दार्जिलिंग, 16 जनवरी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)- सीमा पार से हो रही मानव तस्करी के रैकेट का भंडाफोड़ करने में पुलिस की मदद करने के लिये दो स्कूली लड़कियों को अगले सप्ताह राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इस भंडाफोड़ के बाद भारत और नेपाल की लापता लड़कियों के मामलों से जुड़े संदिग्धों को भी गिरफ्तार किया गया है।
17 वर्ष की शिवानी गोंड और 18 साल की तेजस्विता प्रधान को तस्करों का विश्वास जीतकर उन्हें रंगे हाथ पुलिस से पकड़वाने में "अनुकरणीय साहस दिखाने के लिए" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मानित करेंगे।
पश्चिम बंगाल के पहाड़ी जिले दार्जिलिंग की रहने वाली दोनों लड़कियों ने मई 2016 में फेसबुक के जरिये तस्करों से मित्रता की थी।
उसके बाद उन्होंने कई दिनों तक तस्करों से टेलीफोन पर बातचीत की और पुलिस के हाथों पकड़वाने से पहले उन्होंने तस्करों को भरोसा दिलाया कि वे अपने घर से भागने के लिये तैयार हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2014 की तुलना में 2015 में 52.8 प्रतिशत अधिक नाबालिग लड़कियों को "खरीदा" और 35.4 प्रतिशत अधिक लड़कियों को बेचा गया।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि पश्चिम बंगाल तीन प्रमुख राज्यों में से एक है, जहां से तस्कर गरीब परिवारों की युवा लड़कियों को अच्छी नौकरी दिलाने का झांसा देकर बड़े शहरों में लाते हैं, लेकिन यहां उन्हें जबरन देह व्यापार में ढ़केल दिया जाता है या घरों में गुलामी करने के लिये मजबूर किया जाता है।
तस्करों ने दोनों स्कूली लड़कियों गोंड और प्रधान को भी अपना निशाना बनाया, लेकिन उन्हें पता नहीं था कि यह लड़कियां पुलिस और लाभ निरपेक्ष संगठन- मेनकाइंड इन एक्शन फॉर रूरल ग्रोथ के संयुक्त ऑपरेशन में शामिल थीं।
गोंड ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने खुले तौर पर हमें बताया कि हमें अपने मेहमानों की यौन जरूरतों को पूरा करना होगा।"
"उन्होंने हमारे फोटो भी मांगे ताकि वे देख सकें कि हम सुंदर हैं या नहीं। मुझे थोड़ा ड़र लगा लेकिन हमने वह सब किया जो उन्होंने हमसे करने को कहा, क्योंकि हम उनका विश्वास जीतना चाहते थे।"
6 से 18 साल की उम्र के लगभग 25 बच्चों को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
देशभर से चयनित पुरस्कार विजेताओं को पदक, प्रमाणपत्र और नकद पुरस्कार राशि प्रदान की जाती है। उन्हें अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के लिए वित्तीय सहायता भी दी जाती है।
अभी तक बच्चों को डकैती की कोशिश नाकाम करने, सशस्त्र घुसपैठियों से लड़ने, डूबने से लोगों को बचाने, भगदड़ में फंसे लोगों की जान बचाने और आग से सुरक्षित बाहर निकालने के लिए पुरस्कृत किया गया है, लेकिन पहली बार मानव तस्करी के खुलासे के लिये यह पुरस्कार दिया गया है।
अधिकतर माता पिता अपने बच्चों को तस्करी रोकने के अभियान में शामिल होने की अनुमति नहीं देते हैं।
प्रधान की मां और अध्यापिका कमलेश राय ने कहा, "मैं भी झिझक रही थी, लेकिन फिर मुझे लगा कि तस्करों को रंगे हाथ पकड़ने का यही एक तरीका है।"
इन लड़कियों को लेने के लिये न्यू जलपाईगुड़ी आई एक महिला की गिरफ्तारी से पुलिस के हाथ इस रैकेट की पहली कड़ी लगी।
उसकी गिरफ्तारी से पुलिस को नेपाल की एक लापता लड़की के साथ ही तस्करी के एक गिरोह और नई दिल्ली में मानव तस्करी के मामले में लिप्त संदिग्ध के बारे में भी पता चला।
(रिपोर्टिंग- अनुराधा नागराज, संपादन- एड अपराइट; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)
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