- अनुराधा नागराज
चेन्नई, 1 फरवरी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - भारत में मानव तस्करी के मामले बढ़ने से कुछ रेडियो जॉकी अपने कार्यक्रमों के जरिए इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने और तस्करों की पहचान करने में श्रोताओं की मदद कर रहे हैं।
भारत की राजधानी नई दिल्ली में रेडियो जॉकी गिनी महाजन इस सप्ताह के अंत में अपने पुरस्कार विजेता शो "सुनो ना दिल्ली" पर तस्करी के बारे में बात करेंगी।
उन्होंने कहा "हम चाहते हैं कि दिल्लीवालों को पता चले कि उनके घरों में काम करने वाली कई लड़कियों के माता-पिता ने उनके लापता होने की शिकायत दर्ज करवाई हैं।"
"हम चाहते हैं कि दिल्लीवाले जाने कि लड़कियों को इस कारोबार में जबरन ढ़केला जा रहा है।"
सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में मानव तस्करी के मामले 2015 की तुलना में 2016 में लगभग 20 प्रतिशत अधिक दर्ज किये गये थे और बचाए गए 23,117 पीड़ितों में से 60 प्रतिशत से अधिक बच्चे थे।
आंकड़ों के मुताबिक पीड़ितों में से 45 प्रतिशत की जबरन मजदूरी करवाने के लिये और 33 प्रतिशत की यौन शोषण के लिए तस्करी की गई थी।
महाजन ने दिल्ली से फोन पर थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "हम केवल अपने आस-पास और रसोईघर में काम करती महिलाओं के बारे में ही जानकारी लेकर वास्तव में इस अपराध को रोक सकते हैं।"
कार्यकर्ताओं का कहना है कि जागरूकता फैलाने में रेडियो महत्वपूर्ण साधन बन गया है।
रेडियो स्टेशनों के साथ सहयोग करने वाली तस्करी रोधी धर्मार्थ संस्था- जस्टिस एंड केयर के एड्रियन फिलिप्स ने कहा, "इससे लोगों को ऐसे अपराधों की वास्तविक भयावहता के बारे में पता चलता है और वे जान पाते हैं कि कैसे ये अपराध उनके इतने करीब पनप रहा है।"
जहां महाजन के शो की पहुंच राजधानी में शहरी भारतीयों तक है, वहीं दक्षिणी राज्य कर्नाटक में एक सामुदायिक रेडियो स्टेशन ने हाल ही में मानव तस्करी पर एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया है।
नम्मुरा बानुली (हमारा ग्राम रेडियो) कार्यक्रम की संचालिका कीर्ति एस चौगाला ने कहा कि उनका उद्देश्य लगभग चार लाख श्रोताओं को इस अपराध के साथ ही तस्करों को पहचानने और ऐसे मामलों की शिकायत दर्ज करवाने के बारे में जानकारी देना है।
चौगाला ने कहा, "इसके बारे में हम क्षेत्र की महिलाओं और लड़कियों को सरल तरीके से समझाना और जागरूकता फैलाना चाहते थे।"
धर्मार्थ संस्था- वुमन्स वेलफेयर सोसाइटी द्वारा चलाया जा रहा यह कार्यक्रम बेल्गावी जिले के 400 से अधिक गांवों में प्रसारित किया जाता है।
नवंबर में तस्करी से बचायी गयी एक युवती ने कोलकाता में आकाशवाणी पर अपनी व्यथा साझा की थी।
बांग्लादेश की इस महत्वाकांक्षी गायिका ने श्रोताओं को बताया कि कैसे तस्करों ने उसे भारत में संगीत की दुनियां में तहलका मचाने के उसके "रूपहले सपने" को साकार करने का झांसा दिया और उसकी तस्करी कर उसे एक वेश्यालय में भेज दिया था।
फिलिप्स ने कहा कि तस्करी की व्यथा साझा करने के लिये रेडियो आदर्श माध्यम है, क्योंकि यहां बचाए गए लोग अपनी पहचान बताए बगैर अपने उत्पीड़न के बारे में बता सकते हैं। इससे "आपराधिक नेटवर्क द्वारा बदला लेने का भी भय नहीं रहता है।"
उन्होंने कहा कि रेडियो के जरिए श्रोता बचाए गए लोगों के साथ आत्मीयता से जुड़ पाते हैं।
फिलिप्स ने कहा, "यह एक वास्तविक व्यक्ति के है जो बहुत महत्वपूर्ण बात बता रहा है।"
(रिपोर्टिंग- अनुराधा नागराज, संपादन- जेरेड फेरी; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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