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दक्षिण भारत के शानदार शॉपिंग मॉल में फैलायी गयी बंधुआ मजदूरी के बारे में जागरूकता

by Anuradha Nagaraj | @anuranagaraj | Thomson Reuters Foundation
Wednesday, 2 May 2018 11:17 GMT

  • अनुराधा नागराज

    चेन्नई, 2 मई (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - बेंगलुरू के मॉल में मजदूर दिवस के अवसर पर ग्राहकों ने मोल भाव करने के साथ ही बहुमूल्‍य जानकारी हासिल की, क्योंकि कार्यकर्ताओं ने इस मौके का उपयोग आधुनिक दासता के पीड़ितों की दुर्दशा को उजागर करने में किया था।

     दक्षिणी राज्य कर्नाटक के बेंगलुरू में कम से कम चार लोकप्रिय मॉल में मजदूर दिवस पर  बिक्री के लिए विज्ञापनों के साथ ही बंधुआ मजदूरी के बारे में जानकारी और चित्र वाली स्क्रीन भी लगाई गईं थीं।  

     इस अपराध के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए ग्राहकों को डिजिटल डिस्प्ले के सामने खड़े होकर स्वयं के फोटों खींच कर उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्‍ट करने को प्रोत्साहित किया गया।

     सरकारी अधिकारी जगदीश केम्पालक्‍केगौड़ा ने कहा, "इस अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने में जागरूकता की कमी बड़ी बाधा है।" उन्‍होंने मंगलवार को तीन लोकप्रिय रेडियो स्टेशनों पर इस मुद्दे पर चर्चा भी की।

    उन्होंने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "हमने पिछले आठ महीनों में शहर के आसपास से 100 से अधिक लोगों को बंधुआ मजदूरी से मुक्‍त करवाया है और हम नागरिकों से अपील कर रहे हैं कि अगर उनकी नजर में ऐसे मामले आते हैं तो वे उनकी शिकायत दर्ज करवायें।"

     देश में 1976 से बंधुआ मजदूरी प्रतिबंधित होने के बावजूद यह व्यापक रूप से प्रचलित है और लाखों महिलाएं, बच्‍चे  तथा पुरूष ऋण बंधन के चक्र में फंसे हुये हैं।

     अधिकतर लोगों से उनका कर्ज या उनके रिश्‍तेदार द्वारा लिया गया ऋण चुकाने के लिए बगैर वेतन मजदूरी करवाई जा रही है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि अक्‍सर ऐसे कागजात नहीं होते हैं जिससे पता चले कि कितना कर्ज चुका दिया गया है और यह दुष्‍चक्र महीनों या वर्षों तक चलता रहता है।

  सरकार ने इस अपराध पर लगाम कसने के लिये अपराधियों के खिलाफ कड़े कानून बनाएं हैं और 2030 तक एक करोड़ 80 लाख से अधिक लोगों को बंधुआ मजदूरी से मुक्‍त कराने की योजना है।

      मॉल मे डिस्प्ले आयोजित करने वाले एंड बॉन्डेड लेबर कोएलिशन जैसे अभियान चलाने वाले  जनता को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि यह अपराध आज भी बदस्‍तूर जारी है।

     मंत्री स्क्वायर मॉल की मार्केटिंग मैनेजर नुपूर सिंह ने कहा, "ज्यादातर लोग सोचते हैं कि अब बंधुआ मजदूरी नहीं करवाई जाती है, लेकिन यह अभी भी जारी है और हम में से अधिकांश लोगों को पता ही नहीं है।" हर महीने दस लाख से अधिक लोग मंत्री स्क्वायर मॉल में आते हैं।

      उन्होंने टेलीफोन पर कहा, "वे ट्रैफिक लाइट पर गुलाब बेचने वाले बच्चों के बारे में सोचते ही नहीं हैं। हम चाहते थे कि वे अभियान के हिस्से के रूप में इस बारे में सोचें।"

      सिंह ने कहा कि इस मंगलवार जागरूकता बढ़ाने का सही अवसर था।

      उन्होंने कहा, "अवकाश होने के कारण कई लोग मॉल में थे और हम चाहते थे कि उन्‍हें भी पता चले कि मजदूर दिवस क्यों महत्वपूर्ण है।"

(रिपोर्टिंग- अनुराधा नागराज, संपादन- जेरेड फेरी; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

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