- अनुराधा नागराज
चेन्नई, 1 फरवरी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - सेल्वी मुरुगेसन ने ‘बगैर शिकायत’ 13 साल तक भारत के सबसे बड़े परिधान निर्माताओं में से एक के लिए शर्ट पर बटन टांकने और काज बनाने का काम किया, लेकिन उसका कहना है कि अब आवाज उठाने पर उसकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है।
श्रमिक संघों के अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने से देशभर के फैशन उद्योग में श्रमिकों की स्थिति में सुधार के लिये फैल रही जागरूकता के चलते मुरूगेसन ने अपने निलंबन के विरोध में तीन महीने से अपने नियोक्ता के खिलाफ "युद्ध छेड़" रखा है।
35 वर्षीय मुरुगेसन ने कहा कि उसे उसका पूरा वार्षिक बोनस नहीं मिला है और उसके नियोक्ता ने उसके काम पर आने जाने के लिये बस का किराया भी उसके वेतन से काटना शुरू कर दिया, इसलिये उसने विरोध किया था।
उसने फोन पर और व्यक्तिगत बातचीत में थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "मैंने 13 साल में कारखाने के कामकाज में कोई अड़चन नहीं डाली।"
"लेकिन जब अक्टूबर में कारखाने के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे कुछ कर्मचारियों के साथ मैंने अपने बोनस की मांग की तो प्रबंधकों ने यह कहते हुए मुझे निलंबित कर दिया कि मेरा व्यवहार ठीक नहीं था।"
मुरुगेसन की नियोक्ता कंपनी और विभिन्न पश्चिमी परिधान कंपनियों की आपूर्ति करने वाली चेन्नई की परिधान निर्यातक- सेलिब्रिटी फ़ेशन लिमिटेड का कहना है कि चेन्नई के बाहरी इलाके में स्थित कारखाने में कर्मचारियों को प्रवेश करने से रोकने के आरोप में उसे और 13 अन्य कर्मियों को निलंबित किया गया था।
मानव संसाधन विभाग के प्रवक्ता चार्ली रॉय ने ईमेल के जरिये कहा कि 14 श्रमिकों की शिकायतों की आंतरिक जांच चल रही है और आंतरिक समितियों के निर्णयों के अनुरूप कर्मियों की शिकायतों का निवारण किया जायेगा।
उन्होंने कहा, "बगैर सूचना के कारखाना परिसर के सामने प्रदर्शन के दौरान उपद्रव मचाने के कारण उन श्रमिकों को निलंबित किया गया था।"
"अधिकतर श्रमिकों की शिकायत के आधार पर और कर्मचारियों तथा कंपनी की सुरक्षा के लिए हम दुर्भावना से प्रेरित अपने ही कर्मियों को निलंबित करने को मजबूर थे।"
चार करोड़ 50 लाख कामगारों को, जिनमें से अधिकतर महिलाएं हैं, रोजगार देने वाले भारत के अरबों डॉलर के कपड़ा और परिधान उद्योग में श्रमिकों और नियोक्ताओं के बीच हो रहे कई विवादो में से यह एक है।
अभियानकारों का कहना है कि इनमें से कई महिलाओं को कम वेतन दिया जाता है, कुछ महिलाएं 14 घंटे की पारी में काम करती हैं और उनका मौखिक तथा यौन उत्पीड़न भी होता है।
2013 में बांग्लादेश में राना प्लाजा में हुई दुर्घटना के बाद से फैशन उद्योग पर श्रमिकों की स्थिति में सुधार करने और उनके अधिकारों को लेकर काफी दबाव है। राना प्लाजा दुर्घटना में 1,136 श्रमिक मारे गए थे।
अलग करना
कार्यकर्ताओं और श्रमिक संघों के नेताओं का कहना है कि दक्षिण भारतीय परिधान केंद्र में संशोधित न्यूनतम वेतन की मांग के लिये श्रमिक संघों या विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के कुछ दिन के बाद ही काफी श्रमिकों को निलंबित किया गया है।
न्यायालय के 2016 के ऐतिहासिक निर्णय में परिधान श्रमिकों को 30 प्रतिशत तक की वेतन वृद्धि और 2014 से बकाया राशि देने को कहा गया था।
महिला श्रमिक संघ- पेन थोझिललार्गल संगम की सुजाता मोदी ने कहा, "हमारे कार्यालय में जबरन इस्तीफा लेने की शिकायत करने वाले श्रमिकों की संख्या बढ़ रही है, जबकि अपने परिवारों को पालने के लिये उन्हें उस नौकरी की सख्त जरूरत है।"
"परिवार के बीमार सदस्य की देखभाल के लिए छुट्टी लेने या यूनियन के किसी सदस्य से बात करते पकड़े जाने और कभी-कभी तो उनके अधिकारों के बारे में पुस्तिका के साथ देखे जाने पर ही अचानक महिलाओं की नौकरी चली जा रही है।"
मोदी अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा वित्त पोषित एक रिपोर्ट की सह-लेखिका हैं, जिसमे पाया गया कि भारत के परिधान उद्योग के कारखानों में शिकायत निवारण व्यवस्था "थी ही नहीं"।
रिपोर्ट में कहा गया कि चेन्नई में आवाज उठाने वाले परिधान कर्मियों को "अलग" कर दिया गया था और मानव संसाधन अधिकारी उन पर निगरानी रखते थे।
आईएलओ का कहना है कि संघ बनाने की स्वतंत्रता "मानवाधिकार" है और कंपनियों को मजदूरों के खिलाफ भेदभाव करने की बजाय उन्हें श्रमिक संघ बनाने या उनमें शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
अध्ययन में कारखाना समितियों की भी आलोचना की गई और कहा गया कि उनके पास बहुत कम मामलों में श्रमिकों की शिकायत दूर करने के निर्देश हैं।
अभियानकारों का कहना है कि कारखाने श्रमिकों को बाहरी यूनियनों में शामिल नहीं होने देते हैं। कई अन्य कारखानों की तरह सेलिब्रिटी फ़ैशन कंपनी परिधान और फैशन श्रमिक संघ (जीएएफडब्ल्यूयू) को मान्यता नहीं देती है, जिससे मुरुगेसन जुड़ी है।
रॉय ने कहा कि जीएएफडब्ल्यूयू को कर्मचारियों का समर्थन नहीं था।
उन्होंने कहा, "यह बाहरी संघ हमारे कर्मचारियों की शिकायतों का निष्पक्ष और सही तरीके से उचित निवारण नहीं कर सकता है।"
मोदी ने कहा कि प्रबंधन विवाद निपटान के मामले सरकारी श्रम विभाग के समक्ष रखने को प्राथमिकता देता है, लेकिन इसके लिये श्रमिकों को 50 किलोमीटर तक यात्रा करनी पड़ती है, जिससे श्रमिक के लिये लंबे समय तक संघर्ष जारी रखना मुश्किल होता है।
लेकिन मुरुगेसन संघर्ष के लिए तैयार है।
उसने कहा, "प्रबंधकों ने मेरे सहकर्मियों, जिनमे से कई मेरे मित्र हैं, उन्हें मुझसे बात ना करने के निर्देश दिए हैं।"
"वे अपनी नौकरी खोने से डरते हैं और इसलिए मुझे आशा है कि मेरी आवाज़ सुनी जाएगी और हम सभी को न्याय मिलेगा।"
(रिपोर्टिंग- अनुराधा नागराज, संपादन- केटी मिगिरो; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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