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जाल में फंसे: देह व्‍यापार के लिये तस्‍करी कर भारत लाये गये विदेशी नागरिकों को स्‍वदेश भेजने में कई बाधाएं

by Roli Srivastava | @Rolionaroll | Thomson Reuters Foundation
Monday, 7 May 2018 12:49 GMT

ARCHIVE PHOTO: A rehabilitated sex worker cleans her son in front of her one room house in the red light district of Kalighat in Kolkata January 4, 2008. REUTERS/Parth Sanyal

Image Caption and Rights Information

 -    रोली श्रीवास्तव

मुंबई, 7 मई (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) – अधिकारियों का कहना है कि दक्षिण एशिया के बाहर के उन देशों से महिलाओं की तस्करी कर उन्‍हें भारत के यौन उद्योग में ढ़केला जा रहा है, जिनके साथ भारत की प्रत्‍यावर्तन संधि नहीं है। इसके कारण बचाए जाने के बाद भी कई महीनों तक पीड़ित अनिश्चितता की स्थिति में फंसे रहते हैं।  

लंबे समय से पड़ोसी बांग्लादेश और नेपाल से महिलाओं को लाने वाले तस्करों के लिये भारत गंतव्य स्‍थल रहा है। बांग्‍लादेश के साथ भारत की प्रत्यावर्तन संधि है और नेपाल इस मुद्दे पर भारतीय अधिकारियों के साथ मिलकर कार्य करता है।

पुलिस, अभियानकारों और सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन वर्षों में दक्षिण एशिया से बाहर के राष्ट्र विशेष रूप से उज्‍़बेकिस्तान और थाईलैंड स्रोत देशों के रूप में उभरे हैं।

दक्षिणी राज्य तेलंगाना के रचकोंडा जिले के पुलिस प्रमुख महेश भागवत ने कहा, "बांग्लादेश और नेपाल के साथ भारत की (प्रत्यावर्तन) प्रक्रिया सुव्यवस्थित है। लेकिन अब लोग अन्य हिस्सों से आ रहे हैं और उनके साथ हमारी कोई संधि नहीं है।"

सरकार की देश में अपराध की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 2016 में बांग्लादेश से 33 और नेपाल से 16 महिलाओं की तस्करी किये जाने के मामले दर्ज किए गए थे।

इसके विपरीत 2016 में अधिकारियों ने थाईलैंड और उज्‍़बेकिस्तान से तस्करी किये जाने की 70 शिकायतें दर्ज की थीं, जिन्‍हें रिपोर्ट में भी मिलाकर शामिल किया गया था।

पहले की रिपोर्टों में पीड़ितों की राष्ट्रीयता का उल्लेख नहीं किया गया था। राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के एक अधिकारी ने बताया कि थाईलैंड और उज्‍़बेकिस्तान के नाम इसलिये उजागर किये गये, क्योंकि 2016 में अधिकतर तस्करी के मामले इन दोनों देशों से दर्ज किए गए थे।

पिछले वर्षों में अधिकारियों को विदेशी नागरिकों की तस्‍करी की कम शिकायतें मिली थी। 2010 में तस्‍करी की 36 शिकायतें मिली थीं, जबकि 2014 में 13 मामले दर्ज किये गये थे।

2017 के आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि पिछले साल के पहले छह महीने में ही मुंबई और पुणे में मसाज पार्लरों से थाईलैंड की 40 महिलाओं को छुड़ाया गया था। उन मसाज पार्लरों की आड़ में देह व्‍यापार होता था।

भागवत ने सोमवार को थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया कि 2017 में ही तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के मसाज पार्लरों और स्पा सेंटरों से थाईलैंड की अन्‍य 34 महिलाओं को बचाया गया था।

भागवत की टीम ने पिछले साल हैदराबाद में देह व्यापार में फंसी उज्‍़बेकिस्तान की एक महिला को भी बचाया था। उन्होंने कहा कि उसकी प्रत्यावर्तन प्रक्रिया शुरू होने के चार महीने बाद उसने पिछले महीने आत्महत्या कर ली थी।

प्रतिक्रिया जानने के लिये उज्‍़बेकिस्तान और थाईलैंड के दूतावासों को किये गये फोन कॉल और ई-मेल का कोई उत्‍तर नहीं मिला है।

उनके देश से तस्करी किये गये पीडि़त को बचाने की सूचना देने के बाद दूतावास के अधिकारियों द्वारा व्यक्ति की पहचान और उसके घर का पता सत्यापित करना आवश्यक होता है।

कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह कार्य मुश्किल हो सकता है क्योंकि पीडि़तों को ड़र रहता है कि तस्कर उन्हें या उनके परिजनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसलिये वे कभी-कभी अपने बारे में गलत जानकारी देते हैं।

तस्करी रोधी धर्मार्थ संस्‍था- प्रज्‍वला की सह-संस्थापक सुनीता कृष्णन ने कहा, "ये लड़कियां तस्करों के नियंत्रण में रहती हैं और उन्हें कई गलत जानकारी देने को मजबूर किया जाता है तथा उन्‍हें अच्‍छी तरह से ये बातें समझा दी जाती हैं।"

कृष्णन ने कहा कि प्रज्‍वला के एक आश्रयगृह में रहने वाली उज्‍़बेकिस्तान की महिला को बचाए जाने के समय उसके पास फर्जी भारतीय पहचान पत्र थे और पहले तो उसने यह बताने से भी इंकार कर दिया था कि वह वास्तव में किस देश से थी।

कृष्णन ने और देशों से भारत के साथ प्रत्‍यावर्तन संधि करने का आग्रह किया है, ताकि यौन उत्पीड़न से बचाए गए लोगों को तुरंत वापस उनके देश भेजा जा सके।

जैसाकि अभियानकारों को अंदेशा है कि अगर तस्‍कर दक्षिण एशिया के बाहर अपना जाल फैलाना जारी रखते हैं, तो कृष्‍णन के आग्रह पर तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिये।

तस्करी रोधी समूह- इंपल्स एनजीओ नेटवर्क की संस्थापक हसीना खरभीह ने कहा कि मसाज पार्लर उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और कई ग्राहक थाईलैंड और उज्‍़बेकिस्तान जैसे देशों की  गोरी लड़कियों को अधिक पसंद करते हैं।

उन्‍होंने कहा, "भारत में विदेशी लड़कियों की मांग बढ़ रही है।"

(रिपोर्टिंग- रोली श्रीवास्‍तव, संपादन- जेरेड फेरी; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

 

 

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