×

Our award-winning reporting has moved

Context provides news and analysis on three of the world’s most critical issues:

climate change, the impact of technology on society, and inclusive economies.

भारत-बांग्लादेश सीमा पर महिलाओं की तस्करी करने के लिए जमीन, घर खरीदते तस्क्र

by अनुराधा नागराज | @anuranagaraj | Thomson Reuters Foundation
Friday, 23 June 2017 11:20 GMT

An Indian Border Security Force (BSF) soldier stands with his bicycle as he patrols the unfenced India-Bangladesh border in West Bengal, India, June 20, 2015. REUTERS/Rupak De Chowdhuri

Image Caption and Rights Information

    चेन्नई, 23 जून (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) – कार्यकर्ताओं का कहना है कि सीमा के आर पार तस्‍करी की वारदातों पर परदा ड़ालने के लिये मानव तस्कर भारत के पूर्वी राज्य पश्चिम बंगाल से सटे भारत-बांग्लादेश सीमा के नजदीकी क्षेत्रों में भूमि खरीद रहे हैं, मकान बनवा रहे हैं और मतदाता सूचियों में नाम दर्ज करवा रहे हैं।

      तस्‍करों के अभियोगों पर कार्य करने और पीड़ितों की देखभाल करने वाले लाभ निरपेक्ष समूह जस्टिस एंड केयर के एड्रियन फिलिप्स ने कहा, "सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय तस्कर लगातार अपने धंधे को वैध बनाने के तरीकों की तलाश में रहते हैं।"

     "फर्जी दस्तावेजों के जरिये भूमि खरीदने का मकसद इलाके में अपने पैर जमाना, संबंध बनाना और सांठ गांठ करने के लिये आधार तैयार करना है।"

      हर साल हजारों लोगों आमतौर पर गरीब, ग्रामीण महिलाओं और बच्चों को अच्छी नौकरी दिलाने का झांसा देकर उनकी तस्‍करी कर भारत के कस्बों और शहरों में लाया जाता है, लेकिन यहां उन्‍हें देह व्‍यापार या घरेलू नौकर के तौर पर काम करने के लिये बेच दिया जाता है।

      2016 में कुल पीड़ितों में से एक तिहाई से अधिक मामले पश्चिम बंगाल में दर्ज किये गये थे। गरीब पड़ोसी देशों- बांग्लादेश और नेपाल के साथ बगैर बाड़ वाली सीमा साझा करने के कारण इस राज्‍य को मानव तस्करी का केंद्र कहा जाता है।

    जस्टिस एंड केयर और भारतीय सीमा सुरक्षा बल की पिछले महीने की एक रिपोर्ट में विशिष्ट उदाहरण दिये गये हैं, जहां दोनों तरफ के तस्करों ने भारत-बांग्लादेश सीमा के पास के गांवों में जमीन खरीद कर और ग्राम परिषदों में मतदाता सूची में अपने नाम दर्ज करवा कर "अपनी गतिविधियों पर आवरण" चढ़ाया है।

     पश्चिम बंगाल में बगैर बाड़ की लगभग 2,000 किलोमीटर लंबी सीमा है जिसे मुख्य रूप से गांवों, कृषि भूमि और नदियों के माध्यम से गुजरती सीमा पर लगे खंभों से सीमांकित किया गया है।

    समान प्रजातीय, धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक विशेषताएं साझा करने वाले हजारों लोग प्रतिदिन इस सीमा के आर पार आते जाते हैं।

      सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि यहां की भौगोलिक स्थिति के साथ ही इन विशेषताओं के कारण घुसपैठिये, तस्कर और मानव तस्कर सीमा पार कर आसानी से भारत में घुस आते हैं।      

 नाम ना छापने की शर्त पर सीमा सुरक्षा बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "जब तस्‍कर वैध मतदाता पहचान पत्र या जमीन के कागजात दिखाते हैं तो उनकी जांच और पहचान करना काफी कठिन हो जाता है।"

   वैश्विक गुलामी सूचकांक 2016 के अनुसार विश्व के लगभग चार करोड़ 60 लाख दासों में से करीबन 40 प्रतिशत गुलाम भारत में हैं। भारत देह व्‍यापार या घरेलू नौकरानी के तौर पर काम करवाने के लिये युवा लड़कियों और महिलाओं की तस्करी के लिए गंतव्य और पारगमन स्‍थल है।

     रिपोर्ट में कहा गया है कि तस्‍कर भूमि खरीदने या भारतीय पहचान पत्र प्राप्त करने के लिए नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

     इसमें एक बांग्लादेशी नागरिक "तस्‍कर 1" का उदाहरण दिया गया है, जिसके पास राशन कार्ड सहित भारतीय पहचान के सभी आवश्यक दस्तावेज थे।

    उसने सरकारी स्वामित्व वाली भूमि खरीदी और उस पर मकान बनाया, जिसका इस्‍तेमाल वह बांग्लादेश से तस्करी कर लाई गई लड़कियों को अस्थायी तौर पर रखने के लिये करता था। शोधकर्ताओं से पाया गया कि इस व्यक्ति द्वारा तस्करी कर लाई गई 35 से अधिक लड़कियां मुंबई में काम कर रही थीं।

     बांग्लादेश में अपने गांव से लेकर भारत में वेश्यालयों में पंहुचने की यात्रा का विवरण देते हुये अधिकतर तस्करी पीड़िताओं ने कहा कि उन्‍हें सीमा पर एक आश्रय में एक रात "ठहराया " गया था।

     रिपोर्ट में कहा गया है कि ये स्‍थल उन लड़कियों के लिए आधार तैयार करते हैं जिन्हें बाद में वेश्यालयों को बेचा जाता है।

     पश्चिम बंगाल के एक सीमावर्ती उत्तर 24 परगना की जिला प्रशासक अंतरा आचार्य ने कहा, "हम भारतीय राष्ट्रीयता के नकली सबूत- नकली मतदाता पहचान पत्र वाले व्यक्ति के कारण होने वाली समस्‍याओं के बारे में जानते हैं।"

    "जब कुछ इलाकों में एक गांव को अंतर्राष्ट्रीय सीमा दो भागों में विभाजित करती है ऐसी स्थिति आसान नहीं है, लेकिन हम हर ऐसी शिकायत का निवारण प्राथमिकता के आधार पर करते हैं।"

 

(रिपोर्टिंग- अनुराधा नागराज, संपादन- रोस रसल; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

Our Standards: The Thomson Reuters Trust Principles.

-->