×

Our award-winning reporting has moved

Context provides news and analysis on three of the world’s most critical issues:

climate change, the impact of technology on society, and inclusive economies.

रेड लाईट जिले की यौन कर्मियों के लिये "फ्रीडम बिजनेस" एक विकल्प

by Anuradha Nagaraj | @anuranagaraj | Thomson Reuters Foundation
Tuesday, 22 November 2016 13:51 GMT

Women work at the factory of Indian quilt and bag company Sari Bari, Kolkata, India, in this undated photo. (Courtesy of Sari Bari)

Image Caption and Rights Information

अनुराधा नागराज

   चेन्नई, 22 नवम्‍बर (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) - देह व्यापार में फंसी महिलाओं को रोजगार देने वाली एक भारतीय रजाई और बैग बनाने वाली कंपनी ने अपने बोर्ड में दो पूर्व यौन कर्मियों की नियुक्ति की है। कंपनी की सह- संस्थापक का कहना है कि ऐसा कदम इस उद्योग में पहली बार उठाया गया है।

  एक दशक पहले यौन तस्करी के पीडि़तों को आय का वैकल्पिक साधन उपलब्‍ध कराने के लिये साड़ी बाड़ी की स्‍थापना करने में मदद करने वाली सारा लांस का कहना है कि कंपनी ने अपनी 19 महिला श्रमिकों को भी  शेयरधारक बनने के लिए आमंत्रित किया है।

   कोलकाता के रेड लाइट जिले के बाहरी इलाके-सोनागाछी स्थित इस कंपनी में  120 महिलाएं पुरानी साडि़यों की सिलाई कर रजाई और बैग बनाती हैं। प्रत्येक वस्‍तु का नाम उसे बनाने वाली महिला के नाम पर रखा जाता है।

  लांस ने कहा, "यह उनकी कंपनी है।" लांस को लाभ निरपेक्ष नवाचार और मानवीय कार्य के लिए ओपस पुरस्कार 2016 प्रदान किया गया है।

    स्‍वयं को "फ्रीडम बिजनेस" कहने वाली 10 साल पुरानी यह कंपनी भारत में यौन तस्करी के पीडि़तों को आर्थिक अवसर उपलब्ध कराने में मदद करने के उद्देश्य से चलाये जाने वाले कई उद्यमों में से एक है।

  उन्‍होंने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "वेश्‍यालयों से बचा कर आश्रय स्‍थलों में भेजी गयी लड़कियों के 18 साल के होने पर या उनका मामला निपट जाने पर उन्‍हें आश्रय स्‍थल छोड़ने को कहा जाता था। ऐसे में यह व्‍यापार करने का विचार पैदा हुआ।"

   "वे वापस उसी स्थिति में पंहुच जाती थीं और दोबारा तस्करी की शिकार हो जाती थीं।"

  शुरू में महिलाओं को साड़ी बाड़ी में काम करने के लिए समझाना पड़ा था।

    लांस ने कहा, "अब हमारे साथ काम करने की इच्छुक महिलाओं की प्रतीक्षा सूची है।" उन्‍होंने कहा कि कंपनी की अगले पांच साल में 150 और महिलाओं को काम पर रखने की योजना है।

   राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो ने सितंबर में कहा था कि पिछले साल भारत में मानव तस्करी के मामले बढ़कर 6,877 हो गये। जबकि 2014 में यह संख्‍या 5,466 थी, यानि पिछले वर्ष 25 प्रतिशत अधिक मामले दर्ज किये गये।    

 

 

An employee works at the factory of Indian quilt and bag company Sari Bari, Kolkata, India, in this undated photo. (Courtesy of Sari Bari)

   2014 की तुलना में 2015 में नाबालिगों को वेश्यावृत्ति के लिये बेचने के 53 प्रतिशत अधिक मामले दर्ज किये गये। 2015 में कुल दर्ज मामलों में से 82 प्रतिशत पश्चिम बंगाल के हैं, जिसकी राजधानी कोलकाता है।

   अपने पहले नाम से ही पहचाने जाने वाली पूर्व यौन कर्मी छाया और सुप्रिया को सितंबर में हुई बैठक में साड़ी बाड़ी बोर्ड के लिए चुना गया था।

   कार्यकर्ताओं का कहना है कि मानव तस्करी से बचाई गई महिलाओं को आय का वैकल्पिक स्रोत उपलब्ध कराना उनकी दोबारा तस्करी रोकने के लिये महत्वपूर्ण है।

   विशेषज्ञों का मानना है कि नया कौशल सीखने के गौरव से बचायी गयी पीडि़तों को उनके कटु अनुभव से उबरने में भी काफी मदद मिलती है।

   पश्चिम बंगाल राष्ट्रीय न्यायिक विज्ञान विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर सरफराज अहमद खान ने कहा, "असल में गर्व की यह भावना बहुत महत्वपूर्ण है।" खान ने तस्करी से निपटने के प्रयासों पर नियमावली लिखी है।

    खान ने कहा कि देह व्‍यापार से बचायी गयी पीडि़तों के लिये "कोई भी अन्य काम" करना मुश्किल था।

  उन्होंने कहा, "इसके अलावा, सम्मानजनक जीवन जीने के लिये वे आर्थिक स्थिरता चाहती हैं। इस काम से उन्‍हें वह हासिल हुई है।"

(रिपोर्टिंग- अनुराधा नागराज, संपादन- एलिसा तांग और केटी नुएन; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org

An employee works at the factory of Indian quilt and bag company Sari Bari, Kolkata, India, in this undated photo. (Courtesy of Sari Bari)

Our Standards: The Thomson Reuters Trust Principles.

-->