चेन्नई, 30 जून (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - अमरीकी सरकार के ट्रैफिकिंग इन पर्सन्स हीरो पुरस्कार पाने के बाद एक भारतीय पुलिस अधिकारी ने कहा कि आज कानून लागू करने वाली एजेंसियों के सामने राज्यों और देश की सीमाओं पर सक्रिय तस्करों को दोषी साबित करना सबसे बड़ी चुनौती है।
अमरीका के विदेश मंत्रालय के इस साल के आठ पुरस्कार विजेताओं में महेश मुरलीधर भागवत भी हैं। उन्हें यह पुरस्कार भारत में आधुनिक समय की गुलामी से निपटने में उनकी नेतृत्व क्षमता, मानव तस्करी को सरकार की प्राथमिकता बनाने में उनकी भूमिका और तस्करी के मामलों की जांच में उनके अभिनव दृष्टिकोण के लिए प्रदान किया गया है।
48 वर्षीय भागवत को मंगलवार को वॉशिंगटन में उनकी अनुपस्थिति में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
दक्षिणी राज्य तेलंगाना के रचकोंडा जिले के पुलिस प्रमुख भागवत ने कहा, "यह पुरस्कार एक दशक से भी अधिक समय तक तस्करी के खिलाफ मेरे संघर्ष के लिये प्रदान किया गया है।"
"2004 में तस्करी के पहले मामले को निपटाने से लेकर अब तक मैंने काफी संघर्ष किया है।"
उन्होंने अपने पहले मामले के बारे में कहा, "मैं यह जानकर हैरान था कि तस्करी की गई लड़कियों को शहर के बाहरी इलाकों के रिसॉर्ट्स में वेश्यावृत्ति के लिए ले जाने के वास्ते स्कूल की बसों का इस्तेमाल किया जा रहा था। उस घटना ने मुझे झकझोर दिया था।"
पुलिस में भर्ती होने से पहले सिविल इंजीनियर रहे भागवत ने एक वर्ष से भी कम समय में 25 वेश्यालय बंद कराये और वे श्रमिक तस्करी के खिलाफ देश की उस सबसे बड़ी कानूनी कार्रवाई में शामिल थे, जिसमें ईंट भट्ठों में काम करने को मजबूर किये गये 350 से अधिक बच्चों को बचाया गया था।
उन्होंने तस्करी की समस्या से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए राज्यों और देशों के बीच बेहतर सहयोग और प्रोटोकॉल का आग्रह किया है।
भागवत ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "राज्य और देश की सीमाओं में सक्रिय तस्करों से निपटने के लिये मान्य प्रोटोकॉल होने चाहिये ताकि वहां पर तैनात एजेंसियां प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें।"
वैश्विक गुलामी सूचकांक 2016 के अनुसार विश्व के लगभग चार करोड़ 60 लाख दासों में से करीबन 40 प्रतिशत भारत में हैं।
मंगलवार को जारी की गई 2017 की ट्रैफिकिंग इन पर्सन्स की रिपोर्ट में पीड़ितों की पहचान, संपूर्ण जांच करने और बचाये गये लोगों के पुनर्वास पर खर्च बढ़ाने के लिए भारत के प्रयासों को सराहा गया है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारत सरकार को सभी रूपों की तस्करी के मामलों के मुकदमे और सजा के लिये अधिक प्रयास करने चाहिये तथा सभी जिलों में संपूर्ण संसाधनों से लैस मानव-तस्करी रोधी इकाइयां स्थापित करनी चाहिये।
(रिपोर्टिंग- अनुराधा नागराज, संपादन- अलिसा तांग; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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