×

Our award-winning reporting has moved

Context provides news and analysis on three of the world’s most critical issues:

climate change, the impact of technology on society, and inclusive economies.

भारत बाल तस्करी के खिलाफ दुनिया की सबसे बड़ी जागरूकता यात्रा आयोजित करेगा

by Nita Bhalla | @nitabhalla | Thomson Reuters Foundation
Tuesday, 22 August 2017 14:35 GMT

  • नीता भल्ला

नई दिल्ली, 22 अगस्त (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - नोबेल पुरस्कार विजेता और बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने मंगलवार को कहा कि भारत मानव तस्करी और बच्चों के यौन उत्पीड़न के खिलाफ दुनिया की सबसे बड़ी यात्रा आयोजित करेगा। उन्‍होंने कहा कि अब समय आ गया है कि इन अपराधों पर चुप्पी तोडी जाये।

एक महीना चलने वाली इस यात्रा में एक करोड़ से अधिक लोगों के शामिल होने की आशा है। यह यात्रा 11 सितंबर को भारत के दक्षिणी छोर तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू होकर 16 अक्टूबर को राजधानी नई दिल्ली में समाप्त होगी।

अपने "सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत" अभियान के शुभारंभ के अवसर पर सत्यार्थी ने कहा, "आज मैं बाल यौन उत्पीड़न और बाल तस्करी के खिलाफ युद्ध की घोषणा करता हूं। आज मैं इतिहास के सबसे बड़े सामाजिक जागरूकता आंदोलन की घोषणा करता हूं।"

"हमारे बच्चे जो झेल रहे हैं वह कोई मामूली अपराध नहीं है। यह एक नैतिक महामारी है जिससे हमारे देश के साथ ही पूरी दुनिया भी परेशान है। हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते। हमें अपनी चुप्पी तोड़नी होगी। हमें अपनी आवाज उठानी होगी और एक राष्ट्र के रूप में एकजुट होना होगा।"

भारत में बच्चों के सामने तस्करी, यौन हिंसा और बाल विवाह से लेकर बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच की कमी जैसी कई चुनौतियां हैं।

 

सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2016 में 9,000 से अधिक बच्चों की तस्करी की गई थी, जो 2015 की तुलना में 27 प्रतिशत अधिक थी। इनमें से अधिकतर गरीब ग्रामीण इलाकों से होते हैं जिन्‍हें तस्कर शहरों में अच्छी नौकरी दिलाने का झांसा देते हैं, लेकिन उन्हें गुलामी करने के लिये बेच दिया जाता है।

कुछ को घरेलू नौकरों के तौर पर या छोटे विनिर्माण कारखानों और खेतों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है अथवा यौन दासता करवाने के लिये वेश्यालयों में ढ़केल दिया जाता है। अधिकतर मामलों में कईयों को वेतन नहीं दिया जाता है या उन्‍हें ऋण बंधक बना लिया जाता है। कुछ बच्‍चे मिल जाते हैं, लेकिन कई लापता रहते हैं।

राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार 2015 में लगभग 15,000 बच्चे दुष्‍कर्म, उत्‍पीड़न और अश्‍लील चित्रण के लिये शोषण जैसी यौन हिंसा के शिकार हुये थे, जो 2014 की तुलना में 67 प्रतिशत अधिक है।

लेकिन कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसे रूढ़िवादी समाज में यह आंकड़े तथ्‍य से परे हैं, जहां दोष लगने, बदनामी या कलंकित होने का भय रहता है, जिसके कारण पीड़ित और उनके परिजन अक्सर चुप रहते हैं और उत्‍पीड़नों की शिकायत दर्ज नहीं करवाते हैं।

सत्यार्थी  ने कहा कि यह यात्रा जन जागरूकता फैलाने और बाल संरक्षण पर मजबूत नीतियां बनाने के लिए तीन साल चलाये अभियान का हिस्‍सा है। सत्‍यार्थी की धर्मार्थ संस्‍था- बचपन बचाव आंदोलन ने 80,000 गुलाम बच्चों को मुक्‍त कराया है।

इसके प्रतिभागी देश के 29 में से 22 राज्‍यों में लगभग 11,000 किलोमीटर की यात्रा करेंगे। वे कस्बों और गांवों में रुककर स्कूलों और कॉलेजों में जायेंगे और स्थानीय अधिकारियों, पुलिस, धार्मिक और सामुदायिक नेताओं के साथ मिलकर कार्यक्रम करेंगे।

सत्यार्थी ने कहा, "हम बच्चों, माता-पिता और उनके समुदायों को कहेंगे कि वे यौन हिंसा को लेकर शर्मिंदा होने के बजाय इसके बारे में बतायें। हम उन्‍हें बतायेंगे कि तस्‍कर जब बच्चों को लेने के लिये आयें, तो उस समय उन्‍हें नजरअंदाज करने की बजाय पुलिस को सूचित करें।"

"इस विषय पर हमने लंबे समय से चुप्‍पी साधी हुई है। हमें संसद में मानव तस्करी रोधी विधेयक पारित करवाने के लिये प्रयास करने होंगे। हमें अपनी कानून व्‍यवस्‍था में सुधारों के लिए जोर देना होगा ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके। अगर हमारे बच्चे सुरक्षित हैं तभी नया भारत बन सकता है।"

(रिपोर्टिंग- नीता भल्‍ला, संपादन- बेलिंडा गोल्‍डस्मिथ; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

Our Standards: The Thomson Reuters Trust Principles.

-->