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फीचर- बचायी गयी बाल यौनकर्मियों द्वारा भारत के वेश्यालयों में गुप्ति तहखानों का खुलासा

by अनुराधा नागराज | @anuranagaraj | Thomson Reuters Foundation
Wednesday, 13 December 2017 13:16 GMT

ARCHIVE PHOTO: Two female sex workers stand on a roadside pavement for soliciting customers in a red light area in Mumbai July 28, 2007. REUTERS/Punit Paranjpe

Image Caption and Rights Information

-    अनुराधा नागराज

    नई दिल्ली, 13 दिसंबर (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन) – गंदी सी दीवार से लगी सीढ़ी एक वेश्यालय की दूसरी मंजिल के ऐसे अंधेरे गलियारे की ओर जाती है, जहां कई बंद दरवाजे हैं। इनके अंदर छोटे-छोटे कई कमरे हैं जहां यौनकर्मियों के कपड़े, कंबल, सौंदर्य प्रसाधन और कंडोम छुपाकर रखे गये हैं।

    अंधियारे मार्ग पर अन्‍य सीलन भरे कई गलियारों से होते हुये एक जाल वाले दरवाजे तक पंहुचा जाता है, जो अन्य गुप्त स्थान में खुलता है, जिसे ग्राहक या कोई भी बाहरी लोग शायद ही देख पाते हैं।

     एक यौन कर्मी ने आहिस्‍ता से कहा, "वास्तव में ये कमरे लोगों को धोखा देने और छुपने के लिए होते हैं।"

    "कोई भी व्यक्ति इन गलियारों से होता हुआ आसानी से गायब हो सकता है।"

    कार्यकर्ताओं का कहना है कि नई दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों के वेश्यालयों में कई भूलभुलैया वाले मार्ग और गुप्‍त कमरे हैं, जहां तस्‍करी कर लायी गई लड़कियों को कानून की नजरों से छुपाकर "वेश्यावृत्ति में ढ़केला" जा रहा है।

       कार्यकर्ताओं के अनुसार भारत में लगभग दो करोड़ व्यावसायिक यौनकर्मी हैं, जिनमें से एक करोड़ 60 लाख महिलाएं और लड़कियां यौन तस्‍करी की शिकार हैं।

       प्रतिवर्ष अधिकतर गरीब परिवारों के हजारों बच्चों को तस्कर झांसा देकर या उनका अपहरण कर उन्‍हें दलालों और वेश्यालयों को बेच देते हैं, जो उनसे जबरन यौन गुलामी करवाते हैं।

      इस साल 57 लड़कियों को बचाने वाले दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति जय हिंद ने कहा, "इन तहखानों में नाबालिगों को रखा जाता है, जो छापेमारी के समय इन्‍हीं तहखानों के जरिये बाहर निकल भागती हैं।"

     "हमें बच्‍चों को यहां लाने के बारे में खुफिया जानकारी मिलती है, लेकिन जब हम उन्‍हें बचाने के लिए आते हैं तो कभी-कभी हमें यहां लड़कियां मिलती ही नहीं हैं। वे गायब हो चुकी होती हैं।"

      सरकार ने यौन तस्‍करी से निपटने के लिये कानूनों को सुदृढ़ करने से लेकर कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देने जैसे कई उपाय किये हैं।

    लेकिन कार्यकर्ताओं का कहना है कि युवा लड़कियों को देह व्‍यापार के लिये बेचने और तहखानों में छुपाने की खबरें बढ़ रही हैं।

    गुलामी रोधी धर्मार्थ संस्‍था- शक्ति वाहिनी के ऋषि कांत ने कहा, "अंधेरे और गंदे स्थानों के भीतर के जीवन के बारे में बताने वाली कई लड़कियों के मामले सामने आये हैं।"

    "हम एक ऐसी बचाव कार्रवाई में शामिल थे, जहां सामान्‍य सी नजर आने वाली एक अलमारी एक गुप्‍त मार्ग में खुलती थी और वहां से हमें लड़कियां मिलीं। तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।"

  गुप्‍त तहखाने

     पुलिसकर्मी प्रबीर कुमार बाल ने इस वर्ष पश्चिम बंगाल से लापता लोगों के बारे में मिली शिकायत की जांच शुरू करते समय सोचा था कि यह एक सामान्‍य मामला है।

    लेकिन एक किशोरी की तलाश में वे राजधानी नई दिल्ली और उससे करीबन 200 किलोमीटर (124 मील) दूर लोकप्रिय पर्यटन स्थल तथा ताजमहल की नगरी- आगरा के वेश्यालयों में जा पंहुचे।

   उन्होंने कहा, "आगरा के वेश्यालयों में बंकर बने हुये थे, जो अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर बने बंकरों के समान थे।"

   उन्होंने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "हमें लड़की को बचाने के लिए बंकरों को तोड़ना पड़ा था। उन बंकरों में अन्‍य छह लड़कियों को भी छुपाया गया था और उन्हें बचाना युद्ध लड़ने के समान था।"

   बाल ने कहा कि तस्कर पश्चिम बंगाल से लड़कियों को लाकर दिल्ली के सुरक्षित घरों में रखते हैं और फिर उन्हें दूसरे शहरों के वेश्यालयों में बेच दिया जाता है।

  उन्‍होंने कहा कि नवंबर में दिल्ली के एक दंपत्ति की गिरफ्तारी से इस क्षेत्र के सबसे बड़े तस्करी नेटवर्क को तोड़ा गया और इससे "पुलिस छापे के दौरान युवा लड़कियों को छुपाने के लिए बंकरों और सुरंगों का कैसे उपयोग किया जाता है इस बारे में जानकारी मिली थी।"

  तस्करी की गई कई लड़कियों को नई दिल्ली की तंग गलियों वाले सबसे बड़े रेड लाइट क्षेत्र में लाया जाता है, जिसे जीबी रोड कहा जाता है।

    हार्डवेयर की दुकानों के बगल में स्थित अंधेरी सीढ़ियों से चढ़ने पर सैकड़ों बहुमंजिला वेश्यालय मिलते हैं। दलाल ग्राहकों से सौदेबाजी करते हैं, उम्रदराज महिलाएं मोल-भाव करती हैं और युवा यह सब चुपचाप देखते हैं।

    सौदा तय होने पर ग्राहक वेश्यालयों में प्रवेश करते हैं। उन्‍हें बगैर खिड़की के छोटे से कमरों में भेजा जाता हैं और दरवाजे बंद किये जाते हैं।   

    चेहरे पर मेक-अप करते और ग्राहकों के लिए तैयार होते हुये एक यौन कर्मी ने कहा, "20 साल पहले जब मुझे यहां लाया गया था तब से आज तक इस जगह पर कुछ भी नहीं बदला है।"  

  "जब मैं यहां आयी थी तब भी यह गंदा स्‍थान था और अभी भी वैसा ही है। भूलभुलैया वाले कमरे, सौदा करने का तरीका और यहां फंसी महिलाओं की दुर्दशा का समय जैसे थम सा गया है।"

   अधिक से अधिक पीडि़तों की गवाही से वेश्यालय की संरचनाओं और वहां होने वाले शोषण के सबूत मिल रहे रहे हैं और कई एजेंसियां धंधा बंद करने के लिये उनपर दबाव ड़ाल रही हैं।

     बचायी गयी एक लड़की की गवाही के बाद पश्चिम बंगाल की बाल कल्याण समिति ने मई में पुलिस को आदेश दिया था कि जीबी रोड के वेश्यालयों के "गुप्‍त स्‍थानों" को ध्वस्त किया जाये।

   दिल्ली महिला आयोग ने भी पुलिस और नगर निगम के अधिकारियों को पत्र लिख कर गुप्‍त कमरों और मार्गों को तलाश कर उन्‍हें बंद करने की मांग की है।

  हिंद ने कहा, "अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।"

  "हम इन वेश्यालयों के मालिकों का डेटाबेस तैयार कर रहे हैं और हम चाहते हैं कि ये वेश्‍यालय बंद हों।"

(रिपोर्टिंग- अनुराधा नागराज, संपादन- केटी मिगिरो; कृपया थॉमसन रॉयटर्स की धर्मार्थ शाखा, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को श्रेय दें, जो मानवीय समाचार, महिलाओं के अधिकार, तस्करी, भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन को कवर करती है। देखें news.trust.org)

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