- अनुराधा नागराज
चेन्नई, 4 अक्टूबर (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - निमोनिया से पीड़ित होने के बावजूद बोनस के लिए काम करने वाली 14 वर्षीय लड़की की मौत से विश्व की नामी फैशन कंपनियों को आपूर्ति करने वाले भारतीय कताई कारखानों की जांच एक बार फिर सख्त कर दी गई है।
एक यूनियन की रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि एन. कलैयारासी को शनिवार को अस्पताल ले जाया गया था लेकिन वह रविवार को काम पर लौट आई, ताकि दीवाली के लिए कर्मियों को दिया जाने वाला 2,700 रुपये का बोनस उसके हाथ से ना निकल जाये।
यह तथ्य-परक रिपोर्ट प्रस्तुत करने वाली महिलाओं की तमिलनाडु टेक्सटाइल एंड कॉमन लेबर यूनियन (टीटीसीयू) की सलाहकार थिव्यराखिनी सेसुराज ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "उसे बचाया जा सकता था।"
"सशर्त बोनस देना स्वीकार्य नहीं है। लड़कियों को पहले से ही कम भुगतान किया जाता है। तकनीकी तौर पर बोनस पाना उनका अधिकार है।"
भारत दुनिया के सबसे बड़े कपड़ा और परिधान निर्माताओं में से एक है, जो स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के लिये आपूर्ति करता है।
दक्षिणी भारत में तमिलनाडु की लगभग 1,600 कताई मिलों में लगभग चार लाख लोग कपास से धागे, कपड़ा और परिधान बनाते हैं।
ये कर्मी मुख्य रूप से गरीब, अशिक्षित और निम्न जाति समुदायों की युवा महिलाएं होती हैं। वे दिन में 12 घंटे तक काम करती हैं और उन्हें धमकी दी जाती है, उन पर अश्लील फब्तियां कसी जाती हैं और उनका उत्पीड़न होता है।
यूनियन का कहना है कि यह मौत "व्यावसायिक लापरवाही" के कारण हुई, क्योंकि किशोरी मुंह ढ़के बिना काम कर रही थी और कारखाने में काम करने वाले 200 लोगों के लिए वहां कोई नर्स नहीं थी। वह प्रतिदिन 230 रुपये कमाती थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कलैयारासी की मृत्यु मंगलवार को सरकारी अस्पताल में हुई थी, लेकिन उस से तीन दिन पहले शनिवार को तमिलनाडु के डिंडीगुल कॉटन टेक्सटाइल मिल्स में अपनी पारी के दौरान वह बीमार हुई थी।
इसमें कहा गया है कि कलैयारासी को उसका एक सहकर्मी शनिवार को अस्पताल ले गया था, जहां से उसे दवाई देकर घर भेज दिया गया था। रविवार को कार्यस्थल पर उसकी स्थिति बिगड़ने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां बाद में उसकी मौत हो गई थी।
सेसुराज ने कहा कि इस मामले में कारखाने के प्रबंधकों की प्रतिक्रिया लेने के लिये फोन करने पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने कलैयारासी के परिजनों से मिलने का इंतज़ाम कर दिया था।
यूनियन ने मुआवजे के रूप में कलैयारासी के 15 वर्ष का वेतन उसके परिजनों को देने की मांग की है।
(रिपोर्टिंग- अनुराधा नागराज, संपादन- केटी मिगिरो और लिंडसे ग्रीफिथ; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
Our Standards: The Thomson Reuters Trust Principles.