्चित कराना प्राथमिकता है।
कांत ने कहा कि वेश्यालय की मालकिन 24 वर्षीय महिला है, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस अभी भी तस्करों की तलाश में है।
(रिपोर्टिंग-नीता भल्ला, संपादन- बेलिंडा गोल्डस्मिथ; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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