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भारत में अंगदान के कड़े नियमों के कारण दाताओं को अवैध रूप से मिस्र भेजते गुर्दे की खरीद-फरोख्तस करने वाले

by Roli Srivastava | @Rolionaroll | Thomson Reuters Foundation
Monday, 11 September 2017 12:08 GMT

People walk along a main street as old mosques are seen through the dust during a hazy day where temperatures reached 46 degrees Celsius (114 Fahrenheit) in Cairo in this 2015 archive photo. REUTERS/Asmaa Waguih

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भारत में लंबी प्रतीक्षा सूची की वजह से अंगों की काला बाजारी

-    रोली श्रीवास्तव

 

मुम्बई, 11 सितम्बर (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि मुंबई हवाई अड्डे पर गुर्दे के लिए गरीब लोगों के तस्करी करने के आरोप में कथित सरगना सहित दो लोगों की गिरफ्तारी के बाद से भारतीय पुलिस अंगों की खरीद फरोख्‍त के गोरखधंधे की जांच कर रही है।

पुलिस ने बताया कि पिछले सप्‍ताह निजामुद्दीन और सुरेश प्रजापति नाम के लोगों को मानव तस्करी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

पुलिस के पास जानकारी थी कि गुर्दे के लिए लगभग 60 लोगों को अवैध रूप से श्रीलंका भेजने के आरोप में पिछले साल दक्षिणी राज्य तेलंगाना में "किडनी करोबार के सरगना" प्रजापति को गिरफ्तार किया गया था और वह जमानत पर जेल से बाहर था।

वरिष्ठ निरीक्षक लता शिरसथ ने कहा, "उनमें से एक के पास तीन पासपोर्ट मिलने पर हमें मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के एक आव्रजन अधिकारी ने सचेत किया था। एक पासपोर्ट अंगदाता का था जिसे वे मिस्र ले जाने की ताक में थे।"

"मई और जुलाई के बीच वे छह लोगों को ले गये थे और चार के गुर्दों का प्रत्यारोपण करवा चुके थे। हमने काहिरा के अस्पताल प्रशासन से बात की और कहा कि वे शेष दो लोगों के अंगों का प्रत्यारोपण न करें।"

पुलिस का कहना है कि उन्हें संदेह है कि इस धंधे में और एजेंट शामिल हैं, क्योंकि गिरफ्तार दोनों लोग दिल्ली, जम्मू, हैदराबाद और केरल से दाता लाये थे और उन्‍हें पर्यटक वीजा पर काहिरा भेजा जा रहा था।

अंग पाने वाले भी भारत के विभिन्न हिस्सों से थे जो प्रत्यारोपण के लिए काहिरा गए थे क्योंकि देश के अंगदान के कड़े नियमों के तहत अंगों की व्यावसायिक खरीद-फरोख्‍त नहीं की जा सकती है।  

इस मामले में मुंबई पुलिस के साथ समन्वय कर रही तेलंगाना पुलिस ने कहा कि प्रजापति ने पूर्व दानदाताओं को अधिक दाता जुटाने के लिए एजेंटों के तौर पर काम पर रखा था।

भारत में कम दानदाता होने के कारण अंग पाने वालों की प्रतीक्षा सूची काफी लंबी है, जिससे अंगों की काला बाजारी होती है।  

सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में गुर्दे के लिये प्रति वर्ष दो लाख लोग और लिवर प्रत्यारोपण के लिए 30,000 प्रतीक्षा सूची में होते हैं। वैध दानदाताओं से लगभग तीन से पांच प्रतिशत मांग ही पूरी हो पाती है।

प्रतीक्षा कर रहे कुछ मरीज निराश होकर अंगों की व्यवस्था करने के लिए दलालों से कहते हैं। दलाल दानदाताओं को जुटाने के लिये गांवों में जाते हैं और वहां के भोले-भाले लोगों को कभी पैसे का लालच देते हैं तो कभी शहर में नौकरी दिलाने का झांसा देते हैं।

पुलिस ने बताया कि अंग पाने वालों ने गुर्दे की व्यवस्था करने के लिए दो एजेंटों को 30 लाख रुपये दिये थे, जिसमें से दाताओं को पांच लाख रुपये का भुगतान किया गया था।

भारत के अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम प्रमुख अनिल कुमार ने कहा, "देश में अंग दान की सख्‍ती से जांच की जाती है, इसलिये यहां अंगदान मुश्किल है।"

विश्व स्तर पर अंग दाताओं की कमी के कारण दक्षिण एशिया में "प्रत्यारोपण पर्यटन" प्रचलित है, विशेष रूप से पाकिस्तान के पंजाब में यह अधिक है, जहां आपराधिक नेटवर्क एजेंटों के जरिये अंग पाने वाले विदेशीयों को देश मे लाते हैं।  

(रिपोर्टिंग- रोली श्रीवास्‍तव, संपादन- रोस रसल; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

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