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भारत में अनाथालय चलाने वाला पादरी तस्करी की जांच के दौरान गिरफ्तार

by Anuradha Nagaraj | @anuranagaraj | Thomson Reuters Foundation
Monday, 30 October 2017 10:00 GMT

In this 2013 archive photo children play atop a police barricade on a street in New Delhi. REUTERS/Adnan Abidi

Image Caption and Rights Information

In Tamil Nadu, state authorities closed 500 homes between 2011 and 2016, citing mismanagement, a lack of registration and misconduct

-    अनुराधा नागराज

     चेन्नई, 30 अक्टूबर (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - दक्षिण भारत में पुलिस ने ईसाई समाज द्वारा चलाये जा रहे अनाथालय से लड़कियों की तस्करी करने के आरोप में एक पादरी को गिरफ्तार किया है। दो साल पहले एक जांच के दौरान बगैर पंजीकृत बाल गृह के तौर पर पाये गये इस अनाथालय को अधिकारियों ने अपने कब्‍ज़े में ले लिया था।

     तमिलनाडु पुलिस ने कहा कि उन्होंने शनिवार को जर्मनी से आये पादरी गिडिएन जैकब को गिरफ्तार किया और उस पर तस्करी तथा किशोर न्याय कानून के तहत आरोप लगाये गये हैं।

    आरोपों का खंडन करते हुये जैकब के वकील ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया कि उनके मुवक्किल स्वेच्छा से पुलिस के सामने पेश हुये और जांच में सहयोग कर रहे हैं।

     जैकब द्वारा 1989 में तिरुची में स्थापित और भारत के लिए जर्मनी की ईसाई पहल पर चलाये जा रहे- द मॉसेस मिनिस्‍ट्रीज़ होम में वो 89 बच्‍चे रहते हैं, जिन्‍हें पास के मदुरै के उसिलंपट्टी से कन्‍या भ्रूण हत्‍या से बचाया गया था।

    हालांकि गृह में इन बच्चों का कोई उचित रिकॉर्ड नहीं था और इनमें से सभी बच्‍चे अब 18 साल या इससे अधिक उम्र के हैं।

    दिसंबर 2015 में एक न्यायालय के निर्देश पर सामाजिक कल्याण विभाग ने इस गृह को अपने अधिकार में ले लिया था।

    कई लोगों द्वारा इन बच्चों के माता-पिता होने का दावा किये जाने पर एक स्थानीय अदालत ने आदेश दिया कि बच्चों के वास्तविक परिजनों की जानकारी के लिये डीएनए जांच की जानी चाहिये।

    2016 में कम से कम 32 बच्‍चों के डीएनए का मिलान उनके माता-पिता के डीएनए से हो गया था। हालांकि इनमें से किसी भी लड़की को अभी तक उसके परिजनों के पास नहीं भेजा गया है।

      तिरुची के जिलाधीश कुप्पन्‍ना गौंडर राजामणि ने कहा, "हम लड़कियों की काउंसिलिंग करवा रहे हैं, क्‍योंकि बचपन से अब तक उन्‍होंने यहां से बाहर का जीवन नहीं देखा हैं।"

       "हमने अपनी बेटियों को वापस लेने के लिए तैयार माता-पिता की भी पहचान कर ली है और शनिवार की गिरफ्तारी के बाद से इस कार्य में और तेजी आयेगी। हम आशा करते हैं कि जल्द ही हम इन लड़कियों को उनके परिजनों से मिलवा सकेंगे।"

       सरकार के आपराधिक आंकड़ों के अनुसार 2015 में देश में 40 प्रतिशत से अधिक मानव तस्करी के मामलों में बच्चों की खरीद-फरोख्‍त की गई और आधुनिक समय के गुलामों के रूप में उनका शोषण किया गया।

    हाल ही में धर्मार्थ संस्‍थाओं द्वारा चलाये जा रहे बाल गृहों और निजी अस्पतालों के माध्यम से गोद देने और धन कमाने के लिये शिशुओं तथा बच्चों की तस्करी की कई खबरें सामने आई हैं।

   2011 से 2016 के बीच, तमिलनाडु में अधिकारियों ने खराब प्रबंधन, बगैर पंजीकरण और अनैतिकता का हवाला देते हुये  500 गृहों को बंद कर दिया है।

    मानवाधिकार समूह की काफी समय से शिकायत है कि भारत में बाल गृह नियंत्रित नहीं हैं, आमतौर पर इनका पर्याप्त निरीक्षण नहीं किया जाता है और कई संस्थान बिना लाइसेंस के निजी तौर पर बाल गृह चला रहे हैं, जहां हजारों बच्चे  शोषण का आसान शिकार होते हैं।  

     चेन्नई के उच्च न्यायालय में दायर याचिका में समस्या के दायरे को रेखांकित करने वाले वकील समूह- चेंज इंडिया के निदेशक ए. नारायणन ने कहा, "इस गिरफ्तारी से हमें आशा बंधी है कि न्याय मिलेगा।"

    "असल चिंता यह है कि इन लड़कियों का कब और कैसे पुनर्वास किया जाएगा। अभी यह आजीवन सजा की तरह लगता है, जहां वे संस्थागत गृहों में रहने के लिये मजबूर हैं।"

 

(रिपोर्टिंग- अनुराधा नागराज, संपादन- बेलिंडा गोल्‍डस्मिथ; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

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