- नीता भल्ला
नई दिल्ली, 26 सितंबर (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - भारत सरकार ने मंगलवार को लाखों नाबालिग बच्चों का शोषण रोकने के लिए एक अभियान के रूप में बाल मजदूरों के पंजीकरण, उनको बचाने और उनके पुनर्वास के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया।
देश की 2011 की जनगणना में पाया गया कि विश्व स्तर पर पांच से 14 साल के 16 करोड़ 80 लाख श्रमिकों में से 40 लाख बाल मजदूर भारत में हैं। लेकिन कार्यकर्ताओं का कहना है कि गरीबी के कारण लाखों अन्य बच्चे भी बाल मजदूरी में फंसने की कगार पर हैं।
बाल मजदूरी निषेध के कारगर कार्यान्वयन के लिए मंच- पेंसिल नाम के पोर्टल का उद्देश्य बाल मजदूरी के मामलों पर जानकारी साझा करने और समन्वय के लिए संघ, राज्य और जिला स्तर पर अधिकारियों, धर्मार्थ संस्थाओं और पुलिस को एकजुट करना है।
पोर्टल के शुभारंभ के अवसर पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "पेंसिल पोर्टल सभी स्तरों के हितधारकों को एकजुट करता है, ताकि कोई भी कहीं से भी बाल मजदूरी का मामला दर्ज कर सके और शीघ्र जांच हो सके।"
"लेकिन देश से बाल मजदूरी समाप्त करने के लिए केवल पेंसिल पोर्टल का होना पर्याप्त नहीं है। मेरा मानना है कि हर स्तर पर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति को इसके बारे में जानकारी होनी चाहिये।"
2014 में सत्ता में आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2025 तक बाल मजदूरी समाप्त करने के लिये कई उपाय किये हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार विश्व की तुलना में भारत में बच्चों की सबसे अधिक आबादी है। इसकी 120 करोड़ की जनसंख्या की 40 प्रतिशत से ज्यादा आबादी 18 साल से कम उम्र के बच्चों की है।
बच्चों की तलाश प्रणाली, शिकायत दर्ज करने का स्थान और अधिकारियों, पुलिस तथा धर्मार्थ संस्थाओं के लिए मानक परिचालन प्रक्रियाओं की सुविधा वाले इस पोर्टल का लक्ष्य बाल मजदूरी निषेध कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देना है।
श्रम मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि बाल मजदूरी की पंजीकृत शिकायतों की 48 घंटे के भीतर जांच करने के लिये जिला स्तर पर एक अधिकारी नियुक्त किये जायेंगे, जो स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर बच्चों को बचायेंगे।
बच्चे फिर से मजदूरी करने को मजबूर ना हों यह सुनिश्चित करने के लिये यह पोर्टल स्कूल या व्यावसायिक प्रशिक्षण में नामांकन पीड़ितों को दी गई सहायता की भी निगरानी करेगा।
विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र की बाल एजेंसी (यूनिसेफ) के अनुसार पिछले दो दशक में भारत में हुई आर्थिक उन्नति से लाखों लोग गरीबी से बाहर आये हैं, लेकिन दुनिया के 38 करोड़ 50 लाख गरीब बच्चों में से लगभग एक तिहाई यहां रहते हैं।
वे तस्करों के आसान शिकार होते हैं, जो उनको काम दिलाने और बेहतर जीवन का झांसा देते हैं लेकिन अक्सर उनसे जबरन मजदूरी करवाई जाती है।
भारत के बाल मजदूरों में से आधे से अधिक खेतों में और एक चौथाई से अधिक निर्माण क्षेत्र में कपड़ों की कढ़ाई करने, कालीन बुनने या माचिस की तीलियां बनाने का काम करते हैं ।
बच्चे रेस्टोरेंट और होटल में तथा घरेलू नौकरों के तौर पर भी काम करते हैं। कई लड़कियों को यौन गुलामी के लिए वेश्यालयों को बेच दिया जाता है।
(रिपोर्टिंग- नीता भल्ला, संपादन- केटी मिगिरो; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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