- अनुराधा नागराज
चेन्नई, 17 नवंबर (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - इस गेम में लक्ष्य एक किशोरी का जीवन बचाना है। हथियार हैं सूचित विकल्प और एक पक्ष लेना, लेकिन अंत में खिलाड़ी को वास्तविक जीवन में बच्चों की सहायता करने की प्रतिज्ञा लेने को कहा जाता है।
नये भारतीय ऑनलाइन गेम, "(अन)ट्रैफिक्ड" में लक्ष्य 13 साल की एक लड़की की बाल दासता के लिये तस्करी होने से रोकना है।
इंटरैक्टिव कहानी में खिलाडि़यों को माता-पिता, पुलिस कर्मियों, एजेंटों, स्कूल के मित्रों और अन्य लोगों की भूमिका निभाने को कहा जाता हैं। जिनके विकल्पों से "सात दिन में उस किशोरी के जीवन की पूरी दिशा बदल जाती है।"
इस ऑनलाइन साहसिक गेम तैयार करने वाली संस्था- कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन के एक बयान के अनुसार इस गेम को तैयार करने का उद्देश्य बाल तस्करी की समस्या के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
फाउंडेशन के एक अधिकारी ने कहा, "इसके पीछे विचार देश भर में हो रही बच्चों की तस्करी के संकेतों को समझना और स्पष्ट करना है।"
"हम चाहते हैं कि लोग अपने आस-पास के माहौल में इसके लक्षण देख सकें और फिर इसके बारे में कुछ करें।"
इस ऑनलाइन गेम का शुभारम्भ अक्टूबर में सत्यार्थी द्वारा आयोजित बच्चों की तस्करी और यौन शोषण के खिलाफ एक महीने चले अभियान की समाप्ति पर किया गया था।
इस गेम में पिता के रूप में खिलाड़ी से पूछा जाता है कि क्या वह अपनी बेटी को काम करने के लिए भेजेंगे या मित्र के तौर पर वह माता-पिता को सचेत करेंगे। इसके अलावा इसमें भारत में बाल तस्करी के तथ्यों के बारे में भी बताया जाता है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2016 में अधिकतर गरीब ग्रामीण परिवारों के 9,000 से ज्यादा बच्चों की तस्करी की गई थी, जो 2015 की तुलना में 27 प्रतिशत अधिक है।
उनमें से अधिकतर बच्चे गरीब ग्रामीण क्षेत्रों से हैं, जिन्हें तस्कर शहरों में अच्छी नौकरी दिलाने का झांसा देते हैं, लेकिन कई बार उन्हें वेतन नहीं दिया जाता है या उन्हें ऋण बंधक बना लिया जाता है। कुछ बच्चे वापस मिल जाते हैं, लेकिन कई हमेशा के लिये लापता हो जाते हैं।
ऑनलाइन गेम के कई स्तरों पर खिलाड़ियों को दिखाया जाता है कि तस्कर लड़कियों को शहरों में अच्छी नौकरी दिलाने के लिये कैसे लुभाते हैं, लेकिन फिर उन्हें घरेलू नौकरों के रूप में, छोटे विनिर्माण कारखानों, खेतों में काम करने या वेश्यालयों में यौन गुलामी करने के लिये बेच दिया जाता है।
गेम में इस तथ्य के बारे में बताया गया है कि खिलाड़ी की पसंद देश के रूढ़िवादी सामाजिक मानदंडों को चुनौती दे सकती हैं। इनमें आरोप लगने, शर्मिंदा या कलंकित होने का भय शामिल है, जिसके कारण पीड़ित और उनके परिजन अक्सर उत्पीड़न की शिकायत नहीं करते हैं।
हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध इस गेम को तैयार करने वालों की इसे अन्य भाषाओं में तथा कई और नई कहानियों के साथ पेश करने की योजना है।
(रिपोर्टिंग- अनुराधा नागराज, संपादन- रोस रसल; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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