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बिस्कुट के बक्सों में रखकर शिशुओं की तस्करी कर रहे 11 लोग गिरफ्तार

by सुब्रत नागचौधरी | Thomson Reuters Foundation
Wednesday, 23 November 2016 14:12 GMT

A health worker (R) weighs a child under a government program in New Delhi, India, in this May 7, 2015 archive photo. REUTERS/Anindito Mukherjee

Image Caption and Rights Information

-    सुब्रत नागचौधरी

     कोलकाता, 23 नवंबर (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) – पुलिस ने बुधवार को कहा कि अविवाहित महिलाओं को बरगलाकर उनके नवजात शिशुओं को बेचने और बिस्कुट के कंटेनरों में बंद कर इन शिशुओं की तस्करी कर बच्‍चे गोद लेने के एक केंद्र पर ले जाने के संदेह में 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस केंद्र से उन शिशुओं को निःसंतान दंपत्तियों को बेचा जाना था।

  पूर्वी राज्य-पश्चिम बंगाल में अपराध जांच विभाग (सीआईडी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सोमवार को एक निजी नर्सिंग होम में छापा मारी के दौरान बंद पड़े दवाई के एक गोदाम में गत्ते के बक्से में छिपाये हुये दो शिशु मिलने के बाद से पुलिस ने इस अपराध में शामिल लोगों को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया है।

     कोलकाता से 80 किलोमीटर की दूरी पर बदुरिया के एक नर्सिंग होम के मालिक, दाइयों और अन्य कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है।

    पुलिस ने बच्‍चे गोद लेने के फर्जी दस्तावेज बनाने के संदेह में अदालत के क्लर्कों और बच्‍चा गोद लेने का केंद्र चलाने वाली धर्मार्थ संस्‍था के प्रमुख को भी गिरफ्तार किया गया है।

     पश्चिम बंगाल में सीआईडी के उप महानिरीक्षक भरत लाल मीणा ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "जांच चल रही है तथा कुछ समय के बाद और अधिक जानकारी सामने आयेगी।"

   नर्सिंग होम और धर्मार्थ संस्‍था के कर्मचारी तत्काल प्रतिक्रिया देने के लिए उपलब्ध नहीं थे।

  पुलिस ने बताया कि प्रारंभिक जांच में संकेत मिले हैं कि गर्भपात करवाने के लिये क्लिनिक आने वाली अविवाहित लड़कियों और महिलाओं को नर्सिंग होम के कर्मचारी उनके शिशुओं को जन्‍म देकर उन्‍हें बेचने को राजी करते थे।

    पुलिस ने शिशुओं की कीमत के बारे में कुछ न‍हीं बताया, लेकिन स्थानीय खबरों में कहा गया है कि माताओं को एक लड़के के लिए तीन लाख रुपये और लड़की के लिये एक लाख रुपये दिए जाते थे।

    पुलिस ने कहा कि प्रसव के लिये क्लिनिक में आने वाली महिलाओं के शिशुओं की भी चोरी की गई थी और वहां के कर्मचारियों ने उन्‍हें बताया था कि उनका बच्‍चा मृत पैदा हुआ था। कुछ माता पिता को धोखा देने के लिये क्लिनिक में संरक्षित मृत शिशु के शव भी उन्‍हे दिखाये गये थे।

    यहां से अधिकतर नवजात शिशुओं को बिस्कुट रखने के डिब्बों में तस्करी कर सड़क मार्ग से नर्सिंग होम से 25 किलोमीटर दूर मचलंदपुर के बच्‍चा गोद लेने वाली संस्‍था में ले जाया जाता था, जहां उन्‍हें निःसंतान दंपत्तियों को बेच दिया जाता था।

     सीआईडी के एक अन्‍य अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "यह एक संगठित सिंडिकेट था, जिसमें तस्करी नेटवर्क के लिये जरूरी सभी प्रकार के लोग शामिल थे।" यह अधिकारी संवाददाताओं से बात करने के लिए अधिकृत नहीं है इसलिये उन्‍होंने अपना नाम न छापने को कहा था।

     सीआईडी के अधिकारी ने कहा कि आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

    सरकार के अपराध संबंधित आंकड़ों के अनुसार 2014 की तुलना में 2015 में भारत में मानव तस्करी की शिकायतें 25 प्रतिशत अधिक दर्ज की गई हैं। इनमें से 40 प्रतिशत से अधिक मामले बच्चों की खरीद फरोख्‍त और आधुनिक समय के गुलाम के रूप में उनके शोषण की हैं।

    राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने कहा है कि पिछले साल मानव तस्करी के 6,877 मामले सामने आये, जबकि 2014 में यह संख्‍या 5,466 थी। मानव तस्‍करी के सबसे अधिक मामले पूर्वोत्‍तर राज्‍य- असम और उसके बाद पश्चिम बंगाल में दर्ज किये गये हैं।    

     विश्‍व में दक्षिण एशिया में सबसे तेजी से मानव तस्करी के मामले बढ़ रहे हैं और भारत इसका केंद्र है।

     गिरोह हर साल हजारों पीड़ितों को बंधुआ मजदूरी के लिये बेचते हैं या उन्‍हें शोषण करने वाले मालिकों के पास काम पर रख देते हैं। कई महिलाओं और लड़कियों को वेश्यालयों में बेचा जाता है।

     ऑस्ट्रेलिया की वॉक फ्री फाउंडेशन के 2016 के वैश्विक गुलामी सूचकांक के अनुसार विश्‍व के लगभग चार करोड़ 58 लाख गुलामों में से 40 प्रतिशत अकेले भारत में है।

 

(रिपोर्टिंग- सुब्रत नागचौधरी, लेखन – नीता भल्‍ला,  संपादन- केटी नुएन; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org) 

 

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