चेन्नई, 12 सितंबर (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि खाड़ी देशों में काम कर रहे भारतीय प्रवासियों के लिए खोले गये नये संसाधन केंद्र से फर्जी नौकरियों और शोषण के लिए कामगारों की तस्करी के खतरे को कम करने में मदद मिलेगी।
24 घंटे की हेल्पलाइन और सलाहकारों की टीम के साथ संयुक्त अरब अमीरात के शारजाह स्थित भारतीय कामगार संसाधन केंद्र का उद्देश्य इस क्षेत्र के उन हजारों भारतीय श्रमिकों की मदद करना है, जिनके शोषण का खतरा हो सकता है।
अबू धाबी में भारतीय दूतावास के अधिकारी दिनेश कुमार ने कहा, "यहां फर्जी नौकरी के कई गोरखधंधे हैं, जिनके कारण यहां पहुंचने पर प्रवासी श्रमिकों को पता चलता है कि उनके पास उचित दस्तावेज नहीं है, उनका वेतन कम है या उनके पास कोई रोजगार ही नहीं है।"
"एक फोन करने पर ही संकट में फंसे भारतीय श्रमिकों की सहायता की जायेगी।"
सरकारी आंकड़ों के अनुसार छह खाड़ी देशों-बहरीन, कुवैत, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान में लगभग 60 लाख भारतीय प्रवासी हैं।
पिछले कुछ वर्षों से भारत सरकार और गैर-सरकारी समूहों को प्रवासी श्रमिकों से उनके वेतन का भुगतान नहीं करने से लेकर उत्पीड़न और शोषण के बारे में लगातार शिकायतें मिल रही थीं।
शिकायतें दर्ज करने के लिए शारजाह केंद्र में एक बहुभाषी टोल फ्री नंबर (800 इंडिया) सातों दिन चौबीस घंटे उपलब्ध रहेगा। यहां नौकरी पर रखने संबंधी दस्तावेज भी सत्यापित किए जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे फर्जी तो नहीं हैं।
कुमार ने कहा कि कानूनी या वित्तीय सहायता प्राप्त करने की जानकारी नहीं होने के कारण श्रमिक रोजगार दिलाने वाले एजेंटों से धोखा खा रहे हैं और कई कामगार कम वेतन पर निम्न स्तर की नौकरी में फंस गए हैं।
उन्होंने कहा कि कई बार गरीब भारतीय परिवारों के प्रवासी श्रमिकों को संस्कृति, भाषा और खान-पान की आदतों में अंतर के कारण कठिनाई होती है।
कुमार ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को फोन पर दिये साक्षात्कार में बताया, "नये स्थान पर सामंजस्य बैठाने में श्रमिकों की मदद करने और उनकी चिंताओं के बारे में बात करने के लिए केंद्र में परामर्शदाता उपलब्ध होंगे।"
यह केंद्र भारत सरकार के सुरक्षित प्रवासन जागरूकता कार्यक्रम का आयाम है, जो श्रमिकों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी देने के शिविरों में शामिल होने के लिये भी आमंत्रित करेगा।
भारत सरकार के साथ सहयोग कर यह केंद्र चलाने वाली कंपनी-अलंकित के अंकित अग्रवाल ने कहा, "हम बड़े पैमाने पर मजदूरी करने वालों के साथ कार्य कर रहे हैं। उनमें से कई निरक्षर हैं और उन्हें काम के अनुबंध की शर्तों के बारे में कोई जानकारी नहीं हैं।"
"शिविरों में हम उन्हें मौलिक जानकारी देते हैं और मुसीबत में फंसने पर हमसे संपर्क करने के बारे में बताते हैं।"
2010 में भारत सरकार ने अपना पहला संसाधन केंद्र दुबई में खोला था। 2016 में दुबई केंद्र में श्रमिकों से लगभग 25,000 फोन कॉल आये और 2,000 से अधिक पत्र, फैक्स और संदेश प्राप्त हुए। इनमें एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर की भी शिकायत थी, जिन्हें उनके बकाया वेतन का भुगतान नहीं किया गया था।
(रिपोर्टिंग-अनुराधा नागराज, संपादन-रोस रसल; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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