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बाल वधुओं को यौन दासता, घरेलू काम करने के लिये बेचा जा रहा है: भारतीय अधिकारी

by Roli Srivastava | @Rolionaroll | Thomson Reuters Foundation
Tuesday, 1 May 2018 07:27 GMT

ARCHIVE PHOTO. A girl carrying tea kettles, climbs steps on the banks of river Ganges in the northern Indian city of Varanasi December 15, 2007. REUTERS/Arko Datta

Image Caption and Rights Information

-    रोली श्रीवास्तव

मुंबई, 1 मई (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - महाराष्ट्र में अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि माता-पिता द्वारा लड़कियों का गैरकानूनी विवाह करने के बाद उनकी तस्करी कर उनसे घरेलू दासता या यौन गुलामी करवायी जा रही है।

महाराष्ट्र महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर के अनुसार अध्‍ययनकर्ता बाल विवाह और दासता के बीच संबंध पर राज्य का पहला सर्वेक्षण कर रहे हैं।

भारत में विवाह की कानूनी आयु महिलाओं की 18 और पुरुषों की 21 वर्ष है। अगर इससे कम उम्र में माता-पिता अपने बच्‍चों की शादी करते हुए पकड़े जाते हैं तो एक लाख रुपये का जुर्माना और दो साल तक की जेल की सजा हो सकती है।

लेकिन ग्रामीण और गरीब समुदायों में लड़कियों के खिलाफ भेदभाव व्यापक रूप से प्रचलित है, जहां माता-पिता अक्सर बेटियों को बोझ समझते हैं और वे अब भी कम उम्र में ही उनकी शादी करवा देते हैं।

रहाटकर ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "उनमें से कई विवाह कामयाब नहीं होते हैं और अब हमारे सामने ऐसे मामले आये हैं, जिनमें इनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध तस्करी से होता है।"

रहाटकर ने कहा कि बाल वधुओं को घरों में गुलाम बनाने और वेश्यालयों में बेचे जाने की शिकायतें मिलने पर महिला आयोग ने यह सर्वेक्षण कराने का फैसला किया।

शिकायत मिलने पर अधिकारियों ने एक ऐसी लड़की को बचाया जिसकी शादी करने के बाद उसे बगैर मजदूरी के जबरन खेत में काम करने के लिए मजबूर किया गया था। वहां उसका उत्‍पीड़न किया जाता था और उसे बांध कर रखा जाता था, ताकि वह भाग न सके।

रहाटकर ने कहा कि यह सर्वेक्षण वर्तमान में उन जिलों में कराये जा रहे हैं, जहां बाल विवाह अधिक प्रचलित है। उन्‍होंने कहा कि सर्वेक्षण के निष्‍कर्षों को विभिन्न राज्य सरकारों के साथ साझा किया जाएगा।

तस्करी रोधी समूह- जस्टिस एंड केयर के एड्रियन फिलिप्स ने कहा, "तस्करी और बाल विवाह पर अब तक किसी प्रकार का अध्‍ययन नहीं हुआ है।"

फिलिप्स ने कहा कि उम्मीद है कि इस अध्‍ययन से ऐसे आंकड़े सामने आएंगे, जिनसे तस्‍करी और बाल विवाह के बीच संबंध का खुलासा होगा। फिलिप्‍स का समूह सर्वेक्षण करवाने में महिला आयोग का साझेदार है।

संयुक्त राष्ट्र की बाल एजेंसी यूनिसेफ ने मार्च में कहा था कि पिछले दशक में भारत में बाल विवाह 50 प्रतिशत कम हुये हैं, लेकिन अभी भी 27 प्रतिशत वधू 18 साल से कम उम्र की होती हैं।

अभियानकारों का कहना है कि कई लोगों को यह समझाना मुश्किल है कि बाल विवाह परंपरा गलत है।

राष्ट्रीय बंधुआ मजदूरी उन्मूलन अभियान समिति के संयोजक निर्मल गोराना ने कहा, "उनका मानना ​​है कि इस प्रथा में कोई बुराई नहीं है, क्योंकि वर्षों से ऐसा ही हो रहा है।"

उन्‍होंने कहा, "माता-पिता कम उम्र में अपनी लड़कियों की शादी कर यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि शादी के बाद वे माता-पिता की संपत्ति पर कोई दावा नहीं कर पाएं।"

(रिपोर्टिंग- रोली श्रीवास्‍तव, संपादन- जेरेड फेरी; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

 

 

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