×

Our award-winning reporting has moved

Context provides news and analysis on three of the world’s most critical issues:

climate change, the impact of technology on society, and inclusive economies.

देश की गंभीर बाढ़ से महिलाओं और बच्चों को गुलामी का खतरा बढ़ा

by नीता भल्ला | @nitabhalla | Thomson Reuters Foundation
Friday, 26 August 2016 15:33 GMT

Boys stand on the roof of a partially submerged cremation ground on the flooded banks of river Ganga, in Allahabad, India, August 18, 2016. REUTERS/Jitendra Prakash

Image Caption and Rights Information

    नई दिल्ली, 26 अगस्त (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) – सहायता कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को आगाह किया कि देश के बाढ़ प्रभावित पूर्वी क्षेत्र में मानव तस्करों द्वारा महिलाओं और बच्चों को झांसा देकर मध्यम वर्गीय घरों, रेस्‍टोरेंट, दुकानों और यहां तक ​​कि वेश्यालयों में गुलामी करवाने के लिये बेचने का खतरा बढ़ गया है।

  भारी बारिश से गंगा और उसकी सहायक नदियों में आई बाढ़ के कारण बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड में दो लाख से अधिक लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं।  

     बाढ़ से इन पांच राज्‍यों में लाखों लोग प्रभावित हुये हैं, कम से कम 300 लोगों की मृत्‍यु हो चुकी है, हजारों गांव बाढ़ के पानी में ढूब गये हैं और कई खेत बर्बाद हो गये हैं।

     बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित बिहार और उत्तर प्रदेश में काम कर रही धर्मार्थ संस्‍थाओं का  कहना है कि इस क्षेत्र में इससे पहले आई आपदाओं के बाद तस्‍करी बढ़ी थी, जैसे पड़ोसी देश नेपाल में पिछले साल के भूकंप और 2008 में बिहार में आई बाढ़ के बाद मानव तस्‍करी की घटनायें अधिक हो गई थीं।

      सेव द चिल्‍ड्रन इंडिया के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी थॉमस चांडी ने बताया, "आपात स्थिति में हमेशा बच्चों की तस्‍करी का सबसे अधिक खतरा होता हैं, विशेष रूप से बाढ़ के दौरान जब परिवारों को अपना घर छोड़ कर लम्‍बे समय के लिए ऊपरी भागों में रहने को मजबूर होना पड़ता है।"

  "ऐसी स्थिति में बच्चे के माता-पिता हमेशा उसके पास नहीं रह पाते हैं और अजनबियों की उपस्थिति के कारण बच्चों के यौन शोषण और तस्करी का खतरा अधिक होता है। कई संगठित अपराध समूह बच्चों का शोषण करने के लिए ऐसे अवसरों की ताक मे रहते हैं।"

  संयुक्‍त राष्‍ट्र मादक पदार्थ और अपराध नियंत्रण कार्यालय के अनुसार दक्षिण एशिया में मानव तस्‍करी की घटनाएं सबसे तेजी से बढ़ रही हैं और विश्‍व में पूर्व एशिया के बाद यह मानव तस्‍करी का दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है।

  ऑस्ट्रेलिया के वॉक फ्री फाउंडेशन के 2016 के वैश्विक गुलामी सूचकांक के अनुसार दुनिया के 4 करोड़ 58 लाख गुलामों में से 40 प्रतिशत दास भारत में हैं।

  हर वर्ष ज्यादातर गरीब ग्रामीण क्षेत्रों के हजारों बच्चों को गिरोह शहरों में ले जाते हैं और वहां उन्‍हें बंधुआ मजदूरी करवाने या बेईमान नियोक्ताओं को बेच देते हैं।

     कई बच्‍चे घरेलू नौकर या ईंट भट्टों में मजदूरी, सड़क किनारे रेस्‍टोरेंट या छोटे कपड़ा और कढ़ाई कारखानों में काम करते हैं। कई महिलाओं और लड़कियों को वेश्यालयों में बेचा जाता है।

     विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण प्राकृतिक आपदाएं बढ़ने से दक्षिण एशिया में पहले से ही गरीब लोगों की तस्करी की घटनाएं अधिक हो जाती हैं।

  तबाह हुये क्षेत्रों में सामाजिक संस्थाओं के बिखर जाने से भोजन और मानवीय आपूर्ति हासिल करने की कठिनाइयों के कारण महिलाओं और बच्चों के अपहरण, यौन शोषण और तस्करी का खतरा बढ़ जाता है।

  "बच्चों के लिए अनुकूल स्थान"

     बिहार में सरकारी अधिकारियों का कहना है कि उन्‍हें शोषण के खतरे के बारे में जानकारी है और तस्करी पर नियंत्रण के लिये वे सेव द चिल्ड्रेन, एक्शनएड और संयुक्त राष्ट्र की बाल एजेंसी-यूनिसेफ जैसी धर्मार्थ संस्‍थाओं के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं।

    बिहार के समाज कल्याण विभाग के निदेशक इमामुद्दीन अहमद ने बताया, "बाढ़ से पहले इस महीने की शुरुआत में हमने मानव तस्करी के मुद्दे पर बैठकें की थीं।"

   "हम लोगों में जागरूकता फैला रहे हैं और इस प्रयास में पुलिस, श्रम तथा समाज कल्याण विभागों सहित हर किसी को शामिल किया जा रहा है।"

     अधिकारियों ने कहा कि रेलगाड़ियों की भी जांच की जा रही है, क्‍योंकि आमतौर पर बाल मजदूरी के स्‍त्रोत गरीब जिलों से बच्चों  को रेल से ही लाया जाता है।

   सहायता एजेंसियों ने कहा कि स्कूलों के क्षतिग्रस्‍त या बंद होने के कारण वे "बच्चों के लिए अनुकूल स्थान" निर्मित कर रहे हैं, ताकि बच्चों को खेलने, पढ़ने और अपने परिजनों के साथ रहने के लिए सुरक्षित वातावरण उपलब्‍ध कराया जा सके।

     बिहार में सेव द चिल्‍ड्रन के महाप्रबंधक राफे हुसैन ने कहा, "प्रशिक्षित सहायकों के साथ ही अन्‍य लोगों के सानिध्‍य में बच्चे अपनी परेशानियों के बारे में चर्चा कर अपनी चिंता कम कर सकते हैं।"

    "हमारे अनुभव से हमने देखा है कि इस तरह के संकट के दौरान बच्चों को उनके माता-पिता, परिवार और मित्रों के साथ की जरूरत होती है, इसलिये उनकी सुरक्षा और समग्र भलाई के लिए ऐसा सानिध्‍य उपलब्‍ध कराने के हर संभव प्रयास किये जाने चाहिए।"

     भारत में आम तौर पर मॉनसून का मौसम जून से सितंबर तक होता है, जो कृषि के लिए महत्वपूर्ण हैं। सकल घरेलू उत्पाद की 18 प्रतिशत भागीदारी इस क्षेत्र की है और देश की लगभग 130 करोड़ की आबादी मे से लगभग आधी आबादी खेती से जुड़ी है।  

     लेकिन बारिश से कई राज्य अक्सर भूस्खलन और बाढ़ की चपेट में आते हैं, जिससे फसल बर्बाद हो जाती है, घर नष्‍ट हो जाते हैं और आजीविका समाप्‍त हो जाती है तथा पहले से ही गरीब परिवारों की स्थिती अधिक बिगड़ जाती है।

    बिहार में इस साल बाढ़ से कम से कम 130 लोग मारे गए हैं। बिहार के 38 में से 24 जिलों के लगभग दस लाख लोगों को उनके घरों से निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है और वे राहत शिविरों में या तटबंधों और सड़कों पर शरण लिये हुये हैं।

     टेलीविजन पर लोगों को कंधे तक बाढ़ के पानी में चलते हुये या आधे ढूबे भवनों की छतों पर बैठे और आपदा मोचन बल द्वारा नौकाओं से उन्‍हें बाहर निकालते हुये दिखाया गया है।

     अधिकारियों ने कहा कि उन्‍होंने अधिकांश प्रभावित समुदायों को मदद पहुंचायी है,  लेकिन राज्य में काम कर रही सहायता एजेंसियों का कहना है कि जितनी आवश्‍यकता थी उतने बचाव और राहत प्रयास नहीं किये गये।

    एक्शन एड इंडिया के कार्यकारी निदेशक संदीप चाछरा ने कहा, "हम भी प्रशासन को स्थिति के बारे में जानकारी दे रहे हैं और उनके प्रयासों के साथ समन्वय कर उनकी सहायता कर रहे हैं। हालांकि संकट की व्‍यापकता को देखते हुये बाढ़ राहत के सभी प्रयास अपर्याप्त हैं।"

     "विशेष रूप से कई क्षेत्रों में नावों की कमी की सूचना है। हमें आपदाओं से निपटने के लिये अधिक तैयारियों की जरूरत है, ताकि आपातकालीन बचाव और राहत के लिए तेजी से कार्यवाई की जा सके।"

   

(रिपोर्टिंग- नीता भल्‍ला, संपादन- रोस रसल; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org) 

A dog sits on a wall of a house at a slum area on the flooded banks of the river Yamuna in Allahabad, India, August 22, 2016. REUTERS/Jitendra Prakash

"CHILD FRIENDLY SPACES"

Government officials in Bihar said they were aware of the risk of exploitation and were working with charities such as Save The Children, ActionAid and the U.N. children's agency UNICEF to curb instances of trafficking.

"Before the current floods, we had held meetings early this month on the issue of human trafficking," said Imamudin Ahmad, Director of Bihar's social welfare department.

"We are sensitising people and are involving everyone including the police department, labour department and social welfare departments."

Officials added that authorities were also checking trains, often used to transport victims, originating from impoverished districts where children labour is commonly sourced.

With schools destroyed or shut down, aid agencies said they were creating "child friendly spaces" to give children a safe environment to play, learn and be with their families.

"The company of others, along with trained facilitators, ensures that children are able to discuss their challenges and reduce their anxiety," said Rafay Hussain, General Manager for Save the Children in Bihar.

"From our experience, we have seen that children need the company of their parents, family and friends during such crises - and every effort should be made to ensure that they do remain in such company, for their safety and overall well-being."

India usually experiences monsoons from June to September which are crucial for its agriculture sector, making up 18 percent of its gross domestic product and employing almost half the country's 1.3 billion people.

But in many states the rains frequently cause landslides and flooding that wash away crops, demolish homes and devastate livelihoods - pushing already impoverished families to brink.

The floods in Bihar this year have killed at least 130 people. Almost one million people across 24 of Bihar's 38 districts have been evacuated from their homes and are either in relief camps or have sought shelter on embankments and roads.

Television pictures showed people wading shoulder-high in floodwaters or sitting on the rooftops of partially submerged buildings, while others were seen climbing into boats as they were rescued by India's disaster response teams.

Authorities said that they had managed to reach most affected communities, but aid agencies working in the state said rescue and relief efforts fell short of what was needed.

"We have also been working with the administration providing status updates, offering support and coordinating efforts. However all flood relief efforts are inadequate in terms of the scope and extent of the crisis," said Sandeep Chachra, Executive Director of ActionAid India.

"In particular many areas reported a shortage of boats. We need greater effort in building disaster preparedness and ensuring rapid response to emergency rescue and relief."

(Reporting by Nita Bhalla. Additional reporting by Jatindra Dash in Bhubaneswar. Editing by Ros Russell. Please credit the Thomson Reuters Foundation, the charitable arm of Thomson Reuters, that covers humanitarian news, women's rights, trafficking, corruption and climate change. Visit news.trust.org)

Our Standards: The Thomson Reuters Trust Principles.

-->