- अनुराधा नागराज
चेन्नई, 9 अगस्त (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) – आज दो करोड़ से अधिक लोग आधुनिक गुलामों के रूप में काम कर रहे हैं, ऐसे में एक प्रौद्योगिकी डेवलपर को उम्मीद है कि कृत्रिम बुद्धि दुनिया की आपूर्ति श्रृंखला में सुधार लाने और कर्मियों का शोषण समाप्त करने में मददगार होगी।
डेवलपर पद्मिनी रंगनाथन ने कहा कि कृत्रिम बुद्धि यानि आर्टीफिशल इंटेलिजंस (एआई) तैयार करने के लिए मोबाइल फोनों, मीडिया रिपोर्टों और निगरानी कैमरों से वास्तविक समय के आंकड़े ले कर मशीनों में डाले जा सकते हैं। इससे कंपनियों को आपूर्ति श्रृंखला के निचले स्तर तक अधिक स्पष्ट रूप से नजर रखने में मदद मिलेगी।
थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, "इस कार्य को करने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता है, क्योंकि कई देश और कंपनियां इस समय आधुनिक गुलामी पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।"
"सजा मिलने के भय से इस दशक की शुरुआत से ही आपूर्ति श्रृंखला में सुधार का अनुपालन किया जा रहा था। अब कंपनियां समाज पर इसका प्रभाव देख कर कह रही हैं कि वे इसका अनुपालन करना चाहती हैं।"
हाल के वर्षों में आधुनिक समय की गुलामी की कड़ाई से जांच की जा रही है जिसके परिणामस्वरूप नियामक और उपभोक्ता कंपनियों पर दबाव बना रहे हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनकी आपूर्ति श्रृंखलाएं मजबूर श्रमिकों, बाल मजदूरों और दासता के अन्य तरीकों से मुक्त हों।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के अनुसार लगभग दो करोड़ दस लाख लोगों से जबरन मजदूरी करवाई जाती है और उनमें से भी विशेष रूप से प्रवासी मजदूरों और स्वदेशी लोगों की स्थिति काफी दयनीय है।
लेकिन रंगनाथन का कहना है कि चूंकि मानव आधुनिक गुलामी समाप्त करने में विफल रहा है ऐसे में शोषण समाप्त करने के लिये नए डिजिटल तरीके कारगर हो सकते हैं।
थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को अमेरिका से टेलीफोन पर दिये साक्षात्कार में उन्होंने बताया, "इस प्रौद्योगिकी के जरिये जबरन मजदूरी से जुड़े विशिष्ट शब्दों का उपयोग कर प्रतिदिन 10 लाख से अधिक लेख प्राप्त किये जा सकते हैं और आपूर्ति श्रृंखला में खतरे के संभावित क्षेत्रों के बारे में विशेष रूप से बताया जा सकता है।"
रंगनाथन सूचना प्रौद्योगिकी सेवा कंपनी- एसएपी एरिबा में कार्यरत है, जो कंपनियों की खरीद प्रक्रियाओं का बेहतर प्रबधंन करने में मदद करती है।
उन्होंने कहा कि निगरानी कैमरे से लेकर लाभ निरपेक्ष संस्थाओं और अन्य एजेंसियों के स्रोतों से आंकड़े प्राप्त कर इस नये कार्यक्रम के जरिये कॉर्पोरेट आपूर्ति श्रृंखलाओं में कमजोर कड़ी को आसानी से चिन्हित किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन के ज्ञान से इन विशाल आंकड़ों का उपयोग कर सार्थक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।"
आईएलओ के अनुसार निजी अर्थव्यवस्था में मजबूर श्रम से प्रति वर्ष 150 अरब डॉलर का गैरकानूनी मुनाफा कमाया जाता है।
रंगनाथन को उम्मीद है कि उनके नये कार्यक्रम से उस बाजार पर रोक लगेगी और "विवेकपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला" तैयार करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए इससे यह पता लगाया जा सकता है कि ब्रांडेड कमीज बनाने में इस्तेमाल होने वाले कपास का परागण बाल मजदूरों से करवाया गया था या नहीं। इसके अलावा यह कोको बागानों में श्रमिकों की स्थिति की निगरानी में मदद कर सकता है, जिससे कंपनियां अपनी आपूर्ति श्रृंखला से शोषण समाप्त कर सकती हैं।
उन्होंने कहा, "प्रौद्योगिकी संमिलन से अधिक पारदर्शिता आयेगी और तत्कालीन शोषण का खुलासा किया जा सकेगा।"
"कृत्रिम बुद्धी की दुनिया प्रौद्योगिकी संचालित है। निचले स्तर के आपूर्तिकर्ता को एक मोबाइल ऐप देकर और कारखानों में हॉट लाइनें के साथ निगरानी कैमरें लगवाना अनिवार्य करने को हम अनुबंध में शामिल कर सकते हैं।"
रंगनाथन ने स्वीकार किया कि किसी भी आपूर्ति श्रृंखला के "अंतिम स्तर" का पता लगाना सबसे कठिन कार्य था, क्योंकि इस स्तर पर कई काम घरों और छोटे कारखानों में किये जाते हैं और यहां आंकड़ें एकत्र करना कठिन था।
(रिपोर्टिंग- अनुराधा नागराज, संपादन- लिंडसे ग्रीफिथ; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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