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भारत सरकार का तस्करी से बचाये गये पांच लाख पीडि़तों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देने का लक्ष्‍य

by Anuradha Nagaraj | @anuranagaraj | Thomson Reuters Foundation
Friday, 9 March 2018 09:19 GMT

-    अनुराधा नागराज

चेन्नई, 9 मार्च (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)- भारत सरकार एक कार्यक्रम के तहत मानव तस्करी से बचाये गये लगभग पांच लाख लोगों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करेगी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस सप्ताह इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया था।

इस कार्यक्रम को चलाने वाली धर्मार्थ संस्‍था- जस्टिस एंड केयर के अनुसार तीन महीने के कोर्स में गुलामी से बचाए गए लोगों के शैक्षिक स्तर का मूल्यांकन कर उनमें आत्‍मविश्‍वास पैदा किया जायेगा।

जस्टिस एंड केयर ने एक बयान में कहा कि इस कोर्स के प्रतिभागियों को देश के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम- कौशल भारत से जोड़ा जाएगा, जिसे 2015 में 2022 तक 40 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्‍य से शुरू किया गया था।   

गुरुवार को नये कोर्स के शुभारंभ के अवसर पर कोविंद ने अपने भाषण में कहा, "मानव तस्करी न केवल सामाजिक बुराई है, बल्कि यह मानवता के खिलाफ अपराध है।"

28 फरवरी को कैबिनेट द्वारा तस्‍करी रोधी विधेयक को अनुमोदित किये जाने के बाद यह घोषणा की गई है और उम्‍मीद है कि जल्‍द ही इस विधेयक को संसद में भी पारित कर इसे कानून बनाया जायेगा।

नए कानून के तहत तस्करों को 10 साल या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। दोषी पाये जाने पर कम से कम एक लाख रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान है।

इस विधेयक में तस्करी के मामलों की सुनवाई में तेजी लाने के लिये विशेष अदालतों का गठन करने और एक वर्ष की समय सीमा में अदालती कार्रवाई पूरी करने तथा पीडि़त को उसके घर भेजने के भी प्रावधान हैं।

भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार 2016 में मानव तस्करी के 8,132 मामले दर्ज किये गये थे, जो 2015 की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक हैं।

कुछ मामलों में, यौन शोषित, बंधुआ मजदूरी के जाल में फंसाये गये और जबरन शादी करने के लिए मजबूर किये गये कई पीड़ितों को बचाये जाने के बाद भी वे सामान्‍य जीवन जीने और अपने परिवार का पेट पालने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनका कहना है कि जीवन यापन के लिये वे दोबारा बंधुआ मजदूरी के जाल में फंस सकते हैं।

नए कोर्स का पाठ्यक्रम तैयार करने वाली संस्‍था- जस्टिस एंड केयर के अनुसार अधिकतर पीड़ित गरीब, कम पढ़े या निरक्षर होते हैं।

संस्‍था की जोइता अंबेत ने कहा, "अगर उन्हें आजीविका के उचित साधन उपलब्‍ध नहीं करवाये गये, तो उनके दोबारा देह व्‍यापार या बाल मजदूरी के दुष्चक्र में फंसने का खतरा बना रहेगा।"

(रिपोर्टिंग- अनुराधा नागराज, संपादन- जेरेड फेरी; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

 

 

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