- कीरन गिल्बर्ट
नई दिल्ली, 8 मार्च (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) – नया सख्त तस्करी रोधी कानून तत्काल संसद में पारित करने की अपील करने के लिये आधुनिक समय की दासता से बचायी गयी महिलाएं देश की राजधानी में एकजुट हो रही हैं। नये कानून का उद्देश्य दोबारा सामान्य जीवन शुरू करने में पीड़ितों की सहायता करना है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह ऐसे कानून को मंजूरी दी, जिसमें दासता से बचाये गये लोगों की जरूरतों को प्राथमिकता देने, पुनर्वास के लिये कोष की स्थापना करने और जबरन मजदूरी कराने तथा छापेमारी के दौरान वेश्यालयों में मिली महिलाओं और लड़कियों जैसे यौन शोषण पीडि़तों को जेल भेजने से रोकने के प्रावधान हैं।
संसद द्वारा विधेयक तत्काल पारित करवाने की मांग को लेकर बचाये गये कई लोग और कार्यकर्ता इस सप्ताह दिल्ली में नेताओं से मिल रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि 2019 के आम चुनावों के लिए चल रही राजनीतिक सरगर्मियों के कारण यह कानून ठंडे बस्ते में जा सकता है।
यौन शोषित, बंधुआ मजदूरी के जाल में फंसाये गये और जबरन शादी करने के लिए मजबूर की गईं कई पीड़िताओं का कहना है कि बचाये जाने के बाद से वे सामान्य जीवन जीने और अपने परिवार का पेट पालने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उन्हें भय है कि जीवन यापन के लिये वे दोबारा बंधुआ मजदूरी के जाल में फंस सकती हैं।
चार बच्चों की मां 50 वर्षीय मीना ने कहा, "हमें अपने बच्चों के लिए केवल धन की नहीं बल्कि आश्रय, सहायता और शिक्षा की आवश्यकता है।" मीना ने तीन साल तक एक ईंट भट्ठे में काम किया था और उस दौरान उसका शोषण किया गया, उसे भूखा रखा गया और उसे मात्र 5,000 रुपये का भुगतान किया गया था।
प्रतिशोध के भय से अपना असली नाम न बताने वाली मीना को कार्यकर्ताओं ने पिछले महीने ही बचाया था। उसने कहा कि बचाये जाने के बाद सरकार से पूरी मदद न मिलने के कारण वह अपने बच्चों से काम करवाने को मजबूर है।
थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा दिल्ली में तस्करी पर चलायी जा रही कार्यशाला में बचायी गयी पांच पीडि़ताओं में से एक- मीना ने कहा, "हम गरीब हैं, इसलिये न्याय और पुनर्वास तक हमारी पहुंच काफी मुश्किल है।"
मानव तस्करी रोधी विधेयक में इससे संबंधित मौजूदा कानूनों को एकजुट किया गया है। इसका उद्देश्य दक्षिण एशिया में इस तरह के अपराधों के खिलाफ लड़ाई में भारत को अग्रणी बनाना है। दक्षिण एशिया में जबरन मजदूरी करवाने, भीख मंगवाने और जबरन शादी करवाने जैसे अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं।
पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित करना
भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार 2016 में मानव तस्करी के 8,132 मामले दर्ज किये गये थे, जो 2015 की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक थे।
बाल मजदूरी रोकने और बाल श्रमिकों के शिक्षा के अधिकार के लिए संघर्ष करने वाले 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार के संयुक्त विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा, "पुनर्वास को कानून का प्रमुख हिस्सा बनाया जाना चाहिए। सरकार को इन सेवाओं के लिए धन आवंटित करना चाहिए।"
थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन से बात करने वाली बचायी गयी पांच पीडि़ताओं में से किसी ने भी नहीं कहा कि उन्हें सरकार से मदद मिली है।
नये कानून में पीडि़तों के बचाव, सुरक्षा और पुनर्वास के कार्यों की निगरानी के लिए जिला, राज्य और केंद्रीय स्तर पर तस्करी रोधी समितियां गठित करने के प्रावधान होंगे।
तस्करी रोधी समूह- शक्ति वाहिनी के संस्थापक रवि कांत का कहना है कि इस कानून को न केवल दिल्ली, बल्कि पूरे देश में लागू करवाना बड़ी चुनौती होगी।
दासता से बचाये गये कई पीडि़तों का कहना है कि वे तस्करों के खिलाफ न्याय पाने के उपायों से निराश थे, उन्हें अधिक प्रभावी होना चाहिये।
भारत में बचाये गये तस्करी पीडि़तों के सामूहिक प्रयास- राष्ट्रीय गरिमा अभियान के क्रांति खोड़े ने कहा, "न्याय महत्वपूर्ण है, लेकिन पुनर्वास का भी कानून में उतना ही महत्व है, क्योंकि अक्सर इन महिलाओं के लिये भोजन और किसी प्रकार की सुरक्षा उपलब्ध नहीं होती है।"
28 वर्षीय सुनीता पिछले साल गुलामी के जाल से भाग निकली थी। उसका अपहरण कर उसे ऐसे व्यक्ति को बेच दिया गया था, जिसने उसे बंदी बनाकर रखा और कई महीनों तक उसके साथ दुष्कर्म किया। आजाद होने के बावजूद वह भय के साये मे है, क्योंकि उसके तस्कर उसके परिजनों के नजदीक ही रहते हैं और रोज़ाना उन्हें परेशान करते हैं।
सुनीता ने कहा कि उसे आशा है कि इस कानून से उसका और दुष्कर्म के कारण जन्मे उसके तीन माह के बच्चे का भविष्य बदलेगा।
अपना असली नाम न बताने वाली सुनीता ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि यह कानून मेरी जैसी महिलाओं और सबके लिये अच्छा होगा।"
(रिपोर्टिंग- कीरन गिल्बर्ट, संपादन- बेलिंडा गोल्डस्मिथ; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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