- अनुराधा नागराज
चेन्नई, 9 जनवरी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - दक्षिण भारत की एक अदालत में दो माताओं के एक कताई मिल में काम करने वाली अपनी बेटियों को वहां से "मुक्त" कराने में मदद की गुहार लगाने से भारतीय कपड़ा और परिधान उद्योग में कार्यरत हजारों महिलाओं की मिल परिसर से बाहर आने जाने की आजादी पर प्रश्न खड़े हो गये हैं।
तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले के केपीआर मिल लिमिटेड में कार्यरत 17 वर्षीय इल्लामल रमन और उसकी चचेरी बहन 18 साल की भुवनेश्वरी की माताओं के अनुसार उन्हें सितंबर से मिल के करुमाथंपत्ति परिसर से बाहर निकलने नहीं दिया गया है।
मंगलवार को अदालत में अपनी याचिका की सुनवाई के दौरान माताओं ने कहा कि किशोरियों के हाथ बुरी तरह से छील गये हैं, खटमलों के काटने से उनकी तबियत खराब हो गई है और उनका इलाज कराना जरूरी है।
रमन की मां चिन्नापोन्नू ने फोन पर थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "मेरी बेटी ने कई बार फोन कर उसे वापस घर बुलाने की मिन्नतें की है।"
"कल रात वह रोते हुए कह रही थी कि उससे काम नहीं होता है। उसके हाथ छील चुके हैं और उसे मिल से बाहर भी नहीं जाने दिया जाता है।"
क्षेत्र में सबसे बड़े सूत उत्पादकों में से एक, सालाना लगभग 90,000 मीट्रिक टन कपास का उत्पादन करने वाली केपीआर मिल्स लिमिटेड ने कहा कि उन महिलाओं के साथ काफी अच्छा व्यवहार किया जा रहा था।
मिल के प्रबंधक थंगवेलु करूपासामी ने कहा कि लड़कियों को न्यूनतम मजदूरी 332 रुपये प्रति दिन का भुगतान किया जा रहा था और उनकी चिकित्सा की जरूरतों पर भी ध्यान दिया जा रहा था।
उन्होंने कहा, "चूंकि उन्होंने सितंबर में ही काम करना शुरू किया था, इसलिये इस माह के अंत में फसल कटाई के त्योहार पोंगल के दौरान उन्हें घर जाने के लिये छुट्टी मिलनी थी। पुलिस ने आकर लड़कियों की जांच की है और हमने उनके माता-पिता से भी मिल में आने को कहा है।"
देश के सबसे बड़े कपड़ा उत्पादक राज्य तमिलनाडु में 1500 से अधिक मिलें हैं, जहां चार लाख कर्मी कपास से सूत और कपड़ा तैयार करते तथा परिधान बनाते हैं।
अधिकतर युवा कर्मी गरीब परिवारों से होते हैं और उन्हें कारखाना या मिल परिसर के भीतर बने हॉस्टलों में रखा जाता है।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि ज्यादातर महिलाओं को उनकी पारी के बाद हॉस्टल में ही रहना होता है और सप्ताह में केवल एक बार ही किसी पहरेदार के साथ उन्हें नजदीक के बाजार में जाने दिया जाता है।
दोनों माताओं के वकील राज कुमार ने कहा, "अधिकतर मिलों के समान इस मिल में भी कंटीली तार लगी ऊंची दीवार और भारी सुरक्षा व्यवस्था है।
"प्रबंधन की अनुमति के बिना किसी भी व्यक्ति का मिल परिसर में प्रवेश करना या वहां से बाहर निकलना असंभव है।"
कुमार ने कहा कि माताओं को अपनी किशोर लड़कियों को काम से हटाने की अनुमति नहीं थी।
मंगलवार को अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया कि अगली सुनवाई अर्थात् 11 जनवरी को वह किशोरियों को उनके सामने पेश करे।
(रिपोर्टिंग- अनुराधा नागराज, संपादन- रोस रसल; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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