- रोली श्रीवास्तव
मुंबई, 13 जुलाई (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - तनु अपना पहला स्मार्टफोन पाकर काफी खुश थी। यह फोन उसके प्रवासी श्रमिक पति ने पिछले नवंबर में उसे दिया था, ताकि दोनों एक दूसरे के संपर्क में रह सकें। वह फेसबुक पर तस्वीरें अपलोड करती और व्हाट्सएप पर संदेश भेजती थी।
फिर फेसबुक पर एक अजनबी ने उसे मित्रता के अनुरोध का संदेश भेजा।
तनु ने उसे स्वीकार कर लिया। जब उसके नए मित्र ने उसे बेहतर जीवन के वादे का संदेश भेजा, तो उसने उस पर विश्वास किया और उससे मिलने को राजी हो गई। उसने सोचा भी नहीं था कि यह मुलाकात उसे हैदराबाद के देह व्यापार में ढ़केल देगी।
21 वर्षीय तनु ने कहा, "उसने मुझे छुआ तक नहीं। उसने मुझे अन्य लोगों को सौंप दिया था।" कानूनी कारणों से तनु का पूरा नाम नहीं बताया जा सकता है।
उसने गुरुवार को केरल से फ़ोन पर थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "फ़ोन का इस्तेमाल करते समय मुझे किसी भी प्रकार का डर नहीं लगता था।" तनु को पिछले सप्ताह केरल से बचाया गया था।
"मुझे बिलकुल अंदेशा नहीं था कि मैं किसी के जाल में फंस सकती हूं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे साथ ऐसी घटना घटेगी।"
पुलिस और कार्यकर्ताओं का कहना है कि यौन तस्कर अपने शिकार को जाल में फंसाने के लिए व्हाट्सएप और फेसबुक का अधिक उपयोग कर रहे हैं। वे इसे अदृश्य अपराध बताते हैं।
सस्ते उपकरणों और डाटा पैक के कारण भारत में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वालों की संख्या कई गुना बढ़ी है। लगभग एक अरब वायरलैस कनेक्शन के साथ भारत विश्व में सबसे अधिक डाटा उपभोक्ताओं वाले देशों में से एक है।
इसके अलावा सार्वजनिक स्थानों पर मुफ्त वाईफाई की सुविधा से तस्कर आसानी से अपनी चाल चल रहे हैं और अधिकारियों के लिए उनकी पहचान करना कठिन हो गया है।
दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त रॉबिन हिबू ने कहा, "लगभग रोजाना ऐसे मामले विशेषरूप से देश के सबसे वंचित और दूरदराज के इलाकों की उन लड़कियों के सामने आ रहे हैं, जिन्होंने शहरी जीवन देखा ही नहीं था।"
'अदृश्य तूफान'
हिबू ने पिछले साल एक तस्करी रोधी अभियान का नेतृत्व कर सुदूर पूर्वोत्तर क्षेत्र के अरुणाचल प्रदेश की एक लड़की के मामले को सुलझाया था। उसने फेसबुक पर एक आदमी से मित्रता की थी।
उस आदमी ने उसके लिए मुंबई तक की हवाई यात्रा का टिकट खरीदा था और मुंबई पंहुचने पर उसे एक वेश्यालय में बेच दिया था।
हिबू ने कहा, "वह अत्यंत गरीब हाई स्कूल की छात्रा थी। लेकिन उसके पास इंटरनेट सुविधा वाला स्मार्टफोन था। यह अदृश्य तूफान है। आजकल मोबाइल फोन उतने महंगे नही हैं।"
दुनिया भर में तस्करों द्वारा प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर चिंता बढ़ रही है और भारत इस गंभीर प्रवृत्ति का अनुभव करने वाला नवीनतम देश है। तस्कर आसान शिकार किशोरों से संपर्क करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं और फिर उन्हें देह व्यापार के लिए बेच दिया जाता है।
लेकिन इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण इलाकों में मात्र 18 प्रतिशत इंटरनेट की पहुंच होने के बावजूद इसके विकास की काफी संभावना है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मोबाइल इंटरनेट का मुख्य रूप से युवा लोगों द्वारा उपयोग किया जाता है। उनमें से 25 वर्ष से कम आयु के 46 प्रतिशत शहरी और 57 प्रतिशत ग्रामीण उपयोगकर्ता हैं।
तस्करी रोधी धर्मार्थ संस्था इंटरनेशनल जस्टिस मिशन के कैसांद्रा फर्नांडीज़ के अनुसार भुगतान ऑनलाइन होने के कारण पैसे के लेन-देन का हिसाब भी नहीं रखा जा पाता है।
महिलाओं और लड़कियों के लिए कार्य करने वाली माई चॉइसेस फाउंडेशन के कार्यक्रम निदेशक विवियन इसाक ने कहा, "इससे पहले तस्कर परिवारों से मिलकर उन्हें शहर में रोजगार के अवसरों के बारे में आश्वस्त करते थे। आमतौर पर वे लोग परिवार के विश्वसनीय होते थे।"
"अब वे अपने कमरे में बैठकर फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए संदेश भेजते हैं और लड़कियां स्वयं ही उनके जाल में फंस जाती हैं। वे कभी जल्दबाजी नहीं करते, वे यह कार्य धीरे-धीरे व्यवस्थित तरीके से करते हैं।"
प्रवासी श्रमिकों के परिजनों के लिए अपने प्रियजनों के संपर्क में रहने का एकमात्र साधन मोबाइल फोन है।
तनु अपना मोबाइल नंबर बदलना चाहती है, लेकिन उसका कहना है कि वह स्मार्टफोन अपने ही पास रखेगी।
(रिपोर्टिंग- रोली श्रीवास्तव, संपादन- क्लेयर कोज़ेंस; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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