"भारत में थाई मालिश करने वालों की मांग बढ़ी है, क्योंकि थाईलैंड की लड़कियां गोरे रंग की होती हैं इसलिये उन्हें ऊंचा दर्जा दिया जाता है"
रोली श्रीवास्तव
मुंबई, 9 अगस्त (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - पुलिस, राजनयिकों और कार्यकर्ताओं ने बुधवार को
कहा कि भारत में तेजी से बढ़ते स्पा और मसाज पार्लर के कारोबार में थाईलैंड की महिलाओं की
मांग बढ़ रही है और यहां उनमें से कईयों को झांसा देकर तथा उनकी तस्करी कर देह व्यापार
में यौन गुलामी करवाई जा रही है।
इस वर्ष मुंबई और पुणे जैसे पश्चिमी शहरों में मसाज पार्लर के नाम से वेश्यावृत्ति करवाने वाले
पार्लरों पर पुलिस छापों के दौरान थाईलैंड की कम से कम 40 महिलाओं को बचाया गया है।
सेव द चिल्ड्रन इंडिया की कार्यक्रम निदेशक ज्योति नाले ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को
बताया, "भारत में थाई मालिश करने वालों की मांग अधिक है क्योंकि थाईलैंड की लड़कियां गोरी
होने के कारण उनको ऊंचा दर्जा दिया जाता है।"
"छापे में बचायी गई लड़कियां आम तौर पर विभिन्न भारतीय राज्यों और पड़ोसी देशों की होती
हैं, लेकिन एक ही छापे में बचायी गई सभी लड़कियां अगर थाईलैंड की हैं, तो इसका मतलब है
कि वहां की और भी लड़कियां भारत में काम कर रही हैं।"
उदाहरण के तौर पर जुलाई में भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई से 150 किलोमीटर दूर कार
विनिर्माण और प्रौद्योगिकी केंद्र पुणे के एक संपन्न आवासीय क्षेत्र में बने पार्लर से थाईलैंड की
10 महिलाओं को बचाया गया था।
फ्रांस की धर्मार्थ संस्था फॉन्डेशन शैल्स के अनुसार विश्व में लगभग चार करोड़ यौन कर्मी हैं।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि गरीबी और अवसरों की कमी के कारण उनमें से अधिकतर को
दलाल और तस्कर प्रलोभन या झांसा देकर उन्हें यौन गुलामी करने के लिये मजबूर करते हैं।
काफी समय से नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों की लड़कियों की तस्करी कर उन्हें भारत में
देह व्यापार में ढ़केला जाता रहा है।
लेकिन पुलिस और कार्यकर्ताओं का मानना है कि भारतीय पुरुषों और विदेशी पर्यटकों के बीच थाईलैंड जैसे अन्य देशों की &"अधिक आकर्षक" महिलाओं की मांग बढ़ी है। जुलाई में छापा मारने वाले पुणे की मानव तस्करी रोधी इकाई प्रमुख पुलिस निरीक्षक संजय पाटिल ने कहा, "पहली बार हमने ऐसी प्रवृत्ति देखी है।"
"बहुत पढ़ी लिखी नहीं हैं, बल्कि वे गरीब परिवारों से हैं और उनके परिजन उन्हीं की आय पर निर्भर हैं।"
उन्होंने कहा कि सूचना मिलने पर एक अधिकारी उस पार्लर में ग्राहक के रूप में गया और
उसने पाया कि वहां ग्राहकों से पैसे लेकर थाईलैंड की 25 से 40 साल की महिलाओं से यौन कर्म
करवाया जा रहा था। पार्लर के प्रबंधक और एक अन्य कर्मचारी को गिरफ्तार कर लिया गया
था।
पुलिस ने कहा कि बैंकाक और अन्य शहरों की कुछ यौन कर्मियों सहित थाईलैंड की महिलाओं
को भारत में और अधिक पैसे कमाने का लालच दिया जाता है। वे थाईलैंड में औसतन 305 भात
(लगभग 600 रुपये) प्रति दिन कमाती हैं, जबकि भारत में वे इसका दोगुना कमा सकती हैं।
पाटिल ने कहा, "हमने जिन लड़कियों को बचाया है, वे यहां पर तीन-चार महीने से काम कर रही
थीं और उनके पास एक लाख रुपए तक थे।" उन्होंने कहा कि इस समय पीड़िताओं को एक
आश्रय गृह में रखा गया है, जहां वे स्वदेश लौटने की प्रतिक्षा कर रही हैं।
थाईलैंड दूतावास के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि राजधानी नई दिल्ली, पर्यटकों के गढ़ जयपुर
और प्रौद्योगिकी केंद्र बैंगलूरू सहित पूरे देश के मसाज पार्लरों से थाईलैंड की महिलाओं को बचाया
जा रहा है।
उन्होंने कहा कि स्वदेश लौटने पर पीड़िताओं के लिये पुनर्वास योजनाएं है और उन्हें कौशल
प्रशिक्षण दिया जायेगा।
(रिपोर्टिंग- रोली श्रीवास्तव, संपादन- नीता भल्ला और एम्मा बाथा; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की
धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार,
तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
Our Standards: The Thomson Reuters Trust Principles.