- अनुराधा नागराज
चेन्नई, 22 जनवरी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) – दक्षिण भारत के वस्त्र और परिधान उद्योग में फैले शोषण के बारे में बात करने से डरने वाले श्रमिकों के लिये अब अपनी पहचान बताए बगैर हाल ही में शुरू किए गए टोल फ्री नंबर के जरिये कानूनी सहायता उपलब्ध होगी।
डिंडीगुल जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के विजयकुमार चिन्नासामी ने कहा कि रविवार तक तमिलनाडु में पांच जिलों के 30,000 कामगारों ने फोन कर उत्पीड़न, अत्यधिक काम करवाने और वेतन रोकने जैसी कई शिकायतें दर्ज करवाई हैं।
चिन्नासामी ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को टेलीफोन पर बताया, "इन कारखानों में कार्यस्थल के माहौल के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन भय के कारण लड़कियां कभी-कभार ही शिकायत करती हैं।"
चिन्नासामी ने कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण के वकील फोन पर मिली श्रमिकों की शिकायतों पर आगे की कार्यवाही करेंगे। उन्होंने कहा कि इस सेवा का विस्तार कर इसे पूरे राज्य में उपलब्ध करवाया जाएगा।
भारत में कपड़ा और परिधान निर्माताओं के सबसे बड़े केंद्र तमिलनाडु में 1,500 से अधिक कारखाने हैं, जिनमें चार लाख श्रमिक काम करते हैं।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि बड़ी संख्या में कार्यरत गरीब और वंचित परिवारों की महिला कर्मचारियों को काफी कम वेतन दिया जाता है और रोजाना उनका मौखिक और यौन उत्पीड़न होता है तथा उन्हें एक पारी में 14 घंटे तक काम करना पड़ता है।
अक्सर कर्मियों को उनके अधिकारों की जानकारी नहीं होती है। अगर कोई शिकायत करता भी है तो उसे इसके परिणाम भुगतने पड़ते हैं, इसलिए अधिकतर वे मौन रहकर उत्पीड़न सहते हैं।
संवादात्मक मंच (इंटरैक्टिव प्लेटफॉर्म) विकसित करने वाली सोशल टेक्नोलॉजी कंपनी ग्राम वाणी के बारथी पलानीअम्मल ने कहा, "इस प्रणाली की खासियत पहचान उजागर न करना है।"
लोग फोन कर स्वास्थ्य और कानूनी अधिकार जैसे विषयों पर संदेश सुनने के विकल्प भी चुन सकते हैं। वे अन्य लोगों द्वारा भेजे गए रोजगार के नए अवसर जैसे लाभकारी संदेश सुन सकते हैं या वे स्वयं भी ऐसे हितकारी संदेश इस मंच पर रिकॉर्ड करवा सकते हैं।
अगर वे कार्यस्थल पर होने वाले शोषण की शिकायत करना चाहते हैं, तो औपचारिक शिकायत दर्ज करने में सहायता के लिये यूनियन प्रतिनिधि या वकील उनसे संपर्क करेंगे और बाद की प्रक्रिया के जरिये आगे की कार्यवाही करेंगे।
यह सेवा देश के कपड़ा केंद्र में सबसे बड़े महिला श्रमिक संघों में से एक तमिलनाडु टेक्सटाइल एंड कॉमन लेबर यूनियन चला रही है।
यूनियन की अध्यक्ष थिव्यराखीनी सेसुराज ने कहा कि स्वयंसेवक तमिलनाडु के उन पांच जिलों के "हर गांव" में इसके बारे में प्रचार कर रहे हैं, जहां अभी यह सेवा उपलब्ध करवाई जा रही है।
उन्होंने कहा, "कर्मियों की समस्याओं को उस कताई मिल या परिधान कारखाने में ही दबा दिया जाता है, जहां वे काम करती हैं। लेकिन अब कारखाने से बाहर अधिकारियों को एक फोन से इन समस्याओं के बारे में पता चलेगा।"
(रिपोर्टिंग- अनुराधा नागराज, संपादन- जेरेड फेरी; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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